UP : प्रॉपर्टी डीलर की संदिग्ध मौत का मामला : गोरखपुर कांड को लेकर राजनीतिक बवाल, सपा-बसपा-कांग्रेस के निशाने पर भाजपा : गिरफ्तारी ना होने पर उठ रहें सवाल

 

UP : प्रॉपर्टी डीलर की संदिग्ध मौत का मामला : गोरखपुर कांड को लेकर राजनीतिक बवाल, सपा-बसपा-कांग्रेस के निशाने पर भाजपा : गिरफ्तारी ना होने पर उठ रहें सवाल

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हुई संदिग्ध मौत का मामला गंभीर हो रहा है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने ये बताया है कि मनीष की मौत पिटाई की वजह से ही हुई है. इस मामले में 3 पुलिसवालों समेत 6 लोगों पर एफआईआर हुई है, कई पुलिसवालों को सस्पेंड भी किया गया है. लेकिन अब विपक्ष ने सवाल किया है कि घटना के करीब चार दिन बाद भी इस मामले में कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है. इसी मसले पर विपक्ष और सरकार के बीच तकरार जारी है.

अखिलेश यादव ने राज्य सरकार को घेरा

समाजवादी पार्टी के प्रमुख और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर प्रदेश सरकार को घेरा. अखिलेश यादव ने लिखा कि ‘मनीष गुप्ता हत्याकांड’ में पुलिसवालों की गिरफ़्तारी न होना ये दर्शाता है कि वो फ़रार नहीं हुए हैं उन्हें फ़रार कराया गया है. दरअसल कोई आरोपियों को नहीं बल्कि ख़ुद को बचा रहा है क्योंकि इसके तार ‘वसूली-तंत्र’ से जुड़े होने की पूरी आशंका है. ‘ज़ीरो टालरेंस’ भी भाजपाई जुमला है.

प्रियंका गांधी और मायावती भी हमलावर 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस मुद्दे को लेकर यूपी सरकार पर हमलावर हैं. प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को इस मसले पर ट्वीट किया और कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश की किस तरह की छवि बना रहे हैं. एक निर्दोष कारोबारी की निर्मम हत्या के बाद जिलास्तर के अधिकारी एफआईआर न करने का दबाव बनाते रहे व प्रदेशस्तर के बड़े अधिकारी ने आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने वाली बयानबाजी की. ऐसे अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए.

बसपा प्रमुख मायावती भी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर चुकी हैं. मायावती द्वारा गुरुवार को इस विवाद को लेकर ट्वीट किया गया. मायावती ने कहा कि यूपी सीएम के गृह जनपद गोरखपुर की पुलिस द्वारा तीन व्यापारियों के साथ होटल में बर्बरता व उसमें से एक की मौत के प्रथम दृष्टया दोषी पुलिसवालों को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास घोर अनुचित है. 

यूपी की पूर्व सीएम ने कहा कि घटना की गंभीरता व परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जांच जरूरी है. आरोपी पुलिसवालों के विरुद्ध पहले हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं करना, किन्तु फिर जनआक्रोश के कारण मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं करना सरकार की नीति व नीयत दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है. 

योगी के निशाने पर विपक्ष

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बीते दिन मनीष गुप्ता के परिवार से मुलाकात की थी. मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी द्वारा जो मांगें रखी गई, उसको लेकर सीएम योगी को अवगत कराया गया. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस विवाद पर ट्वीट किया और सही एक्शन लेने की बात की, साथ ही साथ विपक्ष को भी घेरा. 

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिखा कि गोरखपुर में हुई दु:खद घटना का दोषी कोई भी हो, किसी भी पद पर हो, वह किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. सबकी जवाबदेही तय की जाएगी, अपराधी सिर्फ अपराधी होता है. घटना के बाद अधिकारियों को निर्देशित कर तत्काल मुकदमा दर्ज कराया गया. जनपद कानपुर तो अपराध व अपराधियों के खिलाफ हमारी 'जीरो टॉलरेंस नीति' का जीता जागता उदाहरण है.

विपक्ष पर हमला करते हुए यूपी सीएम ने लिखा कि पीड़ित की पीड़ा के साथ जुड़ना हमारा दायित्व है. सरकार हर कदम पर परिवार के साथ है, हर कीमत पर उन्हें त्वरित न्याय मिलेगा. मेरी संवेदनाएं उनके साथ हैं. राजनीति का अपराधीकरण करने वाले, अपराधियों को संरक्षण देकर उन्हें सत्ता में काबिज कराकर विकास परियोजनाओं पर डकैती डालने वाले आज नागरिकों के पास जाकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. 

गोरखपुर कांड में अबतक क्या-क्या हुआ?

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की गोरखपुर में संदिग्ध मौत हुई. होटल में रुके मनीष गुप्ता की मौत बर्बर पिटाई के कारण हुई, जिसका आरोप पुलिसवालों पर लगा. इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया, जिसमें 3 पुलिसवालों और 3 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज हुआ. पुलिसवालों द्वारा होटल में घुसकर मारपीट की गई, बाद में जब मनीष की हालत बिगड़ी तो अस्पताल में मनीष गुप्ता को मृत घोषित किया गया.

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