MP : विंध्य ने खोया एक और सपूत : दो आतंकियों को मार देश के लिए कुर्बान हुआ सतना का कर्णवीर

 

      MP : विंध्य ने खोया एक और सपूत : दो आतंकियों को मार देश के लिए कुर्बान हुआ सतना का कर्णवीर

सतना। कश्मीर के शोपियां में एनकाउंटर में सतना के वीर जवान कर्णवीर सिंह राजपूत अपना शौर्य दिखाते हुए वीर गति को प्राप्त हो गए। 26 साल के कर्णवीर सतना शहर के रहने वाले रिटायर्ड फौजी राजू सिंह के बेटे थे। बेटे की शहादत की खबर परिजनों तक पहुंच चुकी है। दो आतंकियों को मारने के बाद गोलीबारी में वे जख्मी हो गए थे। कर्णवीर 21 राजपूत रेजिमेंट 44RR में तैनात थे।

शहीद हुए कर्णवीर वैसे तो मूलत: सतना जिले के ग्राम दलदल के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि रात से आतंकियों के साथ चल रही मुठभेड़ में सतना के कर्णवीर मोर्चा संभाले थे, लेकिन सुबह करीब 4 बजे आतंकियों की गोली उनके सिर और सीने पर लगी। इस मुठभेड़ में पांच और जवान घायल हुए हैं।

दाे भाई में छोटे थे कर्णवीर

दो भाइयों में कर्णवीर छोटे थे। अभी उनकी शादी नहीं हुई थी। मंगलवार को सुबह उन्होंने पिता से बात की थी, लेकिन फिर उन्होंने फोन नहीं उठाया। बुधवार दोपहर 12 बजे पिता को सूचना मिली कि उनके लाल ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी है। यह खबर मिलते ही क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया। मां की तबीयत बिगड़ गई। उधर, शहादत की खबर मिलते ही विधायक रामपुर विक्रम सिंह विक्की और अपर कलेक्टर राजेश शाही शहीद के घर पहुंच गए।

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दो महीने पहले आए थे सतना

जानकारी के मुताबिक, आतंकी कार से आए थे। उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। क्रॉस फायरिंग में कर्णवीर शहीद हो गए। वह 2017 में सूबेदार पद पर सेना में भर्ती हुए थे। दो महीने पहले ही वे सतना आए थे। शहीद के पिता रवि कुमार सिंह भी सेना में सूबेदार थे।

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‘मुझे गर्व है बेटे की शहादत पर’

शहीद कर्णवीर सिंह के पिता रिटायर्ड मेजर रवि कुमार सिंह का कहना है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। मैं सीना चौड़ा कर के चल सकता हूं। मरना जीना तो लगा रहता है, लेकिन सेना में इज्जत -सम्मान है, इसलिए मैंने अपने बेटे को भी सेना में भेजा था। उन्होंने बताया कि कल आखिरी बार जब बात हुई थी तब कर्णवीर ने कहा था कि अगली बार 10 -12 दिन की छुट्टी लेकर आउंगा तब आपको दिल्ली हॉस्पिटल में दिखाने ले चलूंगा। आज ये खबर आ गई। दादा सूर्य प्रताप सिंह ने कहा मेरा नाती आतंकियों को मार के मरा। वो कर्णवीर था। मेरा बेटा भी फौज में था और मेजर बन कर 32 साल की नौकरी से रिटायर हुआ। बेटे की सकुशल घर वापसी की खुशी भी थी और अब नाती की शहादत का गर्व भी है।

आज ही था जन्मदिन

ये भी इत्तेफाक है कि जिस दिन शहीद कर्णवीर की शहादत की खबर आई, उसी दिन तिथि के अनुसार उनका जन्म दिन भी है। हालांकि उनका जन्म 28 नवंबर 1998 को हुआ था। उस दिन भी शरद पूर्णिमा ही थी। कर्णवीर की प्रारम्भिक शिक्षा ग्राम हटिया में अपनी मौसी के यहां हुई थी। सैनिक स्कूल रीवा में उनका दाखिला हुआ। वे महू के सैनिक स्कूल में भी पढ़े। उनका सेलेक्शन भी महू से ही हुआ।

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