REWA : रीवा वासियों के लिए राहत की खबर : पांच दिन तक आइसोलेट रहे महिला क्रिकेट टीम के कोच की रिपोर्ट आई निगेटिव

 
REWA : रीवा वासियों के लिए राहत की खबर : पांच दिन तक आइसोलेट रहे महिला क्रिकेट टीम के कोच की रिपोर्ट आई निगेटिव

महिला क्रिकेट टीम के 27 वर्षीय कोच की रिपोर्ट निगेटिव आते ही रीवा शहर कोरोना मुक्त हो चुका है। ​कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल बिछिया में पांच दिन तक आइसोलेट रहे कोच को 24 दिसंबर की शाम को छुट्टी दे दी गई थी।

हालांकि एहतियात के तौर पर 15 सदस्यों वाला संयुक्त परिवार अभी भी होम क्वारंटाइन है। स्वास्थ्य महकमे की मानें तो कोच के परिवार वालों की कोरोना रिपोर्ट पहले से ही निगेटिव थी। फिर भी कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच सख्ती बरती गई है।

न कहीं गया, न कहीं से आया, फिर भी रिपोर्ट पॉजिटिव

मीडिया से बातचीत में आइसोलेट मरीज (महिला क्रिकेट टीम का कोच) ने बताया कि दिसंबर के लास्ट में टीम को प्रतियोगिता में भाग लेने ग्वालियर जाना था। ऐसे में वे अपनी टीम को लेकर कोरोना जांच कराने संजय गांधी अस्पताल पहुंचे थे। जहां 20 दिसंबर को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। हालांकि टीम के अन्य सदस्य और पूरा परिवार निगेटिव आया था।

लग चुके है वैक्सीन के दोनों डोज

कोच ने कहा कि मुझे वैक्सीन के दोनों डोज बहुत पहले ही लग चुके है। वहीं मैं तीन-चार माह से न कहीं गया हूं, न कहीं से आया। फिर भी रिपोर्ट पॉजिटिव आना दुर्भाग्य की बात है। पॉजिटिव आने के बाद मैं खुद जिला अस्पताल पहुंचकर शासन-प्रशासन की गाइड लाइन का पालन किया हूं। साथ ही हमारा परिवार भी जिला प्रशासन के निशा निर्देशों को मान कर चला है।

आइसोलेट मरीज की दिनचर्चा

जिला अस्पताल में आइसोलेट रहे कोच ने बताया कि मेरे सिम्टम्स पहले न अब कोरोना पॉजिटिव की तरह नहीं थे। ​फिर भी 5 दिन तक गाइड लाइन की तरह आइसोलेट रहा हूं। सुबह 6 बजे नित्य कार्यों से निवृत्त होकर 7 बजे चाय नास्ता मिलता था। इसके बाद 8 से 9 बजे के बीच एंटीबायोटिक और विटामिन दवा खाते थे। दोपहर में स्नान के बाद खाना मिलता था। इसके बाद मोबाइल देखकर थोड़ा रेस्ट करते थे। शाम होते ही चाय और बिस्किट मिलती थी। इसी तरह रात में भोजन के बाद दवा खाकर सो जाता था।

जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं चकाचक

कोविड की तीसरी लहर के लिए जिला अस्पताल में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर के अंदर व्यवस्थाएं चकाचक थी। हालांकि इसके पीछे का रीजन ये भी है कि मैं इकलौता मरीज था। पर अस्पताल के कोविड वार्ड में साफ-सफाई, बेड-बिस्तर, खाना-पीना अच्छा था। वहां जाने के बाद ऐसा नहीं लगा कि घर से बाहर हूं। क्योंकि पूरा स्वास्थ्य अमला देख-रेख में लगा था।

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