Chhatarpur : 4:30 घंटे बोरवेल में फंसी रही नैंसी, बाहर आते ही लगे जयकारे, 5 JCB मशीनों से बोरवेल के बगल में खोदा गड्‌ढा

 
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छतरपुर में रविवार शाम 3 साल की बच्ची 100 फीट गहरे सूखे बोरवेल में गिर गई। बच्ची 30 फीट की गहराई पर फंस गई। रेस्क्यू टीम ने बोरवेल में कैमरा डालने के बाद बच्ची से माता-पिता के जरिए बात की और उसके हाथों में रस्सी का फंदा कसवाकर उसे सकुशल बाहर निकाल लिया। बच्ची करीब 4.30 घंटे बोरवेल में फंसी रही।

रेस्क्यू की पूरी कहानी....

दिन- रविवार। समय- शाम 5.40 बजे। मेरे फोन की घंटी बजती है। कॉल उठाते ही उधर से आवाज आई बिजावर थाना क्षेत्र के ललगुवां गांव में एक बच्ची बोरवेल में गिर गई है। सूचना देने वाले हमारे करीबी और भरोसेमंद थे, इसलिए तत्काल बिजावर में अपने सूत्रों को फोन घनघनाया। 10 मिनट के भीतर यह पता चल चुका था कि 3 साल की राशि उर्फ नैंसी पिता रवि विश्वकर्मा बोरवेल में गिर गई है।

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इसके पहले मैं दो रेस्क्यू को कवर कर चुका था, इसलिए वहां के हालात से अच्छी तरह से वाकिफ था। रेस्क्यू में पूरी रात भी लग सकती थी। अगला दिन भी गुजर सकता था। ऐसे में सबसे पहले मैंने पूरी तैयारी की। बैग, जिसमें माइक आईडी, पेन, डायरी, ईयर फोन, कॉर्डलेस माइक और पावर बैंक रखा हुआ था, उसे लिया। साथ ही एक और बैग लिया, जिसमें LED लाइट, कपड़े, खाने-पीने का सामान भी रख लिया। मैं घटनास्थल से करीब 55 किमी दूर छतरपुर में था।

रात का सफर था, इसलिए अकेले जाना उचित नहीं समझा। सहयोगी रामेश्वर निरंजन को कॉल किया और SP ऑफिस के सामने आने को कहा। शाम के करीब 7 बज चुके थे और हम छतरपुर से निकल चुके थे। छतरपुर से मातगुवां तक के 17 किलोमीटर के सफर तय करने में हमें 20 मिनट का समय लगा। मातगुवां तिराहे से बिजावर की दूरी 20 किलोमीटर है। हम थोड़ा आगे बढ़े तो देखा एक ट्रक पोकलेन मशीन को लेकर फंसा हुआ है। ट्रैफिक के कारण वह मुड़ नहीं पा रहा था। काफी प्रयास के बाद ट्रक आगे बढ़ा। हम भी ट्रक के पीछे चल दिए। ट्रैफिक में फंसने के दौरान हमें पता चल गया था कि यह पोकलेन मशीन घटनास्थल पर ही जा रही है। हम 10 किमी तक ट्रक के पीछे चले। करीब 8 बजे बिजावर पहुंचे। चौराहे पर गांव जाने वाला रास्ता पूछा।

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लोगों के बताए अनुसार हम खेल मैदान के बगल वाली गली से घुसे और करीब 5 किलोमीटर आगे बढ़ने पर महुआ झाला गांव पहुंचे। यहां पर करीब 3 किलोमीटर सीधा चलने पर ग्राम पंचायत पाली आया। बच्ची के बोरवेल में गिरने की सूचना के बाद इस सिंगल लेन रोड पर ट्रैफिक का भारी दबाव था। करीब 7 किलोमीटर का सफर पूरा करने पर हम पाली गांव तिराहे यानी पंचायत के सामने पहुंच चुके थे। गांव के भीतर जाने वाला रास्ता काफी संकरा था, इस कारण यहां रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए जा रहा एक ट्राला फंस गया था।

जैसे-तैसे रात 8.40 बजे ट्राले को बाहर निकालकर वापस बिजावर की ओर रवाना कर दिया गया। इसे दूसरे रास्ते से मौके पर पहुंचने को कहा गया। जिस ओर लोग और गाड़ियों का काफिला गुजर रहा था, हम भी उसी ओर आगे बढ़े। कंफर्म करने के लिए जरूर एक-दो जगह जानकारी ली। गांव अंधेरे में डूबा हुआ था, ऊबड़-खाबड़ रास्ते से घटनास्थल से एक किमी पहले पहुंचे। यहां से गाड़ी को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। दो जेसीबी मशीनें पोकलेन मशीन के लिए रास्ता तैयार कर रही थीं।

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खेत होने से पूरा एरिया गीला था। ऐसे में करीब एक किमी पैदल चलकर हम उस खेत तक पहुंचे, जहां बच्ची बोरवेल में गिरी थी। अब तक रात करीब 8 बजकर 50 मिनट हो चुके थे। यहां सैकड़ों लोग खड़े हुए थे। कलेक्टर संदीप जी आर, SP सचिन शर्मा के साथ पूरा पुलिस-प्रशासन का अमला मौजूद था। एम्बुलेंस भी पास ही खड़ी हुई थी। बोरवेल में कैमरे के साथ ऑक्सीजन सप्लाई जारी थी। माता-पिता पास ही खड़े थे, जो बीच-बीच में बच्ची से बात करने की कोशिश कर रहे थे। पांच जेसीबी मशीन, आधा दर्जन ट्रैक्टर, मशीनी उपकरणों से बोर के समानांतर गड्ढा खोदे जाने का काम चल रहा था। किसी को आस-पास जाने की अनुमति नहीं थी।

अभी हमें आए हुए 10 मिनट ही बीते थे कि अचानक से काम में जुटीं सभी मशीनों को बंद करा दिया गया। चारों ओर सन्नाटा सा छा गया। लोगों का दिल तेजी से धड़कने लगा। तभी रेस्क्यू में लगे अधिकारी बोले, एक बार रस्सी के सहारे बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। दरअसल, बच्ची से बात चल रही थी, शोर ज्यादा न हो, इसलिए मशीनों को बंद कराया गया था। सभी ओर से हरी झंडी मिलने के बाद रस्सी में फंदा बनाया।

पुलिस के आरआई कैलाश पटेल ने रस्सी बोरवेल में डाली। बोरवेल में डाले गए कैमरे की मदद से बच्ची की हरकत का पता चल रहा था। माता-पिता अपनी आम भाषा में बच्ची से बात कर उसे समझा रहे थे। बच्ची को रस्सी पकड़कर हाथ में बांधने को कहा। बच्ची ने बात मानी और ऐसा ही किया। रस्सी बंधने के बाद सुरक्षा बल के जवानों ने रस्सी खींचकर 30 फीट नीचे फंसी बच्ची को बाहर निकाल लिया।

9 बजकर 12 मिनट पर एक खुशी वाला शोर सुनाई दिया। बच्ची बोरवेल से बाहर आ चुकी थी। जयकारों के बीच रेस्क्यू टीम ने बच्ची को TI अनूप यादव की गोद में दे दिया। टीआई से जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश प्रजापति ने बच्ची को गोद में लिया और एम्बुलेंस की ओर भागे। डॉक्टर के साथ कलेक्टर, SP भी खेत में खड़ी एम्बुलेंस के पास पहुंचे। पहले से स्टार्ट एम्बुलेंस में डॉक्टर के साथ एसपी, कलेक्टर और माता-पिता के बैठते ही वह बिजावर स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना हो गई।

सबकुछ इतना जल्दी हुआ कि हम पूरी घटना को समझ ही नहीं पाए। ऐसे में हमने बिजावर SDOP रघु केसरी से बात की। केसरी ने कहा, सबसे पहले मुझे ही तीन साल की राशि के गिरने की सूचना मिली थी। मेरे पास साढ़े 5 बजे बच्ची के बोरवेल में गिरने की सूचना आई थी। शाम 4 बजकर 50 मिनट पर वह बोरवेल में गिरी थी। सूचना मिलते ही मैंने वरिष्ठों को जानकारी देते हुए संसाधन पहुंचाने की मांग की और थाना प्रभारी अपने स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे।

मेरे पहुंचने के 10 से 15 मिनट बाद ही एसडीएम, सीईओ और तहसीलदार भी मौके पर आ गए। आधे घंटे के भीतर बिजावर से डॉक्टर की एक टीम भी आ गई थी। छतरपुर से कलेक्टर और एसपी भी डेढ़ घंटे में मौके पर पहुंच गए थे। करीब 3 घंटे 40 मिनट तक बच्ची को निकालने का रेस्क्यू चला और रात 9.12 बजे बच्ची को सकुशल बाहर निकाल लिया गया।

केसरी ने बताया कि खेत गांव के दीपू लटोरिया का है। बोर तकरीबन 100 फीट गहरा था। बोर सूखा होने से उसे भर दिया गया था। बारिश में पानी जाने की वजह से बोर के अंदर की मिट्टी 30 फीट तक धंस गई थी। बोर घास में छिपे होने के कारण नजर नहीं आ रहा था। रविवार को पिता रवि विश्वकर्मा बेटी राशि और पत्नी रोहिणी को लेकर दीपू के खेत पर काम करने पहुंचे थे। वे अन्य मजदूरों के साथ मटर बीन रहे थे। बोर के किनारे से ही बालू का ढेर लगा हुआ था।

टीलानुमा रेत होने से राशि अन्य बच्चों के साथ उसके ऊपर से फिसलने लगी। अचानक वह बोर में जा गिरी। बच्चों के आवाज देने पर सभी बोर के पास पहुंचे और फिर किसी ने मुझे कॉल किया। मैं क्योंकि सबसे पहले पहुंचा था, बालू देखकर मैंने तत्काल बोरवेल के ऊपर एक तवानुमा वस्तु रखवा दी। मैंने लोगों की मदद से बालू को बोर से दूर किया। बालू यदि बोर में गिरती तो बच्ची को नुकसान हो सकता था। बच्ची को लेकर एम्बुलेंस के रवाना होने के बोर को बंद कराने की जिम्मेदारी SDOP रघु केसरी और तहसीलदार अशोक अवस्थी ने निभाई। RI पुलिस कैलाश पटेल, कोतवाली TI अरविंद दांगी ने भी उनका साथ दिया।

बच्ची दूध-बिस्किट खाते हुए मुस्कुरा रही थी

रात 10 बजे हम बच्ची का हाल जानने के लिए बिजावर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां स्वास्थ्य केंद्र में NBSU वार्ड में बच्ची को भर्ती कराया गया था। बच्ची के पास उसके माता-पिता, डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ था। हम वार्ड में दाखिल हुए तो बच्ची बेड पर बैठी दूध बिस्किट खाती नजर आई। उसके होंठ पर सूजन थी। शरीर पर भी कई जगह खरोंच के निशान थे। हमने बच्ची को देखा तो वह मुस्कुराने लगी। बच्ची के पास बैठी नर्सिंग स्टॉफ राधा खरे ने कहा- वह अब बिल्कुल ठीक है।

कलेक्टर बोले- रस्सी के सहारे बच्ची को ऊपर खींचा गया

छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर बताते हैं कि पूर्व में हुई ऐसी ही घटनाओं से कभी कुछ सीखने को मिला है। बच्ची काफी समझदार थी। वह अच्छे से बात कर रही थी, इसलिए हमने बच्ची के माता-पिता को आगे किया और उन्हीं की भाषा में उससे बात करने काे कहा। माता-पिता के जरिए ही हमने बच्ची को हाथ पर रस्सी के फंदे को डालने को कहा। बच्ची ने ऐसा ही किया, जिससे उसे ऊपर लाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

कलेक्टर बताते हैं कि यह उनकी लाइफ और कार्यकाल का और छतरपुर जिले का तीसरा मामला है, जिसमें इस बार भी उनकी टीम सफल रही। बच्चों के बोर में गिरने की यह 15 माह में तीसरी घटना है। 22 जून 2022 को छतरपुर के पास नारायणपुरा गांव में 4 साल का बच्चा बोरवेल में गिर गया था। 16 दिसंबर 2021 को दौनी गांव में बच्ची बोरवेल में गिर गई थी। नारायणपुरा और दौनी गांव के बाद अब राशि को भी सकुशल निकाल लिया गया।

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