MP : ऑनलाइन गोष्ठी : न ऑक्सीजन है, न दवाई, न जगह बाकी है। लॉकडाउन, लाठियां और अंतिम सोर्स खाकी है

 
MP : ऑनलाइन गोष्ठी : न ऑक्सीजन है, न दवाई, न जगह बाकी है। लॉकडाउन, लाठियां और अंतिम सोर्स खाकी है

बुंदेलखंड हिंदी साहित्य संस्कृति विकास मंच की 1371वीं साप्ताहिक संगोष्ठी शनिवार को हुई। ऑनलाइन संगोष्ठी में मध्यप्रदेश के अलावा दिल्ली, कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात, यूपी आदि के साहित्यकारों ने काव्यपाठ किया। शुभारंभ में पूरन सिंह राजपूत ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि निर्मल चंद्र निर्मल ने वर्तमान की महत्ता पर काव्य रूप में विचार रखे। उन्होंने कहा- गर्व करो पूर्व धरोहर पर, लेकिन अहंकारवश वर्तमान को मत कुचलो। जब-जब, जो-जो हुआ, समय का लेखा है, विगत परिस्थितियों को किसने देखा है।

जितना चाहे सत्य, कल्पनाएं कितनी हैं तेरा मेरा पूर्णतः अनदेखा है। अध्यक्षता कर रहे केके सिलाकारी ने कहा- आज कोरोना एक अघोषित आपातकाल के रूप में हमारे सामने आया है। ऐसे कठिन समय में भी साहित्य रचना धर्मिता को जीवंत रखने के लिए संस्था बधाई की पात्र है। समाज से निवेदन करता हूं कि यह बात गांठ बांध लें कि इस कोरोनाकाल में हमारा घर ही हमारा सशक्त सुरक्षा कवच है।

संस्था के संयोजक मणीकांत चौबे बेलिहाज ने कहा कोरोना अपने दूसरे दौर में अति तीव्रता से प्रसार पर है। अतः अपने व परिवार के सुरक्षा की प्रथम जिम्मेदारी स्वयं लें तथा मास्क का उपयोग व दो गज दूरी का अनिवार्यतः पालन करें। समय-समय पर हाथ धोते रहें, अपनी बारी आने पर वैक्सीन अवश्य लगवाएं। सकारात्मक रहकर धीरज, संयम व बुद्धिमत्ता से कोरोना का सामना करना ही सर्वोत्तम उपाय है। उन्होंने काव्य पाठ करते हुए कहा-

आज पूरा देश हैरान है, हतप्रभ है, सरकार क्या करे।

लाखों हैं मरीज, इन्हें कहां रखें।

न ऑक्सीजन है, न दवाई, न जगह बाकी है।

लॉकडाउन, लाठियां और अंतिम सोर्स खाकी है।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मालविका को दी श्रद्धांजलि

संस्था की ओर से बुंदेलखंड की ख्यातनाम साहित्यकार डॉ. विद्यावती मालविका को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। उनके साहित्यिक योगदान को भी याद किया गया। सुनीला सराफ, डॉ. सीताराम श्रीवास्तव भावुक, डॉ. करुणा ठाकुर, मणिदेव ठाकुर, अनिल जैन विनर, राधा कृष्ण व्यास आदि ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी। संचालन डॉ. नलिन जैन ने किया।

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