MP : कहने को 5 मेडिकल कॉलेज में फ्री इलाज का इंतजाम, हकीकत तो यह है कि इंजेक्शन तक नहीं है

 

MP : कहने को 5 मेडिकल कॉलेज में फ्री इलाज का इंतजाम, हकीकत तो यह है कि इंजेक्शन तक नहीं है

मध्यप्रदेश में कोरोना की रफ्तार तो कम हो रही है, पर उसके साथ नई मुसीबत ब्लैक फंगस आ गई है। यह मुसीबत लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में 29 दिन में इसके 600 से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं, जबकि 31 मरीजों की अस्पतालों में मौत हो चुकी है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को फ्री इलाज किया जा रहा है। लेकिन इंजेक्शन की कमी बनी हुई है। मध्यप्रदेश इस बीमारी से लड़ने के लिए कितनी तैयारी है और यह बीमारी दूसरी लहर में कैसे फैली? इस पर भास्कर एक्सपर्ट पैनल का जवाब-

मध्यप्रदेश खासकर कौन सा फंगस मिल रहा है?

प्रदेश में म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) मिला है। जबलपुर में एक केस वाइट फंगस के मिले हैं, यह दवाओं से ठीक हो जाएगा। ब्लैक फंगस की धमनियों में यह फंगस जम जाता है। यह गैंगरीन जैसी बन जाती है। हड्डियां तक सड़ जाती हैं।

एक साल बाद अचानक यह फंगस कैसे फैला, पहली लहर में तो नहीं था?

अधिकतर यह ऐसे कोविड संक्रमितों में मिला है, जो शुगर और किडनी और कैंसर बीमारी से पीड़ित थे या फिर कोविड इलाज के दौरान उन्हें स्टेरॉइड इंजेक्शन लगा हो। दूसरी लहर में इस इंजेक्शन का प्रयोग अधिक हुआ। कोविड के बाद शरीर काफी कमजोर हो जाता है। इस बार डबल म्यूटेंट वाला कोविड था। हालांकि कारणों पर अभी रिसर्च चल रहा है।

यदि कोविड पेशेंट्स हैं तो ही यह हो रहा है या सामान्य पेशेंट्स भी चपेट में आए हैं?

जवाब : नहीं यह हर किसी को तो नहीं हो रहा है। अभी जो देखने में आया है, यह उन्हीं लोगों को हो रहा है, जो कोविड पॉजिटिव निकले थे। अस्पताल में लंबे समय से तक ऑक्सीजन पर भर्ती रहे थे। साथ ही, उस समय इन्हें इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन दी गई थी। ऐसे कोविड पेशेंट जो पहले से किसी गंभीर बीमारी जिसमें शुगर, हाई बीपी व अन्य बीमारी से पीड़ित थे, उनको यह ब्लैक फंगस होने की संभावना 80 फीसदी हो जाती है। क्योंकि ऐसे पेशेंट की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

यह फंगस मरीज को किस तरह से प्रभावित करता है? इसके लक्षण क्या हैं?

जवाब : जब यह नाक की झिल्ली के भीतर जाता हैट तो वहां पर सूजन आ जाती है। ऐसे में एक तरफ की नाक बंद भी हो सकती है। नाक बंद होने से आवाज में बदलाव दिखेगा। एक तरफ सिर पर भारीपन बना रहता है। अगर यह सिर से आंखों में पहुंच जाएट तो आंखों में सूजन आ जाती है। सिर दर्द रहता है। यदि आंखों में ज्यादा सूजन आती है, तो आंख अपनी जगह से बाहर आने लगती है। आंख के बाहर आने से देखने में परेशानी होती है। आंखें लाल होने साथ ही कभी-कभी दिखाई देना भी बंद हो जाता है। इसके लक्षण काफी गंभीर रहते हैं।

कोविड से ठीक होने पर क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

कोविड के बाद आंख, चेहरे को लगातार साफ रखें। ब्लड में शुगर की मात्रा न बढ़ने दें, हायपर ग्लाइसेमिया से बचें। कोविड से ठीक हुए पेशेंट ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें, जांच कराते रहें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का नियंत्रण का ख्याल रखें। इससे बचने के लिए जरूरी है कि नाक और मुंह का हाइजीन का ध्यान रखना है। गंदगी वाली जगह पर नहीं जाना है। मास्क जरूर लगाना है। एंटी बायोटिक और एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श पर ही करें।

बिहार में सफेद फंगस का भी पता चला है, वो क्या है और इससे किस तरह अलग है?

- सफेद वाले की तुलना में ब्लैक फंगस अधिक अग्रेसिव होता है। यह ब्लड के जरिए फैलता है। एक से दूसरे अंग में तेजी से फैलता है। ब्रेन में पहुंचने के बाद मरीज की जान बचाना मुश्किल है। जबकि सफेद फंगस कम घातक होता है। यह ब्रेन में नहीं पहुंचता है। जहां से शुरू होता है, उसी के आसपास के अंगों को सड़ाते हुए आगे बढ़ता है।

कोविद लोगों में हाथ मिलाने, छींकने से फैल रहा है। फंगस भी फैलता है?

ब्लैक फंगस कोविड की तरह वायरल डिसीज नहीं है, इसलिए यह हाथ मिलाने, छूने या छींकने से नहीं फैलता है। हां पर यह कोविड पेशेंट को ही हो रहा है, इसलिए सोशल डिस्टेंस रखें तो अच्छा रहेगा। ऐसे व्यक्ति से मिलते समय मास्क भी पहनकर रहें।

हमारे यहां फंगस के इलाज के लिए क्या-क्या सुविधा है, जैसे कोविड सेंटर बने हैं, क्या इसके लिए भी अलग से कुछ सुविधा है?

इसका इलाज सरकार ने फ्री करने की घोषणा की है। भोपाल और जबलपुर मेंं विशेष वार्ड बनाए गए हैं। वहीं भोपाल, ग्वालियर और रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सरकार ने इलाज के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। प्राइवेट अस्पतालों में भी इलाज की व्यवस्था है। हालांकि इसे सामान्य वार्ड में भी इलाज किया जा सकता है। विशेष वार्ड बनाने की जरूरत नहीं है।

ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज को ठीक होने में कितना समय लगता है?

यह कैंसर से भी घातक है। इसमें डेथ रेट अधिक है। खासकर फंगस दिमाग में पहुंच गया तो मरीज का बचना मुश्किल है। इलाज 15 दिन से डेढ़ महीने तक चलता है। इसके बाद ही फिर जांच करनी पड़ती है। तब पता चलेगा कि मरीज पूरी से ठीक हुआ या अभी उसे और इलाज की जरूरत है।

कहां पर क्या स्थिति है

इंदौर: 250 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में

इंदौर में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि एमवायएच में पांच दिन पहले 8 मरीजों की भर्ती के साथ शुरू हुआ वार्ड फुल हो चुका है। अब यहां पांच वार्ड में 130 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। पूरे इंदौर की बात करें तो 250 से ज्यादा मरीज अलग-अलग अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। 250 मरीजों में से आसपास के जिलों के मरीज भी शामिल हैं। भर्ती मरीज के हिसाब से रोजाना 1500 एम्फोसिटिरीन-बी इंजेक्शन की जरूरत है। लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

भोपाल:तीन अस्पताल में ही 140 से अधिक मरीज भर्ती, 7 की मौत

राजधानी में कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे है। गुरुवार को तीन अस्पताल में ही 140 से अधिक मरीज भर्ती थे। वहीं, इन अस्पताल में 7 से अधिक मरीज की मौत हो चुकी है। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 80 मरीज भर्ती है। यहां पर 3 मरीजों की मौत हो चुकी है। एम्स में भी करीब 30 मरीज भर्ती है।इसके अलावा बंसल अस्पताल में भी 30 मरीज भर्ती है। सभी अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेशन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाने के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। दरअसल मरीज के ऑपरेशन के बाद उसे एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन नहीं दिया गया तो फंगस के फिर से बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।

ग्वालियर: सभी बेड फुल, नया वार्ड तैयार किया

जयारोग्य अस्पताल में कग़्च्र् (कान, नाक, गला विभाग) डिपार्टमेंट के 20 बेड इस समय फुल हो गए हैं। लगातार केस आने पर जिला अस्पताल के भी बेड फुल हैं। अब ख्ॠक्त की पत्थर वाली बिल्डिंग में 43 बेड का नया वार्ड तैयार कर दिया गया है। साथ ही जिला अस्पताल मुरार में भी इसके लिए बेड बढ़ाए जा रहे हैं। शहर में पोस्ट कोविड सेंटर भी बनाए जा रहे हैं। जिससे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने वाले पेशेंट को वहां रखकर निगरानी की जा सके।

जबलपुर: 20 की सर्जरी हो चुकी है

मेडिकल कॉलेज में दो वार्ड 66 बेड के बनाए गए हैं। वर्तमान 64 मरीज हैं। निजी अस्पतालों में 45 मरीज भर्ती हैं। अब तक 125 मरीज मिल चुके हैं। 7 डाउटफुल डिस्चार्ज कर दिया है। 20 की सर्जरी कर चुके हैं। पिछले तीन दिन से दवाएं उपलब्ध हैं। कई मरीज सिर्फ दवा खा रहे हैं। इसमें हर मरीज को रोज की दवा दी जा रही है। इंडोस्कोपी के माध्यम से तय करते हैं कि ऑपरेशन करना है या नहीं।

उज्जैन: 58 मरीज भर्ती हैं

कोरोना से पूर्व उज्जैन शहर में साल में दो या चार मरीज ही सामने आते थे। लेकिन आज करीब 58 मरीज संक्रमित है। पहले कैंसर, किडनी और शुगर के पेशेंट में ही यह बीमारी होती थी। इसका प्रतिशत बहुत कम होता था।

ब्लैक फंगस का मुफ्त इलाज

मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का इलाज सरकार पूरी तरह फ्री करेगी। इसके लिए देश का पहला सेंटर भी भोपाल और जबलपुर में बनाया जा रहा है। भोपाल में ही 239 संक्रमित मिल चुके हैं। जबकि इंदौर में यह संख्या वर्तमान में 120 है, लेकिन मरीजों को एंटी ब्लैक फंगस इंजेक्शन के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

ग्वालियर ने मांगे 2 हजार डोज

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि आपात स्थिति को देखते हुए ग्वालियर के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी (क्ग्क्तग्र्) ने 2 हजार इंजेक्शन की डिमांड भोपाल स्वास्थ्य विभाग को भेजी है। सीएमएचओ ने कहा है कि शहर के जयारोग्य और जिला अस्पताल में इन मरीजों के लिए अलग वार्ड तैयार कर इलाज हो रहा है।

प्राइवेट अस्पतालों को भी दिए जाएंगे इंजेक्शन

ब्लैक फंगस के इलाज में लगने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों के अलावा प्राइवेट अस्पतालों को भी उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रदेश में ढाई हजार एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन प्राप्त हो गए हैं, जबकि 10 हजार इंजेक्शन शीघ्र ही मॉयलान कम्पनी के प्रदेश को प्राप्त हो जाएंगे।

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