'सेलेब्रिटी जिम्मेदारी' पर थू! किंग खान पान मसाला का ऐड करके युवाओं को दें रहें कैंसर का न्योता? पुलिस और कानून क्यों मौन हैं!

 
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YouTuber ध्रुव राठी ने शाहरुख खान से पूछा कि ₹800 करोड़ सालाना सिर्फ ब्याज से कमाने वाला दुनिया का सबसे अमीर अभिनेता पान मसाला क्यों एंडोर्स करता है?

लोकप्रिय यूट्यूबर ध्रुव राठी (Dhruv Rathee) ने बॉलीवुड के 'किंग खान' शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के एक विज्ञापन पर सीधा और तीखा सवाल उठाकर ऑनलाइन दुनिया में तूफान ला दिया है। यह सवाल केवल शाहरुख खान पर नहीं, बल्कि समूचे बॉलीवुड और सेलिब्रिटी की नैतिक जिम्मेदारी पर है।

राठी ने अपने वीडियो में शाहरुख खान द्वारा पान मसाला (Pan Masala) का एंडोर्समेंट करने पर सवाल उठाया, जो एक ऐसा उत्पाद है जिसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर जोखिमों (Serious Health Risks) के बारे में सार्वजनिक रूप से जानकारी है। यह बहस अब केवल व्यावसायिक सौदों तक सीमित नहीं रही है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) और धन की सीमा के बीच के टकराव को उजागर कर रही है।

आँकड़ों का वार: 'ब्याज से ही ₹800 करोड़, तो क्या ₹100-200 करोड़ की डील जरूरी?' 
ध्रुव राठी ने शाहरुख खान की अनुमानित संपत्ति के आँकड़े पेश करते हुए इस सवाल को और भी अधिक धार दी।

नेटवर्थ का खुलासा: राठी ने बताया कि शाहरुख खान की अनुमानित नेटवर्थ (Net Worth) लगभग ₹12,400 करोड़ है, जिससे वह दुनिया के सबसे अमीर अभिनेताओं (World's Richest Actors) में से एक हैं।
ब्याज की कमाई: उन्होंने सरल गणित का उपयोग करते हुए बताया कि यदि वह इस पूरी संपत्ति को बैंक में रखें, तो उन्हें सालाना लगभग ₹800 करोड़ (₹800 Crore) केवल ब्याज (Interest) से ही मिल सकते हैं।

इस आँकड़े को सामने रखते हुए, ध्रुव राठी ने bluntly पूछा, "क्या उन्हें (शाहरुख खान) वास्तव में ₹100-200 करोड़ की एंडोर्समेंट डील्स की ज़रूरत है?" यह सवाल उन सभी को सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर अमीर अभिनेता को विज्ञापन क्यों करना चाहिए खासकर ऐसे उत्पाद का जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

सेलिब्रिटी की जिम्मेदारी पर बहस: स्वास्थ्य बनाम धन 
राठी का सवाल एक व्यापक बहस का केंद्र बन गया है: स्वास्थ्य के लिए हानिकारक विज्ञापन (Advertisements harmful to health) को एंडोर्स करने की नैतिकता क्या है?

जनता पर प्रभाव: भारत में, बड़े सेलिब्रिटी (Celebrity) जो भी एंडोर्स करते हैं, उसका सीधा और गहरा असर उनके करोड़ों फॉलोअर्स, खासकर युवा वर्ग (Youth) पर पड़ता है। जब शाहरुख खान जैसा कोई आइकन पान मसाला का प्रचार करता है, तो यह अनजाने में इसके उपयोग को वैधता (Legitimacy) प्रदान करता है।

सेलेब्रिटी की जिम्मेदारी: यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या एक निश्चित वित्तीय स्थिति (Financial position) पर पहुँचने के बाद, सेलिब्रिटीज की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे उन प्रोडक्ट्स को एंडोर्समेंट (Endorsement) न करें जो सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) के लिए खतरनाक हैं?

एथिकल बाउंड्री: यह बहस एंडोर्समेंट की सीमा (Limits of endorsement) और नैतिक प्रश्न (Ethical Questions) के इर्द-गिर्द घूम रही है, जहाँ व्यक्तिगत लाभ और सार्वजनिक हित के बीच टकराव है। सेलिब्रिटी को कौनसे प्रोडक्ट एंडोर्स नहीं करने चाहिए (Which products should celebrities not endorse), इस पर कानून से ज्यादा, नैतिक दबाव की जरूरत है।

निष्कर्ष: एंडोर्समेंट की सीमा और नैतिक प्रश्न
ध्रुव राठी द्वारा शाहरुख खान पर उठाया गया यह प्रश्न केवल व्यक्तिगत आय या एंडोर्समेंट डील तक सीमित नहीं है। यह भारत में सेलिब्रिटी संस्कृति (Celebrity culture) और उनके सामाजिक प्रभाव (Social impact) को चुनौती देता है। जब शाहरुख खान जैसे लोग, जिनके पास ₹800 करोड़ सालाना ब्याज से कमाने की क्षमता है, चंद रुपयों के लिए स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाले उत्पाद का प्रचार करते हैं, तो यह नैतिकता (Ethics) और व्यवसायीकरण (Commercialization) के बीच की खाई को उजागर करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बॉलीवुड के अन्य बड़े सितारे इस बहस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

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