MP की 'शराब माफिया' पर शिकंजा: सोम डिस्टलरी की 50 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी गई, 14 करोड़ सरेंडर!

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश की प्रमुख शराब कंपनी सोम डिस्टलरी (Som Distillery) एक बार फिर जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई है। सेंट्रल एक्साइज विभाग ने भोपाल और रायसेन जिले में कंपनी के पांच ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है। दावा किया जा रहा है कि यह कार्रवाई 50 करोड़ रुपए (₹50 crore) तक की टैक्स चोरी से जुड़ी हो सकती है। छापे के दौरान, शुरुआती जांच में ही बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद कंपनी ने तुरंत 14 करोड़ रुपए (₹14 crore) सरेंडर कर दिए। इस बड़े खुलासे से राजधानी भोपाल में हड़कंप मच गया है, और यह मामला सरकारी राजस्व को हुए भारी नुकसान की ओर इशारा करता है।
50 करोड़ की टैक्स चोरी: क्या है पूरा मामला?
सेंट्रल एक्साइज विभाग ने भोपाल के एमपी नगर स्थित मुख्यालय के साथ-साथ रायसेन जिले के सेहतगंज और गोचरा चक में स्थित यूनिट्स पर छापेमारी की। शुरुआती जांच में, टीम को कच्चे बिल, अधूरी फाइलें और स्टॉक से संबंधित अनियमितताएं मिलीं। कंप्यूटर रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं ताकि पूरे वित्तीय लेनदेन का पता लगाया जा सके। यह कार्रवाई मुख्य रूप से अग्रिम प्राधिकरण योजना (Advance Authorization Scheme) के तहत आयात की गई खाली बोतलों और बीयर के डिब्बों से जुड़ी है। आरोप है कि कंपनी ने इन आयातित सामग्रियों का गलत उपयोग किया और उन्हें घरेलू बाजार में बेचा, जिससे सरकार को भारी टैक्स का नुकसान हुआ।
इस पूरे मामले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि विभाग ने 50 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का दावा किया है, जबकि कंपनी ने तुरंत 14 करोड़ रुपए जमा करा दिए। यह राशि इस बात का सबूत है कि कंपनी में बड़े पैमाने पर वित्तीय हेरफेर हुआ है। जांच टीम फिलहाल दस्तावेजों और स्टॉक का गहन मिलान कर रही है, और यह उम्मीद है कि टैक्स चोरी का यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
लाइसेंस में हेरफेर और आयातित बोतलों का खेल
सोम डिस्टलरी पर सबसे गंभीर आरोपों में से एक विदेशी बोतलों के आयात से जुड़े लाइसेंस में हेरफेर का है। सीमा शुल्क विभाग (Customs Department) ने एक बयान में कहा कि कंपनी ने करीब 350 अग्रिम प्राधिकरणों (Advance Authorizations) के तहत बीयर की खाली कांच की बोतलें और डिब्बे आयात किए थे। इन सामग्रियों का उपयोग केवल निर्यात के लिए किया जाना था, लेकिन आरोप है कि कंपनी ने इन्हें शराब के साथ पैक करके घरेलू बाजार में बेच दिया।
जांच में यह भी पाया गया कि आयातित बोतलों का वास्तविक स्टॉक कम दिखाया गया था, जबकि निर्यात से संबंधित दस्तावेज भी अधूरे थे। यह एक सुनियोजित वित्तीय धोखाधड़ी का मामला प्रतीत होता है, जिसमें कंपनी ने नियमों का उल्लंघन कर सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इस तरह की धोखाधड़ी न सिर्फ कर चोरी है, बल्कि यह देश के आयात-निर्यात कानूनों का भी गंभीर उल्लंघन है।
कर्मचारियों का विरोध: क्या छिपाने की कोशिश?
जब एक्साइज विभाग की टीम ने सेहतगंज यूनिट और भोपाल के दफ्तर में छापेमारी शुरू की, तो कंपनी के कर्मचारियों ने इसका विरोध किया। हालांकि कंपनी के एक प्रबंधक ने इसे एक 'नियमित प्रक्रिया' बताने की कोशिश की, लेकिन वे इस बात का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए कि यह कार्रवाई किस विशेष मामले में की जा रही है। कर्मचारियों का यह विरोध कई सवाल खड़े करता है। क्या वे जांच में बाधा डालना चाहते थे? या क्या वे किसी महत्वपूर्ण सबूत को छिपाने की कोशिश कर रहे थे? ऐसी छापेमारी के दौरान अक्सर कर्मचारियों का विरोध देखा जाता है, जो यह दर्शाता है कि कंपनी के भीतर कुछ ऐसा चल रहा है, जिसे वे जांच एजेंसियों की नज़र से बचाना चाहते हैं।
पहले भी जांच एजेंसियों के निशाने पर थी सोम डिस्टलरी
सोम ग्रुप के लिए यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी, आयकर विभाग और अन्य केंद्रीय एजेंसियां इस समूह पर छापेमारी कर चुकी हैं। पूर्व की कार्रवाइयों में भी करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं। यह दिखाता है कि यह कोई एक बार का अपराध नहीं है, बल्कि यह एक पैटर्न है, जहाँ कंपनी बार-बार कानूनों का उल्लंघन करती रही है। लगातार जांच एजेंसियों के निशाने पर आना यह साबित करता है कि कंपनी की वित्तीय प्रणाली में गंभीर खामियां हैं, और यह संभवतः जानबूझकर किया गया है।
जांच का दायरा: दस्तावेजों और स्टॉक की गहन जांच
फिलहाल, सेंट्रल एक्साइज विभाग की टीम दस्तावेजों और स्टॉक की गहन जांच कर रही है। इसमें कंपनी के सभी वित्तीय रिकॉर्ड, बिल, स्टॉक रजिस्टर और आयात-निर्यात के दस्तावेज शामिल हैं। जांच दल इस बात का पता लगा रहा है कि कंपनी ने कितने रुपए की कर चोरी की है और कौन-कौन लोग इसमें शामिल हैं। इसके साथ ही, कंपनी के कंप्यूटर में दर्ज रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि इलेक्ट्रॉनिक डेटा से भी सबूत जुटाए जा सकें। इस जांच के पूरा होने के बाद ही टैक्स चोरी का सही आंकड़ा और दोषियों के नाम सामने आ पाएंगे।
छापेमारी के बाद क्या हैं संभावित परिणाम?
इस छापेमारी के बाद सोम डिस्टलरी को कई गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। सबसे पहले, अगर 50 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी साबित हो जाती है, तो कंपनी को भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। दूसरा, जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस धोखाधड़ी में सहयोग किया है, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकती है। तीसरा, कंपनी का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है, जो उसके कारोबार के लिए एक बड़ा झटका होगा। इस तरह की कार्रवाइयां यह संदेश देती हैं कि सरकार वित्तीय धोखाधड़ी को गंभीरता से ले रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।