Bihar में शराबबंदी कानून पर संशोधन : अब शराब पीते पकड़े जाने पर कोर्ट नहीं जाना होगा

 

Bihar में शराबबंदी कानून पर संशोधन : अब शराब पीते पकड़े जाने पर कोर्ट नहीं जाना होगा

बिहार सरकार 2015 से प्रदेश में प्रभावी शराबबंदी कानून में बदलाव करेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया है। इसके तहत राज्य में शराबबंदी कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है। इसके लिए मद्य निषेध व उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2022 के प्रारूप को मंजूरी दी गई। संशोधित कानून प्रारूप को विधानमंडल के दोनों सदनों से मंजूरी दिलाने के लिए इसे बजट सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। इस अधिनियम में संशोधन होने के बाद शराब पीने वाले लोगों को जमानत (Bail) के लिए अब अदालत जाने की जरूरत नहीं होगी। नीतीश कैबिनेट ने यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे बिहार के विद्यार्थियों की सकुशल वतन वापसी के लिए तत्काल प्रभाव से एक करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है।

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अब क्या होगा?

बिहार में शराब पीते (Alcoholic) हुए पकड़े जाने पर किसी भी शख्स को एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। यहां पर आर्थिक दंड (Fine Imposed) लगा कर उन्हें जमानत दे दी जाएगी। यानी अब कोर्ट जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

शराब की बिक्री संगठित अपराध

संशोधन प्रारूप में शराब की बिक्री और इसकी तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त नियमों को शामिल किया गया है। यह भी साफ किया गया है कि बंदी के बावजूद शराब की बिक्री संगठित अपराध की श्रेणी में आएगी।

शराब का कारोबार और तस्करों की संपत्ति जब्त करने की अनुशंसा भी प्रस्ताव में की गई है। इसी तरह ऐसा कोई भी पदार्थ जिसे शराब में बदला जा सके उसे मादक द्रव्य की श्रेणी में लाया जाएगा।

ये भी संशोधन कानून प्रस्ताव

कानून में संशोधन प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद शराब पीते पकड़े जाने वाले अभियुक्तों का ट्रायल एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या इससे ऊपर की रैंक के अधिकारी करेंगे।

पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर जुर्माना लेकर छोड़ दिए जाने का प्रविधान संशोधन कानून में किया जा रहा है।

शराब तस्करों और बड़े धंधेबाजों पर पहले की तरह कोर्ट में ही मामला चलेगा।

शराब के कारोबार में संलिप्त वाहनों का अब लैब रिपोर्ट मिलने के बाद वीडियोग्राफी करा कर उसकी नीलामी करवाई जाएगी

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14 प्रस्तावों को दी गई मंजूरी

इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने गेहूं-धान के बाद अब राज्य

 के किसानों से चना और मसूर की खरीदारी करने का प्रस्ताव भी मंजूर किया है। बैठक में कुल 14 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। दरअसल बिहार में शराबबंदी कानून के तरीके को लेकर सरकार की आलोचना के बीच संशोधन लाए जा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने पिछले महीने इसे "दूरदर्शिता की कमी" के उदाहरण के रूप में चिह्नित किया था। उन्होंने कहा था कि इसके परिणामस्वरूप हाईकोर्ट जमानत आवेदनों से भरा हुआ है।

रिकॉर्ड बताते हैं कि अब तक चार लाख से अधिक गिरफ्तारियां कानून के तहत की जा चुकी हैं और 20,000 जमानत याचिकाएं लंबित हैं। बिहार की 59 जेलों की क्षमता 47,000 है, लेकिन अब लगभग 70,000 कैदी हैं, जिनमें से लगभग 25,000 पर शराब कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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