MP : ऐसे करें असली रेमडिसिविर की पहचान : सिर्फ पाउडर फॉर्म में ही मिलता है इंजेक्शन, बॉक्स के पीछे बने रहते है बारकोड : पढ़िए पूरी जानकरी
अगर आप भी अपने मरीज के लिए रेमडेसिविर खरीदने जा रहे हैं या खरीदने वाले हैं, तो आपको असली इंजेक्शन की कुछ पहचान बताते हैं, जिससे आप धोखा ना खा सकें। मीडिया ने इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन रखने वाली एजेंसी का जायजा लिया। यहां वैक्सीन हब के संचालक मनोज राय ने बताया, किस तरह से रेमडेसिविर की पहचान की जा सके। मनोज राय इंदौर में आ रहे पांचों कंपनियों के रेमडेसिविर इंजेक्शन के होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर भी हैं।
असली रेमडिसिविर की पहचान
सिर्फ पाउडर फॉर्म में ही यह इंजेक्शन मिलता है।
कांच की शीशी या बहुत ही हल्की होती है।
बॉक्स के पीछे बारकोड बने होते हैं।
सभी इंजेक्शन 2021 के ही बने हुए हैं, जिसका माल वर्तमान में आ रहा है।
100 मिलीग्राम की क्वांटिटी बॉक्स और बोतल पर लिखी रहती है, जिसे एक बार में ही उपयोग में लाया जा सकता है।
आईपीएस ने भी किया ट्वीट
आईपीएस मोनिका भारद्वाज ने भी जागरुकता के लिहाज से सोशल मीडिया पर इंजेक्शन की पहचान को लेकर ट्वीट किया है। ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
Attention!!
— Monika Bhardwaj (@manabhardwaj) April 26, 2021
Lookout for these details before buying Remdesivir from the market. pic.twitter.com/A2a3qx5GcA
इंदौर, जबलपुर और रतलाम में नकली इंजेक्शन
कोरोना की दूसरी लहर के बीच जीवन रक्षक माने जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी बढ़ गई है। पिछले दिनों में इंदौर में ही नकली इंजेक्शन से मामले सामने आ चुके हैं। सोमवार को ही एक युवक शीशी में ग्लूकोज का पानी भरकर उसे असली इंजेक्शन बताकर 20 हजार रुपए तक में बेचते पकड़ा गया था। इसके साथ ही, जबलपुर, रतलाम और भोपाल से भी ऐसी खबरें आई हैं। यही नहीं, उज्जैन और जबलपुर में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां नर्सिंग स्टाफ नकली इंजेक्शन मरीज को लगाकर असली बचा लेते थे।
अब तक रेमडेसिविर बेचते ये भी पकड़े गए
एसटीएफ ने चिड़ियाघर के पास रेमडेसिविर बेच रहे एमआर राजेश पिता जगदीश पाटीदार निवासी राऊ और उसके दोस्त ज्ञानेश्वर पिता धनराज बारसकर निवासी भमौरी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में कबूल किया है, ये इंजेक्शन वे विजयनगर स्थित राज मेडिकल के अनुराग पिता घनश्याम सिंह निवासी स्कीम 114 से खरीद कर लाए थे। तीनों से 12 इंजेक्शन जब्त किए गए थे।
पीथमपुर स्थित फार्मा कंपनी इपोक के मालिक डॉक्टर विनय शंकर त्रिपाठी निवासी रानीबाग से 20 लाख रुपए के 400 इंजेक्शन जब्त किए गए थे। क्राइम ब्रांच एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर के अनुसार वह हिमाचल में अवैध रूप से इंजेक्शन बनाकर यहां बेचने लाया था।
10 दिन पूर्व सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पीड़ित पक्ष ने नर्स पर इंजेक्शन बेचने का आरोप लगाया गया था। उसका भी वीडियो वायरल हुआ था, लेकिन मामले में कार्रवाई नहीं हुई।
राजेंद्र नगर पुलिस ने नीलेश नाम के व्यक्ति को रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़ा था। उसने पीड़ित परिवार से इंजेक्शन देने के लिए 22 हजार रुपए में सौदा किया था।
रविवार को राजेंद्रनगर थाना पुलिस ने बारोड अस्पताल की नर्स कविता चौहान,डॉक्टर भूपेंद्र परमार और एमआर शुभम को गिरफ्तार किया था ।कविता ने कहा इंजेक्शन 35 हजार रुपये में देगी। उसने कहा एक इंजेक्शन बिक गया है
सोमवार को कनाडिया थाना क्षेत्र में रेमडेसिविर के 2 इंजेक्शन के साथ लैब टेक्नीशियन को पकड़ा गया है। वह दो इंजेक्शन जरूरतमंद मरीज के परिजन को 52 हजार रुपए में बेच रहा था।