MP में नई आबकारी नीति 2023-24 : अब दुकानों पर बैठकर नहीं पी सकेंगे शराब, सभी अहाते किए जाएंगे बंद : स्कूल-कॉलेज, मंदिर से 100 M दायरे में नहीं चलेंगी दुकानें

 
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मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के शराब के खिलाफ अभियान के प्रेशर का असर दिखा है। मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति 2023-24 को शिवराज कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसके तहत अब शराब दुकानों पर बैठकर शराब नहीं पी जा सकेगी। यानी दुकानों से शराब की बिक्री तो होगी, लेकिन वहां बैठकर पीने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, प्रदेश में सभी अहाते भी बंद किए जाएंगे।

  • ये निर्णय रविवार को हुई शिवराज कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक में नई शराब नीति पर चर्चा कर उसे मंजूरी दी गई है। जिसके तहत ये तय किया गया कि अब धार्मिक और शैक्षणिक संस्थाओं, गर्ल्स स्कूल, गर्ल्स कॉलेज, हॉस्टल से 100 मीटर के दायरे में शराब दुकानें संचालित नहीं होगी। पहले यह दूरी 50 मीटर थी। बैठक के बाद गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि साल 2010 से प्रदेश में आज तक नई शराब दुकान नहीं खोली गई, बल्कि शराब दुकानें बंद ही की गई हैं।
  • नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान 64 दुकानें बंद की गई थीं। प्रदेश में अब जितने भी अहाते हैं, उन्हें बंद किया जा रहा है। इसी तरह, शॉप बार में शराब पीने की अनुमति थी। शराब दुकानों से केवल शराब की बिक्री होगी, बल्कि बैठकर शराब पीने की अनुमति नहीं होगी। शराब पीकर वाहन चलाने वालों के लाइसेंस भी सस्पेंड होंगे।

उमा भारती लगातार करती रही हैं विरोध

पिछले काफी समय से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराब नीति में संशोधन करने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए वे लगातार अपनी ही सरकार का विरोध करती रही हैं। उन्होंने भोपाल में शराब दुकान पर पत्थर फेंका था। कुछ दिन पहले मंदिर तक में डेरा डाल लिया था। यही नहीं, वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा को पत्र तक लिखकर पीड़ा जाहिर कर चुकी हैं।

दो तरह से मिलता है लाइसेंस

  • ऑन कैटेगिरी- ये अहाता होता है, जिसमें शराब दुकान के साथ यहां बैठकर पीने की भी व्यवस्था रहती है। इसके लिए मंजूरी लेनी पड़ती है।
  • ऑफ कैटेगिरी - ये शॉप बार होती है। यहां से शराब की बिक्री तो होती है, लेकिन पीने की व्यवस्था नहीं होती, लेकिन आबकारी विभाग को दुकान की लाइसेंस फीस का दो प्रतिशत शुल्क चुका कर यहां पीने की व्यवस्था की जा सकती है।

प्राकृतिक आपदाओं में राहत राशि बढ़ाई
कैबिनेट ने प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए राहत राशि बढ़ाने को भी मंजूरी दी है। आरबीसी 6/4 के मापदंड में संशोधन किया गया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के समय में ऊंट के मुंह में जीरा की तरह किसानों को राहत राशि दी जाती थी। हम लगातार आरबीसी 6-4 में संशोधन करके प्राकृतिक आपदा और दूसरी आपदाओं के समय राहत राशि में बढ़ोतरी कर रहे हैं।

जानिए, किस आपदा में कितनी राहत राशि मिलेगी

  • अगर बाढ़ आती है, भूस्खलन होता है, तो राहत राशि 37,500 को बढ़ाकर 47,000 रुपए कर दिया गया है।
  • प्राकृतिक आपदा में दुधारू पशु भैंस, गाय आदि की नुकसान होने पर इसकी राशि 30, हजार से बढ़ाकर 37,500 रुपए किया गया है।
  • भेड़, बकरी की हानि पर भी राहत राशि 3,000 से बढ़ाकर 4,000 कर दी गई है।
  • गैर दुधारू पशु बैल, घोड़ा जानवरों की हानि होने पर पर राहत राशि 16 हजार से बढ़ाकर 32 हजार रुपए कर दी गई है।
  • बछड़ा, गधा जैसे पशुओं की हानि पर भी राहत राशि बढ़ाई है।
  • प्राकृतिक प्रकोप से प्रभावित पशुओं को अस्थाई शिविर में रखने पर राहत राशि 70 रुपए प्रतिदिन से बढ़ाकर 80 रुपए प्रतिदिन की गई है। छोटे पशुओं को 35 रुपए से बढ़ाकर 45 रुपए कर दिया है। यहां तक कि मुर्गी की राशि 60 से बढ़ाकर 100 रुपए कर दी गई है।
  • झुग्गी झोपड़ी के नुकसान पर राहत राशि को बढ़ाकर 6000 से ₹8000 किया गया है। इनके अंदर रहने वाले पशुओं के नुकसान पर राहत राशि को 2000 से बढ़ाकर 3000 तक किया गया है।

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