राशन घोटाले पर एक्शन में CM शिवराज : 15 अफसर हुए सस्पेंड, मुख्यालय से लेकर डिस्ट्रिक के अफसर नपे
राजधानी की राशन दुकानों में हो रही गड़बड़ी की शिकायतों के बाद खाद्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की। मुख्यालय समेत डिस्ट्रिक के 15 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। इनमें 7 ऐसे अफसर हैं, जिनकी निगरानी में ये दुकानें थीं, जबकि जांच में अनियमितता और ढिलाई बरतने वाले 8 अधिकारियों पर गाज गिरी। 4 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट के निर्देश दिए हैं।
एक साथ इतने अधिकारियों के निलंबन से भोपाल समेत प्रदेशभर में हड़कंप है। बुधवार को प्रदेशभर में यह मामला सुर्खियों में रहा। जानते हैं कि राशन घोटाला क्या है? अफसरों पर निलंबन की कार्रवाई क्यों हुई? मामले में अफसरों की भूमिका क्या थी...?
सबसे पहले जाने घोटाले की कहानी...
पिछले महीने अक्टूबर में भोपाल में बड़ा राशन घोटाला सामने आया। राशन माफिया के साथ मिलकर अफसर गरीबों का राशन डकार रहे थे। यह कहना इसलिए भी गलत नहीं है कि जिन अफसरों पर कार्रवाई का जिम्मा था, वे सिर्फ खानापूर्ति ही कर रहे थे। करीब 10 महीने से उन्होंने न तो स्टॉक की जांच की और न ही ये पता लगाया कि उपभोक्ताओं को राशन मिल रहा है या नहीं?
प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई से शिकायत की गई। विभाग के संचालक दीपक सक्सेना ने 12 टीमें बनाईं। 24 अफसरों को 70 राशन दुकानों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी। जांच में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई, लेकिन अफसर इसमें भी घपलेबाजी कर गए। इसके चलते उन पर भी गाज गिर गई।
भोपाल में राशन घोटाला सामने आने के बाद इसकी जांच की गई थी।
ये हुए सस्पेंड
तत्कालीन जिला आपूर्ति नियंत्रक ज्योति शाह नरवरिया, सहायक आपूर्ति अधिकारी संतोष उइके व दिनेश अहिरवार, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी विनय सिंह, प्रताप सिंह, सत्यपाल सिंह जादौन व एलएस गिल शामिल हैं। इसी तरह जांच में गड़बड़ी करके सस्पेंड होने वालों में सहायक आपूर्ति अधिकारी भोपाल अनिल तंतुवाय व राजेश खरे, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी भोपाल सौरभ जैन, राजगढ़ के सुरेश गुर्जर, नर्मदापुरम के आशीष तोमर, भोपाल के अंकित हंस व विदिशा के कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी शरद पंचोली शामिल हैं। भोपाल डायरेक्टरेट में पदस्थ सहायक संचालक अनिल तिवारी भी निलंबित किए गए हैं।
ऐसे समझे दुकानों की जांच की पूरी कार्रवाई
कुल 11 टीमें बनाई गईं। इनके जिम्मे 70 दुकानों का निरीक्षण करना था।
जांच दल में संचालनालय और अन्य जिलों के अधिकारियों को रखा गया। स्थानीय अधिकारी जांच टीम में नहीं थे।
जांच में 70 में से 39 दुकानों में बड़ी और गंभीर अनियमितताएं पाई गईं।
जांच दल में शामिल अफसरों ने दुकान संचालकों को बचाने के लिए जानबूझकर लापरवाही बरती।
यह लापरवाही मिली
गेहूं-चावल का स्टॉक कम मिला तो शकर भी कम पाई गई।
नमक, केराेसिन और मूंग का स्टॉक भी कम था।
उपभोक्ताओं को निर्धारित राशन का वितरण नहीं किया गया।
निर्धारित मूल्य से अधिक रुपए लिए जा रहे थे और रसीद नहीं दी गई।
मशीन से वितरण मात्रा की जानकारी भी नहीं सुनाई जा रही थी।
राशन के मोबाइल पर SMS भी नहीं भेजे जा रहे थे।
दुकानों पर बीपीएल एवं अंत्योदय राशनकार्ड धारियों की सूची नहीं चस्पा की गई।
निलंबित अफसरों में भोपाल की पूर्व आपूर्ति अधिकारी ज्योतिशाह नरवरिया समेत सहायक एवं कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी भी शामिल हैं।
इनके खिलाफ चार्जशीट
राजगढ़ के सहायक आपूर्ति अधिकारी जसराम जाटव, डायरेक्टरेट में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी मयंक चंदेल व भोपाल डायरेक्टरेट में सहायक आपूर्ति अधिकारी सयैद परवेज नकवी और भोपाल डायरेक्टरेट में ही कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी रामकन्या कछावा शामिल हैं।
इनकी यह रही सस्पेंड होने की वजह
1. सहायक आपूर्ति अधिकारी संतोष उइके : इनके पास 10 दुकानों की जिम्मेदारी थी, जिनकी जांच करना थी लेकिन उन्होंने दुकानों का न तो निरीक्षण किया और न ही स्टॉक के बारे में जाना।
सहायक आपूर्ति अधिकारी संतोष उइके का निलंबन आदेश।
2. सहायक आपूर्ति अधिकारी दिनेश अहिरवार : इनके पास सिर्फ 3 दुकानों की जिम्मेदारी थी। बावजूद इन्होंने लापरवाही बरती। अन्य कई अनियमितताएं पाई गईं। इसके चलते अहिरवार भी सस्पेंड हुए।
सहायक आपूर्ति अधिकारी दिनेश अहिरवार ने भी लापरवाही बरती। इसके चलते उन पर कार्रवाई की गई।
3. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी विनय सिंह : इनके पास भौंरी, बाबा गरीबदास बैरागढ़, दामखेड़ा, गांधीनगर समेत 10 जगह की दुकानों का जिम्मा था, लेकिन स्टॉक में गड़बड़ी, पात्रों को राशन वितरण आदि अनियमिताएं रोक नहीं पाएं। इसमें उनकी बड़ी लापरवाही देखने को मिली।
कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी विनय सिंह का निलंबन आदेश।
4. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी प्रताप सिंह : इनके पास भी शहरी इलाके की 8 दुकानों की मानीटरिंग का जिम्मा था। लापरवाही बरतने पर निलंबन की कार्रवाई हुई।
5. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सत्यपाल सिंह जादौन: इनके पास मोदी अशोक सहकारी उपभोक्ता भंडार और मोनिका महिला प्राथमिक उपभोक्ता भंडार की मानीटरिंग का जिम्मा था, लेकिन इन दुकानों पर स्टॉक में गड़बड़ी, पात्रों को नियमानुसार राशन वितरण एवं अन्य अनियमितताओं को वे रोक नहीं सके और न ही निरीक्षण किया। लापरवाही बरतने पर उन पर कार्रवाई की गाज गिरी।
6. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी एसएल गिल: इन पर 6 दुकानों का जिम्मा था। जांच में इनमें भी गड़बड़ी मिली। इसमें गिल की लापरवाही सामने आई।
7. सहायक आपूर्ति अधिकारी अनिल तन्तुवाय: इनको जांच दल का प्रभारी बनाकर भोपाल शहर की उचित मूल्य दुकानों की जांच कराई गई थी, लेकिन उन्होंने किसी भी दुकान में कोई भी अनियमितता पाया जाना प्रतिवेदित नहीं किया। यह भी सामने आया कि तन्तुवाय ने जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की। जान-बूझकर सही जानकारी जुटाने के प्रयास नहीं किए। उनकी अन्य कई लापरवाही उजागर हुई। इसके चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया।
8. सहायक आपूर्ति अधिकारी रायसेन राजेश खरे: इन्हें भी जांच दल का प्रभारी बनाया गया था। उनकी जांच रिपोर्ट में भी बड़ी लापरवाही देखने को मिली। उन्होंने निरीक्षण में सिर्पु औपचारिकता की। ये अभी संचालनालय में अटैच थे।
9. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी इंदौर सौरभ जैन: संचालनालय में अटैच जैन को जांच दल का सदस्य बनाया था और शहर की दुकानों की जांच करवाई गई। इन्होंने भी किसी भी दुकान में कोई अनियमितता पाया जाना प्रतिवेदित नहीं किया। जांच में इन्होंने भी औपचारिता की।
10. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी रतलाम अंकित हंस: ये भी संचालनालय में अटैच थे। जिन्हें जांच टीम का सदस्य बनाया गया था। इन्होंने भी जांच में वहीं गलतियां की, जो दूसरे अधिकारियों ने की थी। इसके चलते सस्पेंड किए गए।
11. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी राजगढ़ सुरेश गुर्जर: इन्हें जांच दल में शामिल करके शहर की दुकानों की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। दुकान संचालकों को बचाने के लिए निरीक्षण की सिर्फ औपचारिकता की गई, जबकि गंभीरता से जांच करने और उपभोक्ताओं से संपर्क करने के निर्देश थे। गुर्जर ने ऐसा कुछ नहीं किया। वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश की भी अवहेलना की।
12. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी विदिशा शरद पंचौली: इन्हें जांच टीम का इंचार्ज बनाकर दुकानों की जांच करवाई गई थी, लेकिन प्रतिवेदन में किसी भी अनियमितता होने की जानकारी नहीं दी गई। जांच में गंभीर लापरवाही के चलते ये भी नपे।
13. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी नर्मदापुरम आशीष तोमर: ये जांच दल के सदस्य थे और दुकानों का निरीक्षण करने पहुंचे थे, लेकिन सिर्फ कागजी जांच ही की। कोई प्रकार की अनियमितता नहीं बताई गई। दुकान संचालकों को बचाने का भी प्रयास किया।
14. सहायक संचालक अनिल तिवारी : इन्हें भी जांच दल का प्रभारी बनाया गया था, पर रिपोर्ट में किसी दुकान में कोई भी अनियमितता पाया जाना प्रतिवेदित नहीं किया गया। केवल औपचारिकता की गई। उपभोक्ताओं के हस्ताक्षर करवाकर जांच के नाम पर खानापूर्ति ही हुई।
15. जिला आपूर्ति अधिकारी भोपाल ज्योति शाह नरवरिया: इन्होंने जिले की दुकानों की नियमित जांच नहीं की और न ही अधीनस्थ अमले पर जांच एवं नियमित निरीक्षण का दवाब बनाया। लापरवाही करने पर अधीनस्थों पर कोई कार्रवाई भी नहीं की। अनियमितता करने वाले दुकान संचालकों पर प्रभारी कार्रवाई नहीं की गई, जबकि यह सब कार्य उन्हें ही करने थे। लिाहाज, उन पर भी सस्पेंशन की कार्रवाई की गई।