MP : सावन में शिव की आराधना का महत्व : सबसे पहले पढिए ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के बारे में, गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में लिखा है....

 

MP : सावन में शिव की आराधना का महत्व : सबसे पहले पढिए ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के बारे में, गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में लिखा है....

भोपाल . हिंदू पंचांग का पांचवां महीना है सावन। यह वो माह है जिसमें भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं और भगवान शिव के अधीन होती है सृष्टि। ऐसे में शिव की आराधना का महत्व और बढ़ जाता है। गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में लिखा है-

संभु सहज समरथ भगवाना

ऐहि बिबाहं सब विधि कल्याना।

दुराराध्य पै अहहिं महेसू

आसुतोष पुनि किएं कलेसू।।

यानि शिवजी सहज ही समर्थ हैं क्योंकि वे भगवान हैं। इसलिए इस विवाह में सब प्रकार का कल्याण है परंतु महादेवजी की आराधना बडी कठिन है। फिर भी क्लेश— तप करने से वे बहुत जल्द संतुष्ट हो जाते हैं।

रविवार से सावन माह प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में हम आपको प्रदेश के ऐसे प्राचीन शिव मंदिरों से रूबरू कराएंगे जो लोगों की आस्था के केंद्र हैं। इसके अंतर्गत सबसे पहले पढिए ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के बारे में

यह कथा है प्रचलित

मन्धाता द्वीप के राजा मान्धाता ने पर्वत पर कठोर तपस्या की थी। इससे शिवजी प्रसन्न हो गए और राजा से वरदान मांगने को कहा। इस पर राजा ने उनसे यहीं निवास करने का वरदान मांग लिया। इसके बाद भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजे।

ऐसे होंगे दर्शन

ओंकारेश्वर में सावन में भक्तों को कोरोना प्रोटोकाल से दर्शन करवाने के इंतजाम किए गए हैं। रोजाना दस हजार भक्त दर्शन कर सकेंगे। आनलाइन बुकिंग टोकन के जरिए 4—4 हजार और वीआईपी व्यवस्था के तहत दो हजार भक्त दर्शन कर सकते हैं। बिना थर्मल स्क्रीनिंग, बिना मास्क व कोविड टीके के प्रमाणपत्र के बिना प्रवेश नहीं मिलेगा।

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