REWA : टोंस वाटरफाल, आल्हा घाट और घिनौची धाम पियावन को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी : 1 करोड़ की लागत से बने तीनों मनोरंजन केन्द्रों को वन विभाग चलने में असफल

 

REWA : टोंस वाटरफाल, आल्हा घाट और घिनौची धाम पियावन को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी : 1 करोड़ की लागत से बने तीनों मनोरंजन केन्द्रों को वन विभाग चलने में असफल

रीवा जिले के वन परिक्षेत्र सिरमौर अंतर्गत टोंस वाटरफाल, आल्हा घाट और घिनौची धाम पियावन को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी वन महकमे ने शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो 1 करोड़ की लागत से विकसित तीनों मनोरंजन केन्द्रों को चलाने में वन विभाग असफल रहा है। ऐसे में इन स्थानों को वन समितियों के माध्यम से लीज पर देने का विचार है।

यदि वन समितियां तैयार नहीं होती हैं तो पीपीओ माडल के रूप में तीनों मनोरंजन केन्द्रों को निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा। हालांकि वन विभाग ने ग्राम वन समितियों को पत्र लिखकर जानकारी दे दी है, लेकिन अभी तक किसी भी समिति ने सहमति नहीं दी है।

वन मंडलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि तीनों मनोरंजन केन्द्रों को ग्राम वन समिति को सौंपने पर स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना तो बढ़ेगी ही साथ ही पर्यटन केन्द्रों की सुरक्षा और देखरेख भी व्यवस्थित ढंग से हो सकेगी। अभी हाल में वन मुख्यालय से इस संबंध में पत्र आया था।

जिस पर वन विभाग ने मनोरंजन स्थलों को लीज पर देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि सिरमौर वन परिक्षेत्र के तीनों मनोरंजन स्थल प्राकृतिक है। साथ ही वन विभाग ने विकसित कर मनोरंजन स्थल का स्वरूप दिया है। जिससे लोग आकर कुछ समय व्यतीत कर सकें।

वन विभाग को राजस्व की चिंता

क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग को सिर्फ अपने राजस्व की चिंता है। एक वर्ष पूर्व टोंस वाटर फाल में आने वाले पर्यटकों से प्रवेश के नाम पर अलग-अलग राशि ली जाती थी। पैदल और साइकिल में आने वाले लोगों से 10 रुपये, दुपहिया वाहन से 25 रुपये और चार पहिया वाहनों से 100 रुपये बतौर प्रवेश शुल्क ली जाती हैं। यदि पीपीपी मॉडल के तहत इन मनोरंजन स्थलों को निजी हाथों में दे दिया जाएगा। तो माना जा रहा है कि इन स्थलों पर आने वाले लोगों से प्रवेश शुल्क के नाम पर ज्यादा राशि ली जाएगी।

टोंस वाटर फाल:

सिरमौर तहसील मुख्यालय से 10 किमी. दूर स्थित टोंस वाटर फाल को 36 लाख 50 हजार की लागत से मनोरंजन केन्द्र बनाया गया है। फिलहाल यह वाटरफाल एक वर्ष से बंद है। लेकिन इसके पहले काफी संख्या में यहां लोग आते थे। यहां पर फेसिंग एवं रेलिंग के लिए 15 लाख, मुख्य गेट एक लाख, पैगोड़ा 4.50 लाख, पार्किंग स्थल दो लाख, पेयजल व्यवस्था चार लाख, प्रशाधन सुविधा पांच लाख, प्रकृति पथ एक लाख, सिटआउट दो लाख, पौधरोपण एवं अन्य में दो लाख रुपए खर्च हुआ था।

घिनौची धाम पियावन:

इसी वन परिक्षेत्र में घिनौची धाम पियावन भी लोगों की आस्था का केन्द्र है। इसका सौन्दर्यीकरण 35 लाख 50 हजार रुपये में कराया गया है। यहां मनमोहक घाटी के अलावा 200 फिट की ऊंचाई से जलधारा गिरती है। साथ ही अति प्राचीन शिवलिंग और यहां पहाड़ियों में उकेरे प्राचीन शैल चित्र भी हैं। चट्टानों में उकेरे गए प्रागैतिहासिक शैल चित्र, जो इस क्षेत्र की गौरव गाथा भी बताते हैं। दो अद्भुत सर्पिलाकार चट्टानें अपने आप में अद्भुत हैं। इसके आलावा मां पार्वती की साक्षात दिव्य प्रतिमा भी मौजूद है।

आल्हा घाट:

सिरमौर तहसील मुख्यालय से 8 किमी की दूरी पर स्थित आल्हा घाट में आल्हा की पत्थर पर उकेरी प्रतिमा है। इसके अलावा डेढ़ सौ फिट की ऊंचाई से यहां पानी नीचे गिरता है। साथ ही वहां कई गुफाएं भी बताई गई हैं। यहां वन विभाग ने 28 लाख 50 हजार की लागत से निर्माण कार्य कराया है। वन सीमा में होने की वजह से वन विभाग इन स्थलों को विकसित कर विभागीय स्तर पर इसकी देखरेख और संचालन कर रहा है।

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