MP : कोरोना संदिग्ध की तड़प-तड़प कर मौत, वार्ड बॉय ने निकाली थी मरीज की ऑक्सीजन : मरीज बोला- घर ले चलो, यहां मेरे प्राण सुरक्षित नहीं है, रास्ते में जान चली गई

 
MP : कोरोना संदिग्ध की तड़प-तड़प कर मौत, वार्ड बॉय ने निकाली थी मरीज की ऑक्सीजन : मरीज बोला- घर ले चलो, यहां मेरे प्राण सुरक्षित नहीं है, रास्ते में जान चली गई

शिवपुरी.  मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिला अस्पताल में भर्ती संक्रमित कोरोना मरीज की ऑक्सीजन मशीन वार्ड बॉय ने हटा दी। ऑक्सीजन की कमी के चलते उन्होंने तड़प-तड़पकर बेटे के सामने ही बिस्तर पर दम तोड़ दिया। इससे पहले ऑक्सीजन मास्क को मुंह से दबाकर ऑक्सीजन लेने की कोशिश करते रहे। उन्हें क्या पता था कि ऑक्सीजन देने वाली मशीन (सिलेंडर) ही नहीं है। वे अपना सिर घुटनों के बीच फंसाते तो कभी सिर पटकते रहे। 9 घंटे तक न तो डॉक्टर आए और न ही कोई स्टाफ। बाद में बेटा पहुंचा तो उसने तड़पते पिता को आईसीयू में ले जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह पूरी घटना कोविड वार्ड में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।

MP : कोरोना संदिग्ध की तड़प-तड़प कर मौत, वार्ड बॉय ने निकाली थी मरीज की ऑक्सीजन : मरीज बोला- घर ले चलो, यहां मेरे प्राण सुरक्षित नहीं है, रास्ते में जान चली गई

घटना के बाद परिजन के हंगामे और आरोपों के बीच अस्पताल के अधीक्षक डॉ. केबी वर्मा ने कहा कि मरीज की ऑक्सीजन नहीं हटाई गई। उनकी हालत खराब थी, इसलिए उन्हें बचाया नहीं जा सका। परिजन नहीं माने और कोविड वार्ड के सीसीटीवी फुटेज निकलवाने पर अड़ गए।

फुटेज निकलवाए गए तो पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हटाते हुए वार्ड बॉय दिखाई दिया। इसके बाद मेडिकल कॉलेज के डीन ने तर्क दिया कि मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं थी, इसलिए नर्स के कहने पर वार्ड बॉय ने दूसरे मरीज के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर निकाल लिया। अस्पताल प्रबंधन के इन्हीं दो अलग-अलग तर्कों से मामला न केवल संदिग्ध हो गया है बल्कि जिम्मेदारों की मंशा पर भी सवाल खड़े हो गए। हालांकि बाद में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अक्षय निगम ने पूरे मामले की जांच के लिए टीम गठित करने के आदेश दिए हैं।

मानवता शर्मसार, ऑक्सीजन के लिए 9 घंटे तड़पते रहे, किसी को दया नहीं आई
कोविड वार्ड में भर्ती शिक्षक सुरेंद्र शर्मा का बेटा मंगलवार की रात 11 बजे घर चला गया था। इसके कुछ देर वार्ड बॉय पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दूसरे मरीज के लिए निकाल ले गया। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ती चली गई। फुटेज में देखने पर पता चल रहा है कि असहनीय पीड़ा होने पर सुरेंद्र शर्मा अपना सिर घुटनों के बीच फंसाते दिख रहे हैं तो कभी सिर पटकते दिख रहे हैं। न डॉक्टर आया और नहीं कोई अन्य स्टाफ। सुबह 8 बजे वार्ड में पहुंचे बेटे दीपक शर्मा ने बताया कि पिता गंभीर हालत में थे। पिता के इलाज के लिए वार्ड के स्टाफ से मदद मांगी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। सुबह ड्यूटी डॉक्टर से बात की तो भी गंभीरता से नहीं लिया गया। स्ट्रेचर नहीं मिला तो पिता को पीठ पर लादकर आईसीयू में ले जाने की कोशिश की। इस दौरान एक युवक ने आकर पिता के पैर पकड़वाने में मदद जरूर की, लेकिन तब देर हो चुकी थी और उनकी मौत हो गई।

दो दिन पहले भर्ती हुए थे
पिछोर के दुर्गापुर निवासी शिक्षक सुरेंद्र शर्मा को दो दिन से पहले भर्ती कराया गया था। परिजन का आरोप है कि मंगलवार की रात 11 बजे से बुधवार की सुबह तक गंभीर हालत में तड़प रहे मरीज को देखने के लिए न तो नर्स आई और न ही डॉक्टर।

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जिम्मेदार छिपाते रहे सच्चाई
परिजन - अस्पताल प्रबंधन पर ऑक्सीजन हटाने के कारण जान जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया।

मेडिकल कॉलेज अधीक्षक- डॉ. केबी शर्मा ने कहा कि कोरोना मरीज सुरेंद्र शर्मा की ऑक्सीजन नहीं हटाई गई। उनकी हालत खराब थी। इस वजह से उनकी मौत हुई।

परिजन- सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि वार्ड बॉय पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर निकालकर ले जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन से कहा कि यह देखिए आपके झूठ का पर्दाफाश हो गया है।

डीन का जवाब- मरीज सुरेंद्र शर्मा को ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं थी। इसलिए नर्स के कहने पर पॉर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर वार्ड बॉय ने निकाली।

ये हैं मौत के जिम्मेदार
मंगलवार-बुधवार की रात आइसोलेशन वार्ड में एसआर डॉक्टर राहुल और जेआर डॉक्टर दीप्ति की ड्यूटी लगी थी। स्टाफ नर्सों के अलावा वार्ड बॉय रवि करोसिया की ड्यूटी लगाई गई थी।

भाजपा नेता के मामा नहीं होते तो फुटेज भी नहीं मिलती
शिक्षक सुरेंद्र शर्मा दरअसल भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य धैर्यवर्धन शर्मा के मामा थे। धैर्यवर्धन ने अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन से इस बारे में बातचीत की। फिर सच्चाई जानने के लिए सीसीटीवी फुटेज निकलवाई गई। लोगों का दावा है कि यदि कोई आम व्यक्ति होता तो फुटेज भी नहीं निकलती।

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