420 यानी चीटिंग, ठगी या धोखाधड़ी! कोई आपके साथ करता है चार सौ बीसी तो उसकी सजा क्या होगी?

 

420 यानी चीटिंग, ठगी या धोखाधड़ी! कोई आपके साथ करता है चार सौ बीसी तो उसकी सजा क्या होगी?

धोखाधड़ी के छोटे-मोटे मामले तो आपस में सुलझाए जा सकते हैं, लेकिन बेईमानी बड़ी हो तो इसके लिए पुलिस में शिकायत की जा सकती है. थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है.

1/5जब हमसे कोई ठगी की कोशिश करता है तो हमलोग अक्सर बोलचाल में 420 संख्या का प्रयोग करते हैं कि देखो, हमसे चार सौ बीसी करने का प्रयास मत करो, नहीं तो पुलिस कंप्लेन कर देंगे. 420 यानी छल, फ्रॉड, ठगी, धोखाधड़ी. आखिर इन सबके लिए 420 संख्या का ही इस्तेमाल क्यों किया गया है? इसके पीछे है, हमारे देश का कानून. आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 420. 

जब हमसे कोई ठगी की कोशिश करता है तो हमलोग अक्सर बोलचाल में 420 संख्या का प्रयोग करते हैं कि देखो, हमसे चार सौ बीसी करने का प्रयास मत करो, नहीं तो पुलिस कंप्लेन कर देंगे. 420 यानी छल, फ्रॉड, ठगी, धोखाधड़ी. आखिर इन सबके लिए 420 संख्या का ही इस्तेमाल क्यों किया गया है? इसके पीछे है, हमारे देश का कानून. आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 420.

2/5अब जान लीजिए ​कि आईपीसी की धारा 420 है क्या. यह धारा वैसे व्यक्ति पर लगाई जाती है, जो किसी दूसरे व्यक्ति से धोखाधड़ी करे, बेईमानी करे या झांसे में लेकर कोई सामान, पैसे या संपत्ति हड़प ले. धोखाधड़ी के छोटे-मोटे मामले तो आपस में सुलझाए जा सकते हैं, लेकिन बेईमानी बड़ी हो तो इसके लिए पुलिस में शिकायत की जा सकती है. पुलिस थाने में धारा 420 के तहत एफआईआर यानी प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है. 

अब जान लीजिए ​कि आईपीसी की धारा 420 है क्या. यह धारा वैसे व्यक्ति पर लगाई जाती है, जो किसी दूसरे व्यक्ति से धोखाधड़ी करे, बेईमानी करे या झांसे में लेकर कोई सामान, पैसे या संपत्ति हड़प ले. धोखाधड़ी के छोटे-मोटे मामले तो आपस में सुलझाए जा सकते हैं, लेकिन बेईमानी बड़ी हो तो इसके लिए पुलिस में शिकायत की जा सकती है. पुलिस थाने में धारा 420 के तहत एफआईआर यानी प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है.

3/5कानून की धारा 420 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ छल-कपट करता है, धोखा देता है, बेईमानी से उसकी बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति हड़पता है, उसे नष्ट करता है या इस काम में किसी दूसरे की मदद करता है तो उसके खिलाफ इसी धारा के तहत कार्रवाई की जा सकती है. कोई व्यक्ति स्वार्थ के लिए दूसरे के साथ जालसाजी करके, नकली हस्ताक्षर कर के, आर्थिक या मानसिक दबाव बनाकर दूसरे की संपत्ति को अपने नाम करता है तो उसके खिलाफ धारा 420 लगाई जाती है.

कानून की धारा 420 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ छल-कपट करता है, धोखा देता है, बेईमानी से उसकी बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति हड़पता है, उसे नष्ट करता है या इस काम में किसी दूसरे की मदद करता है तो उसके खिलाफ इसी धारा के तहत कार्रवाई की जा सकती है. कोई व्यक्ति स्वार्थ के लिए दूसरे के साथ जालसाजी करके, नकली हस्ताक्षर कर के, आर्थिक या मानसिक दबाव बनाकर दूसरे की संपत्ति को अपने नाम करता है तो उसके खिलाफ धारा 420 लगाई जाती है.

4/5इस अपराध के लिए आईपीसी की धारा 420 के तहत अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान है. साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. यानी इसमें थाने से बेल नहीं मिलती. ऐसे मामलों में जज अदालत में फैसला करते हैं. हालांकि अदालत की अनुमति से दोनों पक्षों के बीच सुलह भी हो सकती है. 

इस अपराध के लिए आईपीसी की धारा 420 के तहत अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान है. साथ ही दोषी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. यानी इसमें थाने से बेल नहीं मिलती. ऐसे मामलों में जज अदालत में फैसला करते हैं. हालांकि अदालत की अनुमति से दोनों पक्षों के बीच सुलह भी हो सकती है.

5/5इस तरह के मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट (First Class Judicial Magistrate) की अदालत में होती है. ​इसमें जिरह के बाद जज कारावास और जुर्माना निर्धारित करते हैं. वहीं जमानत लेने के लिए आरोपी को बॉन्ड भरकर आग्रह करना पड़ता है. आरोपी सेशंस कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन कर सकता है. मामले की गंभीरता के आधार पर जज बेल मंजूर या नामंजूर करने का अधिकार रखते हैं.  

इस तरह के मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट (First Class Judicial Magistrate) की अदालत में होती है. ​इसमें जिरह के बाद जज कारावास और जुर्माना निर्धारित करते हैं. वहीं जमानत लेने के लिए आरोपी को बॉन्ड भरकर आग्रह करना पड़ता है. आरोपी सेशंस कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन कर सकता है. मामले की गंभीरता के आधार पर जज बेल मंजूर या नामंजूर करने का अधिकार रखते हैं.

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