ऐसे समझिए MP का पूरा बजट : तो क्या शिवराज सिंह चौहान की चुनावी नैया पार हो जाएगी? युवा और किसान के बूते अगला चुनाव जीतना की तैयारी

 

ऐसे समझिए MP का पूरा बजट : तो क्या शिवराज सिंह चौहान की चुनावी नैया पार हो जाएगी? युवा और किसान के बूते अगला चुनाव जीतना की तैयारी

गरीब के अलावा नौजवान, किसान और महिला-बेटियां… शिवराज सरकार ने इस बजट में इन चारों वर्गों को साधने की कोशिश की है । वजह साफ है- 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव। शिवराज जानते हैं, इन चारों को अपने पाले में कर लिया तो अगला चुनाव जीतना मुश्किल नहीं होगा। हालांकि सबसे बड़ी चुनौती इन तमाम योजनाओं को जमीन पर उतारने की है। 

1. बजट में सबसे ज्यादा फोकस किस पर रखा गया?

शिवराज सरकार ने पूरा फोकस अगले चुनाव पर रखा। आने वाले पंचायत चुनाव और फिर अगले साल के विधानसभा चुनावों को देखते हुए बजट बनाया गया। सरकार सबसे पहले गांवों में ताकतवर बनना चाहती है। पंचायत चुनाव से ठीक पहले ग्रामीण विकास विभाग का बजट 75% तक बढ़ा दिया है। सरकार की नजरें पंचायत चुनाव पर है लेकिन निशाना विधानसभा चुनाव हैं।

2. तो क्या शिवराज सिंह चौहान की चुनावी नैया पार हो जाएगी?

शिवराज सिंह चौहान के सामने विधानसभा से पहले बड़ा इम्तिहान पंचायत चुनाव है। यदि इसमें वे सफल नहीं हुए तो उनके सामने राजनीतिक चैलेंज खड़े हो सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने कोर वोट गरीब-मजदूर, किसान, महिला-बेटियां और युवाओं पर फोकस किया है। उनके सामने बड़ी चुनौती यही है कि उनके अफसर मैदान में उतरकर इन योजनाओं को घर-घर लागू कर पाएंगे या नहीं।

3. सरकार ने बजट का आकार बढ़ा दिया है, इतना पैसा आएगा कहां से?

कर्ज से। जी हां, बाजारों से कर्ज लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। मौजूदा टैक्स कलेक्शन से यह घोषणाएं पूरी नहीं हो सकती। यानी सरकार पर कर्ज का बोझ और बढ़ना ही है। इस बार 37 हजार करोड़ से अधिक के बजट की बढ़ोतरी हुई है। इसी बड़े हुए अमाउंट को आधार बनाकर नया कर्ज लेने का रास्ता खोला गया है।

4. इस बजट की अलग और नई बात क्या है?

दो बातें। दो साल में पहली बार कोरोना के साये से उबरा हुआ बजट है। दूसरा, BJP की आइडियोलॉजी की झलक वाला बजट। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को स्मरण करता हूं, नमन करता हूं। प्रदेश में रामराज्य के लिए प्रार्थना करता हूं… ये शब्द हैं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के। यह पहला मौका है जब शिवराज सरकार के बजट भाषण में ‘राम और रामराज्य’ की एंट्री हुई। मंत्री देवड़ा इससे पहले में बजट में सिर्फ भगवान पशुपतिनाथ का स्मरण किया करते थे।

5. विपक्ष बिल्कुल बजट नहीं सुनना चाहता था, ऐसा क्यों?

यह सिर्फ पॉलिटिकल स्टंट था। इससे ज्यादा कुछ नहीं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि बजट का पहला शब्द भी नहीं पढ़ा और विपक्ष चिल्लाते हुए वेल में जा पहुंचा। जैसे-जैसे बजट भाषण पढ़ा जाने लगा, कांग्रेसी विधायक उसी में पॉइंट्स निकालकर काउंटर अटैक करने लगे। यहां एक बात और देखने को मिली। एक दिन पहले ‘सदन की गरिमा’ पर जीतू पटवारी की खिंचाई कर चुके कमलनाथ आज पूरे समय बैठकर देखते रहे।

6. चाइल्ड बजट बड़ा चर्चाओं में था, उसमें क्या खास बात रही?

चाइल्ड बजट सिर्फ परिवारों में टॉकिंग पॉइंट खड़ा करने का हौवा निकला। जिस तरह बजट में जेंडर बजट, कृषि बजट होते हैं, वह भी वही निकला। कुछ भी खास नहीं है। केवल 18 साल तक के बच्चों की सभी योजनाओं को एक जगह रख दिया गया है।

7. भत्ता बढ़ने से तो कर्मचारी बहुत खुश हो जाएंगे?

बहुत ज्यादा नहीं। मप्र सरकार ने 11% महंगाई भत्ता तब बढ़ाया जब केंद्र सरकार फिर भत्ता बढ़ाने वाली है। यानी केंद्रीय कर्मचारी फिर इनसे आगे हो जाएंगे। दूसरा, अभी कर्मचारियों में सबसे ज्यादा चर्चा पुरानी पेंशन योजना की है। यह कहीं न कहीं सरकार के गले की फांस बनता दिख रहा है।

8. शराबबंदी की खूब बातें हुई हैं, इस पर सरकार का क्या विजन दिखा?

साफ है शराबबंदी अभी नहीं होगी। शराब की कमाई सरकार के लिए क्यों जरूरी है, आप ऐसे समझिए कि जब लॉकडाउन हुआ तो सबकुछ बंद हो गया था। अस्पताल के अलावा कुछ खुला था तो सिर्फ शराब दुकानें। दिखावे के लिए पैरेलली नशामुक्ति अभियान चलता रहेगा।

9. सबसे ज्यादा निराशा किसे हुई?

मध्यवर्गीय परिवारों को। महंगाई रोकने के लिए कुछ नहीं किया। हर तरफ चर्चा है कि पेट्रोल-डीजल महंगा होने वाला है। इसके बावजूद वैट नहीं घटाया गया। सिर्फ नया टैक्स नहीं लगाने या टैक्स नहीं बढ़ाने से मिडिल क्लास संतोष कर सकता है।

10. क्या इस बजट से बेरोजगारी घटेगी?

कुछ पुरानी भर्तियां गिना दी गई हैं जिसमें टीचर, आरक्षक आदि शामिल हैं। 13 हजार नए टीचर्स भर्ती किए जाएंगे, यह जरूर नया है। प्राइवेट सेक्टर में 1 लाख से ज्यादा जॉब्स का दावा किया है लेकिन ये मप्र के युवाओं को भर्ती कैसे कराएंगे, इसे साफ नहीं किया गया है। कुल मिलाकर बेरोजगारी घटेगी, ऐसा लगता नहीं है।

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