MP LIVE : भविष्यवाणी से गरमाई सियासत : सिंधिया के बढ़ते कद से बीजेपी के इन नेताओं को भी खतरा ...पढ़िए

 

MP LIVE : भविष्यवाणी से गरमाई सियासत : सिंधिया के बढ़ते कद से बीजेपी के इन नेताओं को भी खतरा ...पढ़िए

ग्वालियर में जैन मुनि विहर्ष सागर महाराज ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के जल्द ही मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी की है। इसके बाद से प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। राजनीतिक नजरिए से देखें, तो सिंधिया के 2 साल में चार प्रमोशन हो चुके हैं। जिस तरह से सिंधिया का बीजेपी में कद बढ़ रहा है, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी सरकार में कोई बड़ा बदलाव करेगी, लेकिन जानकार अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं कि यह राज्य बीजेपी ही नहीं, संघ (RSS) की नर्सरी भी रहा है। ऐसे में इतने बड़े फेरबदल के संकेत फिलहाल तो दिखाई नहीं दे रहे हैं।

आमतौर पर बीजेपी में जो लोग संघ से नहीं होते हैं, उन्हें कोई बड़ा पद नहीं मिलता है, लेकिन मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का ग्राफ बीजेपी में लगातार बढ़ता जा रहा है। इस वक्त शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक 19 विधायकों में से 11 फिलहाल मंत्री हैं। सिंधिया की ताकत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उनके साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले 6 नेताओं को निगम-मंडल की कमान मिली है। इनमें विधानसभा उपचुनाव हारने वाले भी शामिल हैं।

इन 2 सालों में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ अपने संबंध इतने मजबूत कर लिए हैं कि जैसे लगता है वह शुरू से ही बीजेपी का ही हिस्सा रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी शिवराज वर्सेस सिंधिया करने की खूब कोशिश हुई। इस पर उनके एक समर्थक नेता ने कहा- शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के सूझबूझ ने मध्यप्रदेश में ऐसा होने नहीं दिया। आपको याद होगा जब बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार सिंधिया भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान के घर पहुंचे थे। उस वक्त शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह ने खुद उन्हें अपने हाथों से खाना परोसा था।

सिंधिया को बीजेपी में आए हुए अभी दो साल भी नहीं हुए थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें सरकार से लेकर संगठन तक में बड़ी जिम्मेदारी दे दी है। सरकार में शामिल होने के तीन महीने बाद ही (4 अक्टूबर 2021) उन्हें बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दे दी। हालांकि, चंबल इलाके से आने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी उसमें जगह मिली है।

जबकि ऐसी धारणा रही है कि बाहर से आने वाले लोगों को संगठन में कोई बड़ा पद नहीं मिलता है। कभी उत्तराखंड सीएम की रेस में आगे रहे सतपाल महाराज का पत्ता इसी में कट गया था। वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। ऐसे में सवाल है कि संघ का उनके पास कोई बैकग्राउंड भी नहीं है, फिर भी इतनी तेजी से उनका ग्राफ क्यों बढ़ता जा रहा है।

सिंधिया के पक्ष में बन रहे माहौल को लेकर बीजेपी के एक बड़े नेता का कहना है कि हाल के दिनों में कुछ परिस्थितियां बदली हैं। उन्होंने तर्क दिया- असम में हिमंता बिस्वा सरमा को सीएम बनाकर बीजेपी ने अलग संदेश दिया है। वे भी बाहरी हैं। हिमंता बिस्वा सरमा को मौका मिलने के बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर भी कई कयास लगाए जा रहे थे।

MP LIVE : भविष्यवाणी से गरमाई सियासत : सिंधिया के बढ़ते कद से बीजेपी के इन नेताओं को भी खतरा ...पढ़िए

क्यों बढ़ रहा है कद?

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक जानकार अरुण दीक्षित कहते हैं कि असम में हिमंता बिस्वा सरमा का मामला अलग है और दूसरे राज्यों में मामला अलग है। बीजेपी बिना संघ के बैकग्राउंड वाले लोगों को वहां तो खूब प्रमोट कर देती है, जहां उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता है। चाहे वह गोवा या फिर नॉर्थ ईस्ट के सारे राज्य हों, वहां बीजेपी के पास ज्यादा कुछ नहीं है। वहां लोगों को प्रमोट करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। इसके बावजूद वहां उन्होंने हिमंता बिस्वा सरमा को उतना समय दिया, फिर बड़ी जिम्मेदारी दी।

उन्होंने कहा कि एमपी का मामला थोड़ा अलग है। भले ही सिंधिया का कद प्रदेश के मूल विचारधारा वाले नेताओं से ज्यादा बड़ा हो रहा है, लेकिन उन्हें सत्ता सौंपी जाएगी, इसमें संशय है। हां, यह जरूर है कि एमपी में बीजेपी की सरकार दोबारा से सिंधिया की वजह से ही बनी है। ये संघ और ऊपर के लोग भी मानते हैं। बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं में इनके बढ़ते कद को लेकर हताशा भी है।

एमपी विधानसभा चुनाव में होगी असली पहचान

अरुण दीक्षित कहते हैं कि अभी तो सारी चीजें सिंधिया के अनुसार है। असली पहचान तब होगी, जब अगले साल एमपी में विधानसभा चुनाव होंगे। उस समय पता चलेगा कि इनको कितना वजन बीजेपी देती है। साथ ही उस चुनाव के परिणाम पर भी ध्यान देना होगा। अभी तो सिंधिया समर्थक उपचुनाव में जीत गए, लेकिन आम चुनाव में यह देखना होगा कि क्या सिधिंया अपने समर्थकों को जितनी टिकट कांग्रेस में रहते दिलाते थे, उतनी आगे दिला पाएंगे?

सांसद बनने के बाद सक्रिय हो गए थे सिंधिया

राज्यसभा सदस्य बनने के बाद से सिंधिया की ग्वालियर-चंबल अंचल में सक्रियता काफी बढ़ गई थी। स्मार्ट सिटी, अमृत योजनाओं के साथ ही क्षेत्र विकास की अन्य योजनाओं पर भी उनका काफी फोकस था। फाइलों में दफन मेट्रो प्रोजेक्ट काे भी सिंधिया ने बाहर निकलवाया था। साथ ही मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद जिला प्रशासन ने ग्वालियर के विकास का एक ब्लू प्रिंट भी तैयार किया था। ऐसे में आमजन व व्यापारियों का भी मानना है कि सिंधिया के मंत्री बनने से विकास योजनाओं काे रफ्तार मिलेगी।

क्या है मोदी का संदेश?

सिंधिया को सेंटर में लाकर नरेंद्र मोदी यह क्लियर मैसेज देंगे कि एमपी तो शिवराज सिंह चौहान ही संभालेंगे। सिंधिया राजपरिवार से ताल्लुक रखते हैं, फिलहाल वो राज्यसभा से बीजेपी के सांसद हैं। सूत्रों की मानें, तो बीजेपी का फोकस अब पार्टी में यूथ लीडरशिप को डेवलप करना है। इसे ध्यान में रखते हुए मोदी मंत्रिमंडल में मध्यप्रदेश कोटे से सिंधिया को जगह दी गई है।

राजा के गढ़ में महाराजा ने लगा चुके हैं बड़ी सेंध

तीन महीने पहले (4 दिसंबर 2021) दिग्विजय सिंह के क्षेत्र राघौगढ़ में पहली बार सभा करने पहुंचे सिंधिया ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया। उन्होंने कांग्रेस के बड़े नेता पूर्व कांग्रेस विधायक मूल सिंह दादाभाई के बेटे हीरेन्द्र सिंह को बीजेपी में शामिल कराया था। बताया जा रहा है कि इसकी तैयारी बहुत पहले से चल रही थी, जिसे सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कांग्रेस के लिए भी खतरे की घंटी

मार्च 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ली थी, उसके बाद तमाम कांग्रेसी नेता यह कह कर उनका मजाक उड़ा रहे थे कि कांग्रेस छोड़कर उन्हें बीजेपी में आखिर क्या मिला? हालांकि, कांग्रेस नेताओं को शायद यह नहीं पता था कि सिंधिया ने अपनी ताकत बीजेपी में शामिल होते ही दिखानी शुरू कर दी थी।

ग्वालियर में जैन संत मुनि की भविष्यवाणी का राजनीतिक तौर पर भले ही कोई मायने नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से बीजेपी में सिंधिया का कद बढ़ रहा है, वह कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हैं। सिंधिया को भविष्य का सीएम बताए जाने पर कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने जरूर चुटकी ली है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-

इन्हें हो सकता है खतरा

दरअसल, सिंधिया के बढ़ते कद से एमपी बीजेपी के नेताओं को भी खतरा हो सकता है। सिंधिया बीजेपी में आने के बाद पहली पंक्ति के नेताओं में शुमार हैं। इस पंक्ति में सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, बीडी शर्मा और डॉ. नरोत्तम मिश्रा जैसे दिग्गज आते हैं। सिंधिया का जिस तरह प्रभाव बढ़ता जा रहा है, इससे आने वाले दिनों में इन नेताओं के लिए खतरा हो सकता है। ग्वालियर चंबल इलाके में अब हर तैनाती सिंधिया के हिसाब से ही होती है।

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