ये 10 उपाय करें, पैसे की तंगी कभी नहीं होगी

 
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स्टॉक में निवेश करें या म्यूचुअल फंड में? कौन सा इक्विटी फंड मेरे लिए सही रहेगा? शेयर अचानक ऊपर या नीचे जाएं, तब क्या करें? ऐसे कई सवाल हमारे मन में आते हैं। कई बार यही समझना मुश्किल हो जाता है कि इन्वेस्टमेंट की शुरुआत कहां से की जाए? ऐसी 10 पहेलियों का जवाब हम यहां दे रहे हैं।

1. स्टॉक्स खरीदें या म्यूचुअल फंड में निवेश करें?
वैश्विक महामारी के बीच मार्केट में तेजी के बने ट्रेंड से कई लोग मालामाल हुए, लेकिन अब कई एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि आगे मुश्किल बढ़ सकती है। फिनफिक्स रिसर्च एंड एनालिटिक्स के संस्थापक प्रबलीन बाजपेयी की मानें तो, ‘अचानक हुआ बंपर मुनाफा इस ग़लतफहमी में डाल देता है कि सबकुछ हमारे नियंत्रण में है। आज कई निवेशकों को लग रहा है कि फंड मैनेजरों से बेहतर रिटर्न वे खुद हासिल कर सकते हैं।’

जान लीजिए, शेयर बाजार कभी भी पलटी खा सकता है। कई महीनों का मुनाफा कुछ दिनों में गंवाई जा सकती है। म्यूचुअल फंड में जानकार आपका पैसा मैनेज करते हैं, इसलिए उसमें जोखिम कम होता है। सीधे शेयरों में पैसा लगाने से पहले म्यूचुअल फंड का मजबूत पोर्टफोलियो बना लें। अपने शॉर्ट और लॉन्ग टर्म लक्ष्य तय करें और उनके हिसाब से इक्विटी, डेट या फिक्स्ड इनकम, गोल्ड जैसे एसेट्स में पैसे लगाएं। इसके बाद ही शेयरों में सीधे निवेश करना मुनासिब होगा।

2. हाल में खरीदा गया स्टॉक तेज़ी से ऊपर जाए, तब क्या करें?
किसी शेयर के ऊपर जाने पर पैसे निकाले जाएं या और बढ़ने का इंतज़ार किया जाए, इसका कोई सटीक जवाब नहीं मिल सकता। फिलहाल मिल रहा मुनाफा हाथ से ना निकले, उसके लिए बेहतर होगा कि पैसे निकाल लिए जाएं। लेकिन पूरे नहीं।

सेंट्रम ब्रोकिंग के सीईओ के संदीप नायक कहते हैं कि निवेशकों को शेयर खरीदते समय एक लक्ष्य तय करना चाहिए। वह लक्ष्य पूरा हो जाए, तो मार्केट के मौजूदा हालात को परखिए। अगर समझ नहीं आ रहा कि स्टॉक और ऊपर जा सकता है या नहीं, तो कुछ पैसा निकाल लेना सही होगा।

3. स्टॉक में तेज़ गिरावट आए, तब क्या करें?
निवेश करते समय जिस तरह मुनाफे का लक्ष्य तय करना ज़रूरी है, उसी तरीके से घाटे की भी सीमा तय करनी होगी। ज़ीरोधा के को-फाउंडर और सीआईओ निखिल कामथ कहते हैं, ‘अगर शॉर्ट टर्म के लिए पैसे लगा रहे हैं तो शेयर की कीमत निवेश के पांच प्रतिशत नीचे जाने पर उसे बेचा जा सकता है। अगर लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं तो 15 प्रतिशत तक के घाटे को झेला जा सकता है।’ बड़ी कंपनियों के मामले में थोड़ा और इंतज़ार किया जा सकता है। इनमें गिरावट को और शेयर खरीदने के अवसर की तरह देख सकते हैं। रिलायंस, एचडीएफसी, टाटा जैसे नामी शेयर वापस तेज़ी से उठने की क्षमता रखते हैं।

4. किस तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही होगा?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि आपको चार-पांच फंड से अधिक की ज़रूरत नहीं होती। निवेशकों को ज़्यादा हिस्सा मल्टी-कैप फंडों में लगाना चाहिए। इससे लार्ज और मिड-साइज़, दोनों तरह के फंड तक एक साथ पहुंच बनेगी। ध्यान रखें कि टैक्स में बचत कराने वाले ईएलएसएस फंड अधिकतर मल्टी-कैप होते हैं।

अगर आप जोखिम उठाने का दम रखते हैं, तो एक-दो मिड कैप फंड में भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन आपके पूरे पोर्टफोलियो में इन्हें 20-30 प्रतिशत से अधिक जगह नहीं मिलनी चाहिए। वहीं स्मॉल कैप फंड हर किसी के लिए नहीं होते। इनमें जोखिम बहुत ज़्यादा होता है।

5. डेट में निवेश का सबसे अच्छा विकल्प क्या है?
डेट में निवेश इसलिए किया जाता है ताकि वह सुरक्षित रहे। इसका मकसद मुनाफा नहीं होता। यहां एसएलआर रूल अपनाना चाहिए। एस से सेफ्टी, यानी पैसा सुरक्षित रहे। उसके बाद है लिक्विडिटी यानी कितनी आसानी से और कम समय में स्कीम से पैसा निकाला जा सकाता है। अंत में आता है रिटर्न।

यहां सरकारी स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह दी जाती है। वे सुरक्षित होने के साथ बैंक डिपॉज़िट से अधिक रिटर्न देती हैं। फिनविन फाइनैंशल प्लैनर्स के संस्थापक मेलविन जोसफ कहते हैं, ‘वीपीएफ, पीपीएफ, सुकन्या और आरबीआई सेविंग्स बॉन्ड्स जैसे विकल्प चुने जा सकते हैं। बुज़ुर्गों के लिए प्रधानमंत्री वय वंदना योजना और सीनियर सिटिज़न सेविंग्स स्कीम अच्छे विकल्प हैं।’

6. सबसे अच्छा हेल्थ प्लान कौन सा है?
इसका फैसला उम्र के हिसाब से किया जा सकता है। अगर आप यंग और सिंगल हैं तो एक साधारण हेल्थ प्लान ले सकते हैं जिसमें अस्पताल के खर्चे कवर हो सकें। अगर आपकी उम्र 35 साल या अधिक है तो फैमिली फ्लोटर प्लान लेना सही होगा। परिवार के लिए इकट्ठा प्लान लेना सस्ता पड़ेगा और सभी सदस्य उसमें कवर हो सकेंगे।

उम्र जब 40 के पड़ाव पर पहुंचे तो बीमारियां पकड़ने लगती हैं। मनिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के एमडी और सीईओ प्रसून सिकदर कहते हैं, ’40 पार होने पर ऐसा बीमा कराया जा सकता है जिसमें कैंसर, हृदय रोग, किडनी की समस्या जैसी बड़ी बीमारियां होने पर इलाज के खर्च में मदद मिल सके।’

7. रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
एक अच्छे रिटायरमेंट प्लान में अलग-अलग तरीकों का सहारा लिया जाता है। एक्सपर्ट्स की सलाह है कि 100 या 90 में से अपनी उम्र घटाने पर जो आंकड़ा आए, प्लान का उतना प्रतिशत पैसा इक्विटी यानी शेयरों में निवेश किया जाना चाहिए। यानी अगर आपकी उम्र 40 साल है तो रिटायरमेंट प्लान का 50-60 फीसदी स्टॉक्स और इक्विटी फंड में लगाना चाहिए।

रिटायरमेंट के बाद कर-मुक्त आय पाने के लिए इंश्योरेंस कवर देने वाले यूलिप प्लान का सहारा ले सकते हैं। वहीं प्रॉविडेंट फंड के ज़रिए सेविंग्स बढ़ाई जा सकती है। साथ ही टैक्स बेनेफिट देने वाली सस्ती एनपीएस स्कीम भी प्लान में शामिल होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करेगी कि निवेशक को रिटायरमेंट के बाद आजीवन हर महीने पेंशन मिले।

8. गोल्ड में कैसे निवेश करें?
वैश्विक महामारी ने एक बार फिर साबित किया है कि गोल्ड सबसे सुरक्षित विकल्प है निवेश के लिए। इसमें कई तरीके से पैसा लगाया जा सकता है। फ़िज़िकल गोल्ड अपने इस्तेमाल या किसी को देने भर के लिए अच्छा होता है। इन पर अच्छा रिटर्न नहीं मिलता। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि मुनाफा कमाने के मकसद से अगर पैसे लगा रहे हैं तो पेपर गोल्ड में निवेश करें।

इसके दो रास्ते हैं – गोल्ड ईटीएफ, यानी गोल्ड फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी)। सरकार हर कुछ समय पर एसजीबी जारी करती है। इन्हें आठ साल के लिए खरीदा जाता है। इनमें पांच साल का लॉक-इन पीरियड होता है यानी इतने समय के बाद ही आपको बेचने की आजादी मिलती है। अगर मैच्योरिटी तक बॉन्ड नहीं तोड़ा तो पूरा मुनाफा टैक्स-फ्री हो जाता है।

ईटीएफ का यह फायदा है कि इन्हें कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है। जूलियस बेयर इंडिया के एमडी उन्मेष कुलकर्णी कहते हैं, ‘लॉन्ग टर्म प्लान के लिए एसजीबी और शॉर्ट टर्म के लिए ईटीएफ सही विकल्प हैं।’

9. कौन सा टर्म प्लान चुना जाए?
लाइफ इंश्योरेंस का मकसद अपने और अपनों को आर्थिक रूप से सुरक्षित करना होता है। इमरजेंसी सिचुएशन में और मुखिया की अचानक मौत होने पर परिवार को आर्थिक सहारा मिले, इसके लिए रेगुलर टर्म प्लान ले सकते हैं। इसका प्रीमियम कम होता है। वहीं अगर हर कुछ दिन पर पेमेंट के झंझट से बचना चाहते हैं तो सिंगल प्रीमियम टर्म प्लान सही होगा। यह रेगुलर प्लान से महंगा होता है। यह उनके लिए सही होता है, जिनकी आय निश्चित ना हो। अगर आप चाहते हैं कि प्लान में निवेश किए गए पैसों पर आपको समय के साथ रिटर्न भी मिले, तो रिटर्न ऑफ प्रीमियम प्लान ले सकते हैं।

10. निवेश करें या कर्ज़ चुकाएं?
निवेश पर कितने मुनाफे की उम्मीद है, उसके मुताबिक यह फैसला लेना होगा। अगर रिटर्न कर्ज़ के ब्याज के अधिक होने की गुंजाइश है, तो निवेश कर सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि शेयर में लगाए गए पैसों पर रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। वहीं लोन समय से पहले चुकाया तो ब्याज पर बचत ज़रूर होगी।

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