online gambling : अमीर बनाने का सपना दिखाकर लोगों को सड़क पर ले आते हैं ऑनलाइन गेम, जानिए कैसे रहे सावधान?

 
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ऑनलाइन गैम्बलिंग में इंजीनियर ने 40 लाख गंवाए

मोबाइल फोन पर लोग तो खेलते रहते हैं, लेकिन अब ये जुआ घर भी बनता जा रहा है। प्रदेश में युवा इस वर्चुअल जुए (ऑनलाइन गैम्बलिंग) के जाल में फंस कर न सिर्फ घाटे में जा रहे हैं, बल्कि बीमारियों से भी घिर रहे हैं। भोपाल में मनोवैज्ञानिकों के पास हर महीने 4-5 ऐसे केस आ रहे हैं।

एक इंजीनियर तो पिछले 6-7 साल में करीब 40 लाख रुपए गंवा चुका है। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक ये एक तरह का डिसऑर्डर या नशा है। ऑनलाइन गेम की बात करें तो इनके जाल में फंसकर MP में दो बच्चे सुसाइड कर चुके हैं। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस संबंध में मध्यप्रदेश सरकार को 3 महीने में कानून बनाने को कहा है।

दरअसल, कई लोग जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में रमी, तीन पत्ती, पोकर, स्पोर्ट गेम, कैसीनो, एमपीएल, एटूथ्री, रूले, ब्लैक जैक, लाठी, बैरके, इंडियन फ्लैश जैसे ऑनलाइन गैम्बलिंग एप के जाल में फंसते चले जाते हैं। संडे स्टोरी में जानिए कैसे ये गेमिंग एप अमीर बनाने का सपना दिखाकर लोगों को सड़क पर ले आते हैं...

पहले 3 मामलों से समझते हैं कि कितनी खतरनाक है ऑनलाइन गैम्बलिंग...

केस-1 - भोपाल का 37 साल का युवक अमेरिका में इंजीनियर था। किसी कारण कुछ समय पहले वह भोपाल आ गया। कोविड में लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन गैम्बलिंग की लत लग गई। वह मोबाइल पर तीन पत्ती खेलने लगा। शुरुआत में तो फायदा हुआ। इससे उसका लालच बढ़ता गया। फिर धीरे-धीरे जाल में फंसता चला गया। वह परेशानियों में घिरने लगा। नींद में बदलाव आने लगा। स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया। घरवालों ने डेली रुटीन में बदलाव महसूस किया। करीब डेढ़ महीने से उसकी काउंसिलिंग हो रही है। उसने 6-7 साल में करीब 40 लाख रुपए गंवा दिए हैं। इसके अलावा एक 23 साल का युवा भी गेम की लत में पड़ गया। उसकी भी काउंसिलिंग की जा रही है।

केस-2 - सिंगरौली का सनत अपने नाना का लाडला था। नाना ने बुढ़ापे के लिए पाई-पाई जोड़कर बैंक में कुछ लाख रुपए जमा किए थे। एक दिन उन्हें पता चला कि बैंक से साढ़े आठ लाख रुपए किसी ने उनके नाम पर निकाल लिए हैं। जांच की तो पता चला कि ऑनलाइन जुए (गैम्बलिंग) की लत के चलते सनत ने ही फर्जी तरीके से खाते से पैसे निकाले थे। सारे पैसे वो ऑनलाइन गेम में हार गया। अब सनत जेल में है।

केस- 3 - इंदौर का 31 साल का सौरभ (नाम बदला गया है) भी ऑनलाइन गैम्बलिंग के चक्कर में पैसा ही नहीं, प्रतिष्ठा भी गंवा चुका है। लॉकडाउन के दौरान एक दोस्त ने उसे इन गेम्स के बारे में बताया था। शुरुआत में 50 रुपए बोनस मिला तो खेलने लग गया। 100 या 500 रुपए की बाजी लगाई। थोड़ा बहुत जीता तो लालच आ गया। फिर बाजी बढ़ती गई और पैसे हारता चला गया। हारे हुए पैसे जीतने की सनक में रुपए चोरी करने लगा। दो साल तक हारने के बाद समझ आया कि यह खेल जीतने का नहीं हारने का है। भले ही, सौरभ अब गेम खेलना छोड़ चुका है, लेकिन गेम के कारण पैदा हुए कर्जदार आज भी पीछा कर रहे हैं।

बच्चों से जुड़े ये 2 मामले भी जान लीजिए...

छतरपुर : 2 अगस्त 2021, 40 हजार हारा तो फंदे पर झूल गया

सिविल लाइन थाना क्षेत्र में कृष्णा पांडे (13) फंदे पर झूल गया।

वह 6वीं का छात्र था। उसे फ्री फायर गेम खेलने की लत थी।

कृष्णा मां के बैंक अकाउंट से 40 हजार रुपए हार गया था।

मां को मोबाइल पर पैसे कटने का मैसेज मिला, तब पता चला।

पुलिस ने गेम संचालक के खिलाफ धारा 305 के तहत केस दर्ज किया।

भोपाल: 13 जनवरी 2022, 5वीं के छात्र ने लगाई फांसी

भोपाल के शंकराचार्य नगर बजरिया के सूर्यांश (11) ने फांसी लगा ली।

वह सेंट जेवियर स्कूल में 5वीं का स्टूडेंट था।

सूर्यांश ऑनलाइन गेम का शौकीन था।

गेम फाइटर की ड्रेस भी ऑनलाइन ऑर्डर कर मंगाई थी।

जानिए, यूजर के पास से पैसा जाता है, लेकिन आता क्यों नहीं

गेम खेलने वाला जब पैसा लगाता है तो उसके पास कई पॉइंट्स होते हैं। कई बार उसके पास इतने अधिक पॉइंट्स होते हैं कि वो खुद को लखपति समझने लगता है। वो रुपए को निकालना चाहता है लेकिन ज्यादातर गैम्बलिंग एप नियमों और लालच भरे ऑफर देकर उसे ऐसा नहीं करने देते। हजार-पांच सौ रुपए तो निकाल लेता है लेकिन जब राशि ज्यादा होती है तो नहीं निकाल पाता। ज्यादातर एप ऐसे होते हैं जिसमें से पूरा खेल जीतने पर ही पैसा निकाल सकते हैं। बहुत कम एप ऐसे हैं, जो आपको कभी भी रुपया अपने खाते में ट्रांसफर करने की सुविधा देते हैं। आजकल कई एप जीता हुआ पैसा तुरंत ट्रांसफर करने का लालच देकर लोगों को फंसा रहे हैं।

बैंक खाते से नहीं, वॉलेट में पैसा डालते हैं

ज्यादातर गैम्बलिंग एप बोनस से लालच देकर ज्यादा बाजी लगाने के लिए यूजर को मोटिवेट करते हैं। इसके लिए यूजर को अपने बैंक खाते से या यूपीआई से उस एप के वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करना होते हैं। ज्यादातर टीनएजर वॉलेट वाला ऑप्शन चुनते हैं, क्योंकि वे अपने पेरेंट्स के बैंक खाते का उपयोग करते हैं। यदि हर बार पैसे कटेंगे, तो पेरेंट्स को बैंक से मैसेज मिलेगा। इस कारण वे एक बार में ही वॉलेट में पैसा ले लेते हैं और जो मैसेज आता है, उसे डिलीट कर देते हैं, ताकि पेरेंट्स को पता न चले। पिछले दिनों सामने आए कई मामलों में एडल्ट ने भी ऐसा किया है।

ऑनलाइन गैम्बलिंग इंडस्ट्री करीब 10 हजार करोड़ की

आपने टीवी पर कुछ ‘एप्स’ के विज्ञापन देखे होंगे, जिनमें खेल और फिल्म जगत की प्रसिद्ध हस्तियां गेम्स को प्रोत्साहित करती हैं। हालांकि आखिरी में चेतावनी भी देते है। देश में इंटरनेट और स्मार्टफोन के विस्तार के कारण ‘मनी गेमिंग’ इंडस्ट्री का विस्तार हुआ है। आपको जानकर अचरज होगा कि ऑनलाइन गैम्बलिंग का कारोबार हर साल 40 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। ऑनलाइन गैम्बलिंग इंडस्ट्री की सालाना इनकम करीब 10 हजार करोड़ रुपए है।

चांस गेम में दांव लगाना क्राइम

गैम्बलिंग एक्ट के तहत जुआ खेलना प्रतिबंधित है। चांस गेम में पैसे दांव पर लगाना क्राइम है। भले ही वो ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। इसमें खिलाड़ी पर कार्रवाई की जा सकती है। कानूनी प्रावधानों में क्या बदलाव किए जाएंगे? किन गेम्स को चांस गेम्स माना जाए और किन गेम्स को स्किल गेम्स? इन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

इसलिए इसकी लत नहीं छूटती

मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि इन गेम्स की लत इसलिए नहीं छूटती क्योंकि इनका एक्सेस यूजर के हाथों में होता है। वह खाते-पीते हुए यहां तक कि बाथरूम में बैठकर भी खेल को जारी रखता है। कई उदाहरण ऐसे भी सामने आए हैं कि लोग काम के दौरान भी ऐसे गेम खेलते हैं और अपनी नौकरी गंवा देते हैं।

डीसीपी क्राइम ब्रांच अमित कुमार का कहना है कि इस तरह की इस साल 20 शिकायतें मिली हैं। डिपॉजिट करवा कर चलते हैं। इसमें क्वॉइन उनको दिखाते हैं लेकिन पैसा नहीं देते। ऐसे मामलों में आरोपी तक पहुंचना मुश्किल होता है।

बच्चों पर विपरीत प्रभाव के कारण भारत सरकार ने पबजी बंद किया

पबजी के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव व आत्महत्या के मामलों को देखते हुए इस पर देश में बैन लगाया गया। भारत में पबजी यूजर्स की संख्या 175 मिलियन यानी करीब 17.5 करोड़ थी।

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