MP ALERT : अब प्रिंटेड अखबार या कागज पर खान-पान की वस्तु रखना या बेचना दुकानदार को पहुंचा सकता हैं जेल 

 
poha jalebi

भोपाल में अखबार पर पोहा-समोसा परोसने पर रोक

BHOPAL NEWS : एक जुलाई से देश भर में सिंगल यूज़ प्लास्टिक (single use plastic) पर बैन लगा हैं। अब प्रिंटेड अखबार या कागज (printed newspaper or paper) पर खान-पान की वस्तु रखना, बेचना दुकानदार को महंगा साबित होगा। मप्र में इसकी शुरुआत राजधानी भोपाल से हुई हैं। 
'ईट राइट चैलेंज-2' ('Eat Right Challenge-2')
अब समोसा पोहा जैसे फ़ूड आइटम बेचने वाले दुकानदार को अब एफिडेविट भी देना होगा कि वह अखबारी या प्रिंटेड कागज़ में ग्राहकों को कोई भी सामान नहीं परोसेंगे। इस पर कलेक्टर ने पाबंदी लगा दी हैं. 

No समोसा, No पोहा-पकौड़े

समोसा पोहा बेचने वालों की शामत
भोपाल में समोसा, पोहा, जलेबी जैसे फ़ूड आइटम का ब्रेकफास्ट करने की आपकी भी आदत होगी। गली, नुक्कड़, चौराहों और अन्य जगहों पर लगने वाली दुकानों पर पहुंचकर यह नाश्ता करने का मजा ही कुछ अलग होता है। लेकिन अखबारी या प्रिंटेड कागज में आपको नाश्ता परोसना दुकानदार को जेल पहुंचा सकता हैं। दरअसल प्रशासन ने ऐसे कागजों पर खाद्य सामग्री बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया हैं। कलेक्टर ने इसका फरमान भी जारी कर दिया है।
ईट राइट चैलेंज-2 का नवाचार
भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया का यह फरमान ईट राइट चैलेंज-2 का नवाचार हैं। नए निर्देशों का पालन कराने बड़े स्तर पर अभियान भी चलाया जाएगा। जिसके तहत दुकानदारों के साथ आम ग्राहकों को जागरूक किया जाएगा। केंद्र सरकार साल 2016 में पहले ही यह आदेश जारी कर चुकी हैं, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा था। क़च्च्ॠक्ष् की तरफ से जारी केंद्र सरकार के आदेश में अखबार या प्रिंटेड कागज में खाद्य पदार्थ का सेवन सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक बताया था।
इंदौर, जबलपुर में भी चलन 
पोहा, समोसे जैसे फ़ूड आयटम का मप्र के कई शहरों में चलन हैं। यहां लोग बड़े शौक से ठेले, गुमटियों या अन्य दुकानों पर पहुंचकर नाश्ता करते हैं। पत्तल के दौनों आजकल महंगे हो गए हैं। इसके मुकाबले दुकानदारों को अखबारी कागज़ सस्ते पड़ते है। भोपाल ही नहीं बल्कि जबलपुर, इंदौर में भी कई जगहों पर ऐसे ही कागजों पर समोसे, पोहे जैसे आयटम परोसे जा रहे हैं। जिस पर खाद्य महकमे द्वारा कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
प्रिंटेड इंक में होते है खतरनाक पार्टिकल्स अखबार या अन्य कागजों में प्रिंटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली स्याही कई रसायनों से मिलकर बनती हैं। जिसका कार्बनिक सॉल्वेंट्स आपकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचाता हैं। जब आप किसी प्रिंटेड कागज में तली या गर्म खाद्य सामग्री लेते है तो उसके खतरनाक रसायन आपने खाद्य पदार्थ के साथ आपके शरीर में पहुंच जाते हैं। जो कई तरीकों से आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके कुछ सॉल्वेंट्स, हवा में डिस्चार्ज होकर पर्यावरण के साथ पशुओं के लिए भी हानिकारक हैं।
क्या पूरे मप्र में लगेगा प्रतिबंध ? राजधानी भोपाल में लिए गए इस फैसले के बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पूरे मप्र में यह प्रतिबंध क्यों लागू नहीं हो रहा? आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े मामले में खाद्य विभाग इतना लापरवाह क्यों हैं? जबलपुर में श्री खेरमाई जनकल्याण विकास समिति के अध्यक्ष एसएस पांडे ने मांग की है कि पूरे प्रदेश में यह प्रतिबंध लगाया जाए। ताकि खाने पीने के आयटम के साथ लोगों के शरीर में जहर न घुले।

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