कैंडल से जगमग हुआ कारोबार : 50 साल की सीमा आज देशभर में मार्केटिंग कर कमा रहीलाखों, हर महीने 500 से ज्यादा ऑर्डर

 

कैंडल से जगमग हुआ कारोबार : 50 साल की सीमा आज देशभर में मार्केटिंग कर कमा रहीलाखों, हर महीने 500 से ज्यादा ऑर्डर

नई दिल्ली. जरा सोचिए आप घर में परिवार के साथ बैठे हैं। किस्से, कहानियां और बातचीत हो रही है। इसी बीच आपको कुछ नया शुरू करने का ख्याल आता है। बाकी लोगों की भी सहमति मिलती है और फिर उसकी प्लानिंग शुरू हो जाती है। कुछ दिनों बाद वही प्लान बिजनेस में तब्दील हो जाता है और उससे अच्छी खासी कमाई भी होने लगती है। है न शानदार!

दिल्ली की रहने वाली सीमा अरोड़ा और उनके बेटे विनीत के साथ भी ऐसा ही हुआ। आज दोनों मां-बेटे मिलकर घर से ही हैंडमेड कैंडल का स्टार्टअप चला रहे हैं। वे देशभर में सोया वैक्स से बने नेचुरल कैंडल्स की मार्केटिंग कर रहे हैं। हर महीने 500 से ज्यादा ऑर्डर आ जाते हैं। इससे वे हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा का बिजनेस कर रहे हैं।

कोविड के दौरान कैंडल देखकर आया आइडिया

50 साल की सीमा अरोड़ा हाउस वाइफ हैं। उनके बेटे विनीत बिजनेस ग्रेजुएट हैं और मार्केटिंग के फील्ड में उनका अच्छा खासा अनुभव है। कई मार्केटिंग एजेंसियों के लिए उन्होंने काम किया है।

27 साल के विनीत कहते हैं कि कोविड की फर्स्ट वेव की बात है। लॉकडाउन की वजह से हम लोग घर में थे। लंबे वक्त बाद परिवार के सभी लोग एक साथ थे। तब चारों तरफ डर और निगेटिविटी का माहौल था। हम लोग भी उसी दौर से गुजर रहे थे।

वे कहते हैं कि एक दिन मैं अपने कमरे में अकेला बैठा था। इधर-उधर की बातें सोच रहा था। सामने एक डिफ्यूजर जल रहा था। उसकी रौशनी से मुझे काफी सुकून मिल रहा था। एक अलग ही पॉजिटिव एनर्जी मिल रही थी। तब मुझे पहली बार एहसास हुआ कि निगेटिविटी से उबारने में कैंडल्स की अहम भूमिका हो सकती है।

फिर क्या था, विनीत ने इसको लेकर अपनी मां और बाकी फैमिली मेंबर्स से चर्चा की। तब उनकी मां ने सुझाव दिया कि मार्केट से कैंडल खरीदने के बजाय घर पर ही इसे बनाना चाहिए। अभी हम लोग घर में हैं और हमारे पास वक्त भी है।

इसके बाद विनीत ने अलग-अलग कैंडल्स के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। इसे तैयार करने की तरीका समझा। फिर यूट्यूब पर कई वीडियो देखे। मार्केट से उन्होंने रॉ मटेरियल मंगाया और मां के साथ मिलकर बनाना शुरू कर दिया।

दो से तीन महीने की मेहनत के बाद मिली कामयाबी

सीमा कहती हैं कि यूट्यूब पर वीडियो देखने के बाद तो लगता था कि हम भी इसे आसानी से बना लेंगे, लेकिन बनाना शुरू किया तो पता चला कि यह आसान काम नहीं है। कई बार हम वैक्स को ठीक से मेल्ट नहीं कर पा रहे थे तो कई बार फ्रेगरेंस के साथ इसे ठीक से मिला नहीं पा रहे थे। इस वजह से मनमुताबिक कैंडल नहीं बन पा रहा था।

इसके बावजूद सीमा और विनीत ने कोशिश नहीं छोड़ी। वे लगातार कोशिश करते रहे और आखिरकार उन्हें कामयाबी हाथ लगी। दो से तीन महीने की मेहनत के बाद वे एक बेहतर कैंडल बनाने में सफल रहे।

विनीत कहते हैं कि हमने ये कैंडल खुद के लिए तैयार किया था। बिजनेस जैसी बात हमारे दिमाग में नहीं थी, लेकिन जब हमने इसे अपने कुछ रिलेटिव्स को बतौर गिफ्ट दिया और उनकी तरफ से जो फीडबैक मिला, उसके बाद हमारे दिमाग ये बात आई कि इसकी मार्केटिंग की जा सकती है।

भास्कर से बातचीत में विनीत कहते हैं कि चूंकि मैं मार्केटिंग बैकग्राउंड से था। लिहाजा मेरे लिए इसे सेल करना कोई मुश्किल टास्क नहीं था। मैंने मां से बात की और उनकी सहमति के बाद तय किया कि अब इसे एक स्टार्टअप का रूप दिया जाए।

50 हजार रुपए की लागत से शुरू किया स्टार्टअप

अक्टूबर 2020 में विनीत ने Rad living नाम से कंपनी रजिस्टर की। सोशल मीडिया पर पेज बनाया और अपने प्रोडक्ट की फोटो-वीडियो अपलोड करना शुरू कर दिया। उनकी मां ने बड़े लेवल पर कैंडल्स बनाना और पैकेजिंग का काम संभाल लिया। रॉ मटेरियल और कुछ जरूरी सामान जुटाने में करीब 50 हजार रुपए खर्च हुए।

विनीत कहते हैं कि मार्केट में पहले से इस तरह के कैंडल्स हैं, लेकिन ज्यादातर पैराफिन वैक्स से बने होते हैं। इससे सेहत और पर्यावरण दोनों को नुकसान होता है। इसलिए हमने सोया वैक्स से बना कैंडल लॉन्च किया। इससे हेल्थ को कोई नुकसान नहीं होता।

इसका फायदा भी विनीत को मिला। जल्द ही उनके पास ऑर्डर आने लगे। इसके बाद उन्होंने प्रोडक्ट की वैराइटी बढ़ा दी। अपनी मां की मदद के लिए कुछ महिलाओं को काम पर रख लिया। इससे उनके बिजनेस को रफ्तार मिल गई। अभी उनके पास साइज, कलर और खुशबू के हिसाब से 150 से ज्यादा वैराइटी के कैंडल्स हैं। हर महीने उन्हें 500 से ज्यादा ऑर्डर मिल रहे हैं। नोएडा में उन्होंने अपनी यूनिट भी शुरू की है। यहां करीब 10 लोग काम करते हैं।

कैंडल्स तैयार करने की प्रोसेस क्या है?

कैंडल बनाने के लिए मोटे तौर पर इसके लिए तीन चीजों- नेचुरल वैक्स, इसेंशियल ऑयल और कॉटन की बत्ती की जरूरत होती है। सीमा बताती हैं कि कैंडल तैयार करने के लिए सबसे पहले सोया वैक्स को किसी बर्तन में रखकर गैस पर या चूल्हे पर एक फिक्स टेम्परेचर पर गर्म किया जाता है। इसके बाद उसमें इसेंशियल ऑयल मिलाया जाता है। उसके बाद दोनों के मिक्सर को कैंडल बनाने वाले डमी कंटेनर में भरा जाता है।

इस कंटेनर में बत्ती पहले से लगी हुई होती है। कुछ वक्त बाद वैक्स जम जाता है और कैंडल तैयार हो जाता है। उसके बाद डमी को उससे अलग कर लिया जाता है। जिस साइज का हमें कैंडल चाहिए, वैसे डमी या सांचे का हम इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह अलग-अलग तरह के कैंडल के लिए अलग-अलग तरह के इसेंशियल ऑयल और कलर का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी कीमत 500 रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक है।

क्यों खास है सोया वैक्स कैंडल?

दरअसल, नॉर्मल कैंडल से पैराफिन वैक्स निकलता है, जो टॉक्सिक नेचर का होता है। यह हमारी सेहत को बहुत हद तक प्रभावित करता है। इससे सांस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं। कई बार तो यह ट्यूमर और कैंसर का भी कारण बनता है।

सोया वैक्स से बना कैंडल पूरी तरह नेचुरल है। इसमें किसी तरह का केमिकल नहीं मिला होता है। इसके जलने की प्रोसेस स्लो होती है। यानी यह देर तक जलता है और यह ऊपर की फर्श को काला भी नहीं करता है। यानी आपके घर की खूबसूरती बरकरार रहती है। यह बाकी कैंडल के मुकाबले गर्माहट भी कम जेनरेट करता है। इसका एक फायदा यह भी है कि सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है।

अगर इस तरह के स्टार्टअप में आपकी दिलचस्पी है तो यह खबर जरूर पढ़ें

जयपुर में रहने वाली तनुश्री जैन 3 साल से लोकल कारीगरों के साथ मिलकर नेचुरल वैक्स की मदद से ऑर्गेनिक कैंडल तैयार कर रही हैं। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी उनके प्रोडक्ट की अच्छी डिमांड है। पिछले साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 12 लाख रुपए रहा। 

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