MP : ब्लैक फंगस : छिंदवाड़ा-खंडवा में 0 मरीज, इंजेक्शन 47; रीवा में 29 मरीज, डोज 0

 

MP : ब्लैक फंगस : छिंदवाड़ा-खंडवा में 0 मरीज, इंजेक्शन 47; रीवा में 29 मरीज, डोज 0

ब्लैक फंगस के मरीज भले ही कम हो रहे हों, लेकिन इसके इलाज में इस्तेमाल हो रहे एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन के बंटवारे में बड़ी खामी सामने आई है। प्रदेश में ब्लैक फंगस के अभी 1056 मरीज भर्ती हैं। इनमें 47 गंभीर हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के मरीजों को इंजेक्शन मिल नहीं पा रहे।

एक मरीज को एक दिन में तीन से चार इंजेक्शन लगते हैं, लेकिन कई मरीजों को पूरा डोज भी नहीं मिल पा रहा। जबकि छिंदवाड़ा, खंडवा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एक भी मरीज भर्ती नहीं हैं, लेकिन वहां तीन दिन से 47 इंजेक्शन (क्रमश: 11 और 36) स्टॉक पर रखे हैं।

रतलाम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में इन मरीजों के लिए 10 बेड रिजर्व हैं। इन पर सिर्फ एक मरीज भर्ती है, लेकिन इसके इलाज के लिए दवा स्टोर में 55 इंजेक्शन रखे हैं। वहीं, रीवा के एसएस मेडिकल कॉलेज में 29 मरीज भर्ती हैं, तीन की हालत गंभीर है, लेकिन यहां एक भी इंजेक्शन नहीं है। यह जानकारी स्वास्थ्य संचालनालय की आईडीएसपी सेल द्वारा मंगलवार को बनाई गई सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ब्लैक फंगस के मरीजों की स्टेटस रिपोर्ट से मिली है।

पांच मेडिकल कॉलेजों में अब तक एक भी मरीज की नेजल एंडोस्कोपी नहीं हुई

ब्लैक फंगस के महामारी घोषित हुए 20 दिन बीत चुके हैं। लेकिन, राज्य के पांच मेडिकल कॉलेज (छिंदवाड़ा, शहडोल, विदिशा, खंडवा , दतिया) ऐसे हैं, जहां अब तक एक भी संदिग्ध मरीज की नेजल एंडोस्कोपी नहीं हुई है, क्योंकि यहां कोई मरीज भर्ती ही नहीं हुआ है। जबकि इसके संक्रमण को रोकने के लिए कोविड पॉजिटिव और कोविड रिकवर मरीजों की नेजल एंडोस्कोपी कर संक्रमितों की पहचान करने के निर्देश चिकित्सा शिक्षा संचालनालय 15 दिन पहले दे चुका है।

प्राइवेट वाले 353 मरीजों के लिए 850 इंजेक्शन यानी आधी खुराक भी नहीं

बता दें कि प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 703 और 47 निजी अस्पतालों में म्युकरमायकोसिस के 353 मरीज इलाज ले रहे हैं। इनमें सर्वाधिक 349 मरीज इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं। भोपाल में 117 मरीज इलाज ले रहे हैं। इन 353 मरीजों के लिए मंगलवार को ही 850 एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन अस्पतालों को दिए गए। मरीजों की संख्या के हिसाब से ये इंजेक्शन कम हैं। कई अस्पतालों में मरीजों को आधी खुराक भी नहीं मिल पा रही है।

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