Mughal History : मुगल बादशाह अकबर के अनपढ़ रहने की ये थी खास वजह ..

 
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Mughal History : अकबर जब चार वर्ष चार माह का था तब हुमायूँ ने ही उस पर गुरु का कर्तव्य आरोपित किया था। मुल्लाज़ादा मुल्ला असमुद्दीन अकबर के पहले शिक्षक थे, लेकिन असमुद्दीन के प्रयासों के बावजूद अकबर पढ़ना-लिखना नहीं सीख सका। जानिये क्यों। मुगल बादशाह अकबर बेशक अनपढ़ रहे, लेकिन अपने कार्यकाल में विद्वानों, लेखकों और किसी खास क्षेत्र में मुकाम बनाने वाले लोगों का सम्मान किया. उन्हें अपने दरबार के नवरत्नों में जगह दी और कई अहम पदों पर नियुक्त भी किया. दिलचस्प बात यह भी है कि मुगलों में बादशाहों को अरबी, उर्दू और फारसी समेत कई भाषाओं की जानकारी रही है. ऐसे में अकबर का अनपढ़ होना चौंकाता है.

इसलिए अकबर अनपढ़ रह गए
इतिहासकार एंड्रे विंक लिखते हैं कि शहजादे अकबर को शिक्षित करने की कई कोशिशें की गईं. लम्बे समय तक चली कोशिशों के बाद कई शिक्षक अकबर को शिक्षित करने में फेल हो गए. बचपन में अकबर का यह हाल देखकर पिता हुमायूं ने उन्हें दूसरे देश तक भेजा, लेकिन कोई हल नहीं निकला.

अकबर दूसरे शहजादों की तरह न तो पढ़ना सीख पाए और न लिखना. लगातार असफलता मिलने के बाद हुमायूं ने इन्हें भारतीय सभ्यता और रीति-रिवाज की शिक्षा दिलवानी शुरू की. उन्हें कला और संस्कृति की जानकारी दी जाने लगी. इतना ही नहीं, उन्हें लकड़ी की कारीगरी सिखाई. इसके अलावा मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग और सैन्य अभियानों में शामिल किया जाने लगा ताकि वो सेना की कमान संभाल सकें.

कई इतिहासकरों ने इसकी वजह एक विकार को बताया, जिसे डिस्लेक्सिया कहा जाता है. यह ऐसी बीमारी होती है जिसमें बच्चा अक्षरों को पहचान नहीं पाता. नतीजा, सीधेतौर पर उसकी पढ़ाई प्रभावित होती है. इस पर रिसर्च करने वाली इतिहासकार एलेन का भी यही कहना था कि बादशाह की बीमारी ही पढ़ाई-लिखाई में बाधा बनी थी.

एक के बाद एक कई शिक्षकों को हटाया गया
अकबर की शिक्षा को लेकर कई ज्योतिषों ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी. यही वजह रही है कि जब अकबर की उम्र 4 साल और 4 महीने की थी तभी हुमायूं ने उनके लिए शिक्षक की ड्यूटी लगा दी थी. मुल्लाजादा मुल्ला असमुद्दीन ही अकबर का पहला शिक्षक था. लेकिन असमुद्दीन की कई कोशिशों के बावजूद अकबर पढ़ना-लिखना नहीं सीख पाए. हुमायूं इस बात से खफा हुए और असमुद्दीन को हटाकर दूसरे शिक्षक की नियुक्ति की, लेकिन अकबर में हालात में सुधार नहीं हुआ. नतीजा, कई शिक्षक बदलते रहे. फिर हुमायूं न अकबर को भारतीय सभ्यता और कल्चर की जानकारी दिलवानी शुरू की.

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