Jal Jeevan Mission Scam ED Raid : कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेश जोशी के घर पर ED टीम की छापेमार कार्यवाही, पत्नी और बहू से पूछताछ जारी

 
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Jal Jeevan Mission Scam ED Raid : जल जीवन मिशन घोटाले केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को पूर्व मंत्री महेश जोशी और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापे मारे। जयपुर, दिल्ली और गुजरात की 10 टीमों ने आज सुबह 6 बजे पांच लोगों के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की। इनमें पूर्व मंत्री महेश जोशी के 2 घर, जलदाय विभाग के 2 ठेकेदारों और 2 अधिकारियों के ठिकाने शामिल हैं।

ईडी की टीमें महेश जोशी के घर पर तलाशी कर रही हैं। महेश और उनके परिवार के 2 सदस्यों से कुछ फाइलों को लेकर पूछताछ की जा रही है। जल जीवन मिशन घोटाले को लेकर पिछले 6 महीने से ईडी की टीमें जांच कर रही हैं। ईडी के सूत्रों मुताबिक, जांच एजेंसी महेश जोशी को ईडी मुख्यालय आने के लिए नोटिस भी दे सकती है। इसके बाद आगे की पूछताछ दिल्ली या जयपुर में होगी।

ईडी वाउचर को लेकर कर रही पूछताछ
तीन गाड़ियों में Ed की टीम सुबह 5 बजे महेश जोशी के रेलवे स्टेशन स्थित घर पर पहुंची। 6:30 बजे जब टाइल्स का ठेकेदार आया तो उसे और लेबर को ईडी के अधिकारियों ने वहां से चले जाने के लिए कहा। इसके बाद ठेकेदार चला गया। अभी यह मकान निर्माणाधीन है। हालांकि महेश जोशी और उनका परिवार फर्स्ट फ्लोर पर रह रहा है।

ईडी के अधिकारी फर्स्ट फ्लोर पर ही महेश जोशी, उनकी पत्नी और बहू से पूछताछ कर रहे हैं। ईडी के पास में कई अहम दस्तावेज हैं, जिनकी पुष्टि की जा रही है। ईडी के पास कुछ वाउचर हैं, जिन पर साइन कर करोड़ों रुपए का भुगतान उठाया गया है। ये वाउचर जोशी या जल जीवन मिशन में लगे हुए अधिकारियों के सिग्नेचर के बाद ही क्लीयर हुए हैं, यह पुष्टि हो जाने के बाद ईडी आगे एक्शन करेगी।

फर्जी बिलों को लेकर पहुंची है ईडी
जल जीवन मिशन में हुई खरीद के बड़े अमाउंट के फर्जी बिल ईडी के हाथ लगे हैं। इन बिलों को लेकर ईडी पूर्व मंत्री सहित अधिकारी और ठेकेदारों से पूछताछ कर रही है। इन बिलों की मंजूरी देने की जिम्मेदारी इनके पास ही थी।

पांच पॉइंट में समझें, क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?
पहला: ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी। जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना था। इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी। इसकी जगह पर एचडीपीई की पाइपलाइन डाली गई।

दूसरा: पुरानी पाइपलाइन को नया बता कर पैसा लिया गया। जबकि जमीन में पाइपलाइन डाली ही नहीं गई।

तीसरा: कई किलोमीटर तक आज भी पानी की पाइपलाइन डाली ही नहीं गई है, लेकिन ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर उसका पैसा उठा लिया।

चौथा: ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उन्हें नए पाइप बता कर बिछा दिया और सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए।

पांचवां: ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया, जिसकी अधिकारियों को जानकारी थी। इसके बाद भी उसे टेंडर दिया गया। क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था।

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