Ayodhya Ram Mandir Booking Price Details : रामलला के दर्शन के लिए कैसे अयोध्या पहुँचे , स्टोरी में पढ़िए श्रद्धालुओं के ठहरने के क्या-क्या इंतजाम हैं
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source danik bhasker तारीख: 6 दिसंबर 1992, अयोध्या में पूरा माहौल राममय था। विश्व हिंदू परिषद ने कारसेवा का ऐलान किया था। उग्र कारसेवकों ने विवादित ढांचा ढहा दिया। उस वक्त ये देश की सबसे बड़ी घटना थी। देश-विदेश से बड़े जर्नलिस्ट इसे कवर करने आए थे। सभी ने रामजन्म भूमि से 8 किमी दूर बने शान-ए-अवध होटल में बेस बनाया था।
1986 में बना शान-ए-अवध अयोध्या का सबसे पुराना होटल है। 31 साल बाद ये फिर मेहमानों के लिए तैयार है। अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को रामलला के मंदिर का उद्घाटन है, इससे पहले ही अयोध्या के ज्यादातर होटल और धर्मशालाएं बुक हो गई हैं।
अयोध्या गाइड सीरीज की ये तीसरी स्टोरी है। पहली स्टोरी में हमने अयोध्या की अहमियत और खासियत बताई थी, दूसरी स्टोरी में बताया कि रामलला के दर्शन के लिए कैसे अयोध्या पहुंच सकते हैं। इस स्टोरी में पढ़िए श्रद्धालुओं के ठहरने के अयोध्या में क्या-क्या इंतजाम हैं।
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5 लाख लोगों के आने का अनुमान, एक दिन का किराया 35 हजार रुपए तक पहुंचा
मंदिर ट्रस्ट का अनुमान है कि उद्घाटन समारोह के बाद अयोध्या में रोज करीब 2 लाख श्रद्धालु पहुंच सकते हैं। उद्घाटन वाले दिन ये संख्या 5 लाख तक पहुंच सकती है। होटल बुक हैं, इसलिए 22 जनवरी से पहले 500 होम-स्टे खोलने का प्लान है।
अयोध्या में 15 लग्जरी होटल हैं, जिनमें अभी बुकिंग चल रही है। शान-ए-अवध, पार्क इन, रामायण, रेडिसन, पंचशील, कोहिनूर, रॉयल हेरिटेज, त्रिमूर्ति और अवध सनशाइन जैसे बड़े होटलों में एक दिन का किराया 4 हजार से 35 हजार रुपए तक है।
कम बजट है, तो भी परेशानी नहीं, 100 रुपए में मिलेंगे कमरे
देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के क्या इंतजाम किए गए हैं, इस सवाल पर रीजनल टूरिज्म ऑफिसर आरपी यादव बताते हैं, ‘अयोध्या आने वालों के लिए 175 होटलों और धर्मशालाओं की व्यवस्था की गई है। यात्री अपनी सहूलियत और बजट के हिसाब से यहां ठहर सकते हैं।’
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4 गुना तक बढ़ गया बिजनेस, 2 साल में बनेंगे 51 नए होटल
अयोध्या पर्यटन विभाग के मुताबिक, एक साल में राम नगरी में 500 से ज्यादा घरों को होम स्टे की तर्ज पर डेवलप किया गया है। इसमें एक शर्त रखी गई है कि कोई भी मकान मालिक घर में ज्यादा से ज्यादा 5 कमरों को ही होम स्टे में बदल सकता है। होम स्टे बनने से अयोध्या के होटलों और धर्मशालाओं पर लोड कम होगा।
सबसे पुराने शान-ए-अवध होटल में 80% रूम बुक
होटल शान-ए-अवध के मालिक शरद कपूर बताते हैं, ‘यहां होटलों के 80% रूम बुक हो चुके हैं। अयोध्या के होटल सेक्टर में इससे अच्छे दिन शायद फिर नहीं आ सकते।’
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राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ की धर्मशालाओं में फ्री खाना
अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शहर में कई जगह खाने और नाश्ते का इंतजाम किया गया है। राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ पर पड़ने वाली धर्मशालाओं में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को फ्री में खाना मिलेगा। इसके लिए श्रद्धालुओं को अपना आधार कार्ड दिखाना पड़ेगा।
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शहर में पिज्जा हट, डोमिनोज, ऑरा फूड, एवरग्रीन रेस्टोरेंट, रामप्रस्थ जैसे रेस्टोरेंट की चेन भी रामलला मंदिर के आसपास खुल गई हैं। सबसे ज्यादा श्रद्धालु 84 कोसी परिक्रमा मार्ग से रामलला के दर्शन करने पहुंचेंगे। इसलिए यहां शराब की दुकानें बंद रखी जाएंगी।
वाराणसी से अयोध्या तक हेलिकॉप्टर सर्विस फरवरी से
अयोध्या में क्रूज बोट और हेलिकॉप्टर चलाने की भी तैयारी है। हालांकि, अभी इनके लिए इंतजार करना होगा। रीजनल टूरिज्म ऑफिसर राजेंद्र प्रताप यादव बताते हैं, ‘वाराणसी से अयोध्या तक हेलिकॉप्टर की कनेक्टिविटी के लिए कई कंपनियों से बात चल रही है।’
राजेंद्र प्रताप यादव के मुताबिक, सरयू नदी में क्रूज बोट चलाने का प्रोजेक्ट फिलहाल होल्ड है। गुप्तार घाट पर जटायु क्रूज की रिपेयरिंग और सजावट का काम चल रहा है। जल्द ही अलकनंदा क्रूज के साथ ही जटायु क्रूज को भी सरयू में उतारा जाएगा।
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अयोध्या को जानना हो, तो इन 10 जगहों पर जरूर जाएं
अयोध्या में इस वक्त हर जगह सजावट की गई है। घरों से लेकर चौराहों और दुकानों को एक रंग में रंगा गया है। रामलला के मंदिर की तरफ जाने वाली गलियों में देवी-देवताओं के झांकियों की पेंटिंग्स बनाई गई हैं। वैसे तो पूरी अयोध्या में श्रीराम से जुड़ी कहानियां हैं, लेकिन इन 10 जगहों की बात ही अलग है।
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हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी आशीष दास कहते हैं कि लोग पहले इसी मंदिर में आते हैं। मान्यता है कि हनुमान जी की अनुमति मिलने के बाद रामलला के दर्शन के लिए जा सकते हैं। रामनवमी और हनुमान जयंती पर इस मंदिर में 5 लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
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तुलसी स्मारक भवन संत गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित है। यहां रोज सम्मेलन और धार्मिक प्रवचन होते हैं। अयोध्या शोध संस्थान भी यहीं है, जहां तुलसीदास की रचनाएं मौजूद हैं। यहां रोज रामलीला और रामायण का मंचन होता है।