MP : एक नंबर के लिए लड़ी लड़ाई : 12वीं के स्टूडेंट ने दायर की याचिका, हाई कोर्ट में की 44 पेशियां

 

MP : एक नंबर के लिए लड़ी लड़ाई : 12वीं के स्टूडेंट ने दायर की याचिका, हाई कोर्ट में की 44 पेशियां

सागर के एक स्टूडेंट ने 12th की मार्कशीट में 1 नंबर बढ़वाने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल से लेकर हाईकोर्ट तक तीन साल लंबी लड़ाई लड़ी। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और जब कॉपी चेक हुई तो स्टूडेंट को 1 की जगह 28 नंबर बढ़कर मिले। छात्र ने 3 साल में 44 पेशियां की। केस लड़ने में 15 हजार रुपए खर्च भी हुए।

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कबीर मंदिर के पास परकोटा के रहने वाले हेमंत शुक्ला के बेटे शांतनु शुक्ला ने 12th की पढ़ाई एक्सीलेंस स्कूल (सागर) से की है। हेमंत ने 2018 में MP बोर्ड से 12वीं की परीक्षा 74.8% अंकों के साथ पास की थी। शांतनु का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनके मार्क्स 75% से 80% के बीच आएंगे। हालांकि 1 नंबर कम आने से उनके ओवरलऑल मार्क्स 75% भी नहीं आए। जिसकी वजह से वे मुख्यमंत्री मेधावी योजना से भी वंचित रह गए। उन्हें सबसे कम 50 नंबर बुक कीपिंग और अकाउंटिंग सब्जेक्ट में मिले थे।

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रीटोटलिंग में भी नहीं बदले मार्क्स

शांतनु ने बताया कि उन्होंने परिवार से चर्चा कर रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया, लेकिन रिजल्ट जस का तस आया। जब यहां से भी निराशा मिली तो अदालत का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल को दोबारा मूल्यांकन करने के आदेश दिए।

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कॉपी निकलवाई तो उजागर हुई बोर्ड की लापरवाही

शांतनु बताते हैं कि उन्हें भरोसा था कि उनका रिजल्ट 75% से ऊपर ही आएगा। रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया तो उसमें 1 नंबर भी नहीं बढ़ा। MP बोर्ड में अप्लाई कर बुक कीपिंग और अकाउंटिंग सब्जेक्ट की कॉपी निकलवाई। प्रश्न के उत्तर पर सही टिक लगे थे, लेकिन इसके नंबर नहीं दिए गए थे। साल 2018 में ही जबलपुर हाईकोर्ट के वकील रामेश्वर सिंह के जरिए पिटीशन लगाई।

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बोर्ड ने 6 नोटिस के बाद भी कोर्ट में पक्ष नहीं रखा

कोरोना महामारी के चलते दो सालों तक मामले में सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद जब सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट के 6 नोटिस जारी करने पर भी बोर्ड की ओर से कोई पक्ष नहीं रखा गया। पूरे मामले में करीब 44 पेशियां हुईं। कॉपी का दोबारा मूल्यांकन कराने और अधिवक्ता की फीस समेत 15 हजार रुपए खर्च हुए। 21 फरवरी को नई मार्कशीट मिल गई है। 80.4% अंक मिले हैं।

माता-पिता नहीं हैं, चार बहनों का इकलौता भाई

शांतनु के माता-पिता नहीं हैं। 2010 में पिता का देहांत हो गया था। वे RTO में संविदाकर्मी थे। मई 2021 में मां भी चल बसीं। चार बहनों पर एकलौता भाई है। बड़ी बहन की शादी हो गई है, वह टीचर है और उनके पति हाईकोर्ट के वकील हैं।

मेधावी छात्र योजना में करूंगा अप्लाई

शांतनु ने बताया कि विभाग की गलती से वह मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना से वंचित हुए थे। अब वह मेधावी छात्र योजना के लिए भी आवेदन करेंगे। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी और माध्यमिक शिक्षा मंडल में आवेदन किया जाएगा।

ये है मेधावी छात्र योजना

मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना के अंतर्गत शासकीय मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लॉ, निजी क्षेत्र के चिन्हित सभी मेडिकल इंजीनियरिंग कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

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