MP में पंचायत चुनाव निरस्त कैबिनेट ने लगाई मुहर : राजभवन भेजा गया प्रस्ताव

 

MP में पंचायत चुनाव निरस्त कैबिनेट ने लगाई मुहर : राजभवन भेजा गया प्रस्ताव

शिवराज कैबिनेट ने पंचायत चुनाव निरस्त कराने के लिए मुहर लगा दी है। कैबिनेट ने रविवार को पंचायती राज संशोधन अध्यादेश को वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर साफ कर दिया कि प्रदेश में फिलहाल पंचायत चुनाव नहीं होंगे। यह प्रस्ताव राजभवन भेज दिया गया है। अध्यादेश वापस लेने की अधिसूचना देर शाम जारी हो सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार दोपहर बाद राज्यपाल मंगुभाई पटेल से मुलाकात कर स्थिति से अवगत कराया। राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव पर अगला फैसला देर शाम या कल ले सकता है।

राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के अध्यादेश लागू होने के बाद परिसीमन और आरक्षण की नई व्यवस्था के आधार पर ही पंचायत चुनाव किए जा रहे हैं, लेकिन अब चल रही प्रक्रिया को रोकना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि विधानसभा के संकल्प और अध्यादेश वापस लेने की अधिसूचना जारी होने के बाद मौजूदा चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया जाएगा।

कैबिनेट की बैठक के बाद डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश सरकार पंचायत राज संशोधन अध्यादेश वापस ले रही है। इस पर विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत होना था, लेकिन नहीं हो सका। अब सरकार राज्यपाल से इस अध्यादेश को वापस करने का प्रस्ताव देंगे। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि राज्यपाल के हस्ताक्षर हो जाने के बाद निर्वाचन आयोग के सामने कोई और विकल्प होगा नहीं। क्योंकि, इसी अध्यादेश के आधार पर चुनाव कराए जा रहे थे।

कांग्रेस ने खड़ा किया बखेड़ा: पंचायत मंत्री

पंचायती में ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि अध्यादेश को पारित किए बिना ओबीसी आरक्षण और परिसीमन नहीं किया जा सकता हैl अब आगे की प्रक्रिया राज्य निर्वाचन आयोग को सुनिश्चित करना है। चुनाव कराने या न कराने का फैसला निर्वाचन आयोग को करना है। सरकार ने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी हैl

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने शुरू से ही पंचायत चुनाव में विवाद खड़ा करने का प्रयास किया है। कांग्रेस के लोगों ने कोई ऐसी अदालत नहीं छोड़ी जहां पंचायत चुनाव के विरोध में नहीं गए। मुख्यमंत्री शुरुआत से ही इस बात को लेकर प्रतिबद्ध थे कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव न हो। सदन में अपरिहार्य कारणों से संशोधन विधेयक पारित नहीं हो पाया और सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश था।

विधानसभा में पेश नहीं हुआ पंचायत राज संशोधन विधेयक

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने पंचायत राज संशोधन विधेयक पेश नहीं किया है। सरकार ने मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश-2021 लागू किया था। इसके तहत पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच सरकार ने ऐसी पंचायतों के परिसीमन को निरस्त कर दिया है, जहां बीते एक साल से चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसी सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था ही लागू कर दी गई थी। जो पद, जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वही रखा गया था।

शिवराज ने 24 दिसंबर को बुलाई थी बैठक

ओबीसी आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 दिसंबर को मंत्रालय में बैठक बुलाई थी। इसमें पंचायत चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट को किस तरह लागू करने पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट पर अन्य राज्य क्या फैसला ले रहे हैं? यह पता लगाएं। यह जानकारी भी जुटाएं कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मध्यप्रदेश की तरह अन्य राज्य पुनर्विचार याचिका दायर करने जैसे विकल्पों पर जा रहे हैं या नहीं?

आयोग 3 माह में करेगा ओबीसी पर रिपोर्ट

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी की आबादी जिले व तहसीलवार तैयार कर रिपोर्ट बनाएगा। आयोग के अध्यक्ष डाॅ. गौरी शंकर बिसेन ने बताया कि इस काम में कम से कम 3 माह का समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कहा गया है कि प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट लागू करने के लिए राज्यस्तरीय आयोग के गठन की स्थापना करने का उल्लेख है। यह आयोग इस वर्ग की आबादी की गणना कर सिफारिश सरकार को देगा। इसके आधार पर आरक्षण तय किया जाएगा।

आरक्षण में करना होगा ट्रिपल टेस्ट का पालन

सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाए। OBC के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करे। अदालत ने कहा कि कानून का पालन नहीं होगा, तो चुनाव रद्द किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी को करेगा।

सीएम ने कहा था - सभी वर्गों का कल्याण है लक्ष्य

सीएम ने एक दिन पहले ही विधानसभा में कहा था कि हमारी सरकार सभी वर्गों के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि चाहे सामान्य वर्ग हो, पिछड़ा वर्ग हो और SC-ST हो, सबकी भलाई और सब का कल्याण यह हमारा लक्ष्य है, सामाजिक न्याय और सामाजिक समरसता के साथ हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए सामान्य वर्ग के गरीबों को भी 10% आरक्षण देने का काम इसी सरकार ने किया है। ओबीसी को भी 27% आरक्षण मिले वह भी हमने किया है।

आयोग के सामने क्या है संकट

निर्वाचन आयोग के सामने संकट यह है कि भले ही ओबीसी सीटों पर निर्वाचन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है, लेकिन सभी सीटों का रिजल्ट एक साथ घोषित कराना है। यह निर्देश आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। अब सरकार नए सिरे से आरक्षण करती है, तो इसमें वक्त लगेगा। ऐसे में जिन सीटों में बदलाव होगा। वहां मतदान समय पर हो पाना संभव नहीं लगता।

सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र स्थानीय चुनाव के लिए यह था निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों में 27% OBC के लिए आरक्षित सीटों के अध्यादेश को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने अपने 6 दिसंबर के आदेश में तब्दीली से इनकार कर दिया। कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग अपनी पिछली अधिसूचना में बदलाव करते हुए हफ्ते भर में नई अधिसूचना जारी करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिसूचना में पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण के प्रावधान को रद्द कर दिया। इसके बाद बाकी बची 73% सीटें सामान्य श्रेणी के लिए रखे जाने की नई अधिसूचना एक हफ्ते में जारी करने का आदेश राज्य निर्वाचन आयोग को दिया है।

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