REWA : विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की नियुक्ति पर 38 साल बाद उठा सवाल : जानकारी सही नहीं भेजने का लगाया आरोप

 

                 REWA : विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की नियुक्ति पर 38 साल बाद उठा सवाल : जानकारी सही नहीं भेजने का लगाया आरोप

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रहस्यमणि मिश्रा की नियुक्ति पर लंबे अंतराल के बाद सवाल उठाया गया है। उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को गलत बताते हुए निरस्त करने की मांग उठाई गई है।

यह नियुक्ति करीब 38 वर्ष पहले की गई थी। इस पर शिकायत किए जाने के बाद राजभवन ने विश्वविद्यालय से जवाब मांगा था। जिस पर विश्वविद्यालय ने अपना जवाब भी भेज दिया है लेकिन उस जवाब पर असहमति जाहिर करते हुए शिकायतकर्ता ने फिर से पत्र भेजा है। शिकायतकर्ता साक्षी सिंह निवासी माडल स्कूल के पीछे रीवा ने राजभवन को भेजे गए पत्र में कहा है कि राजभवन द्वारा शिकायत पर जानकारी मांगी थी लेकिन विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने जानबूझकर गुमराह करने वाला जवाब भेजा है।

शिकायत में कहा गया है कि पर्यावरण विभाग में वर्ष 1983 में तीन पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। दो शिक्षकों को छह महीने के लिए तदर्थ रूप में रखा गया था। बाद में इस नियुक्ति की अवधि बढ़ाई जाती रही। बाद में बिना चयन प्रक्रिया के दोनों को नियमित कर दिया गया था। बीते दिसंबर महीने में इसकी शिकायत के बाद राजभवन ने जानकारी मांगी थी कि नियुक्ति के लिए विज्ञापन क्या समाचार पत्रों में जारी किया गया था यदि हां तो प्रकाशित विज्ञापन की छाया प्रति।

विज्ञापित पद के संदर्भ में प्राप्त आवेदन, अपनाई गई चयन प्रक्रिया, तीन पदों की जगह पांच नियुक्तियों की वजह सहित अन्य प्रक्रिया की जानकारी मांगी गई थी। इस पर विश्वविद्यालय ने अपना जवाब भेज दिया है। जिस पर शिकायतकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई है कि सही तथ्यों को नहीं बताया गया है।

पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, जवाब भेजा जा चुका है

इस मामले में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहस्यमणि मिश्रा ने बताया है कि यह नियुक्ति करीब 38 वर्ष पहले हुई थी। कई बार इसका सत्यापन हो चुका है। कुछ महत्वाकांछी लोग हैं जो अलग-अलग नामों से एक ही तरह की शिकायत कर रहे हैं। इस पर हमने स्वयं और विश्वविद्यालय प्रबंधन ने हर बार जानकारी उपलब्ध कराई है। प्रो. मिश्रा ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि किसी नियुक्ति पर चुनौती तीन महीने के भीतर दी जा सकती है। इस तरह की शिकायत में कोई तथ्य नहीं है, केवल समाज में छवि खराब करने की नीयति से यह सब किया जा रहा है।

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