AIIMS में पहली बार हुई आर्थोग्नोथिक सर्जरी : 36 साल बाद चैन की नींद सोयेगा युवक, जबड़ा पीछे होने से आ रही थी दिक्कत

 

AIIMS में पहली बार हुई आर्थोग्नोथिक सर्जरी : 36 साल बाद चैन की नींद सोयेगा युवक, जबड़ा पीछे होने से आ रही थी दिक्कत

भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (एम्‍स) भोपाल में उपचाररत 36 साल के युवक को अब लग रहा है कि जिंदगी में उसे सब कुछ मिल गया। इसकी वजह यह कि अब वह ठीक से सो पा रहा है। दरअसल जन्म से ही उसका नीचे का जबड़ा पीछे की तरफ होने से सोते समय श्वास नली दबती थी। इस कारण सोने के एक से दो घंटे बाद उसकी नींद खुल जाती थी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के दंत चिकित्सा विभाग में सर्जरी कर जबड़े को आगे किया गया है। इसे आर्थोग्नोथिक सर्जरी कहा जाता है। एम्स में पहली बार यह सर्जरी की गई है। निजी अस्पतालों में इस सर्जरी के करीब पांच लाख रुपये लगते हैं, जबकि यहां निश्शुल्क इलाज किया गया है। कुछ दवाएं जरूर मरीज को बाजार से खरीदनी पड़ी हैं।

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एम्‍स में दंत चिकित्सा विभाग के सह प्राध्पापक डा. अंशुल राय ने बताया कि छाती व श्वास रोग विभाग में हुई जांच में सामने आया था कि युवक आब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) बीमारी से पीड़ित है। इसके बाद उसकी सर्जरी का निर्णय लिया गया। महीने भर पहले सर्जरी होने के बाद जब सोमवार को युवक की नींद की जांच स्लीप लैब में की गई तो पता चला उसकी नींद सामान्य के मुकाबले 70 प्रतिशत तक आ गई है। डा अंशुल राय ने बताया कि निजले जबड़े की इस तरह की सर्जरी सांस लेने की जगह को बढ़ाती है, जिससे व्‍यक्‍ति का नींद के वक्‍त खर्राटे लेना कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में निद्रा रोग विशेषज्ञ डॉ. अ​​भिषेक गोयल के साथ ऑथोर्डेंटिस्ट एवं एनेस्थीसिया विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।

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प्रदेश में कोरोना के 26 मरीज मिले

उधर, प्रदेश में सोमवार को कोरोना के 26 नए मरीजों की पहचान हुई। कुल 5330 सैंपलों की जांच में यह मरीज मिले हैं। इनमें इंदौर पिछले हफ्ते मरीजों की संख्या लगातार बढ़ते हुए चार से 46 पर पहुंच गई थी। रविवार को 23 मरीज मिले थे। इनमें इंदौर के आठ और भोपाल के चार मरीज शामिल हैं। प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या अब 200 से ऊपर हो गई, जो पिछले महीने 50 से नीचे आ गई थी। सक्रिय मरीजों में छह संक्रमित निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं। इनमें एक इंदौर में है। भोपाल में 38 सक्रिय मरीजों में सभी होम आइसोलेशन में हैं।

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