मिस्र के 18वें राजवंश की कहानी : अपने सगे बाप की हवस का शिकार बनी ये बदनसीब रानी, सगे भाई ने भी नहीं छोड़ा...
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आज हम मिस्र के पिरामिडों की चर्चा करने के बजाय एक ऐसे राज्य के बारे में बात करेंगे जिसने मिस्र के इतिहास में योगदान दिया। हम बात करने जा रहे हैं मिस्र के 18वें राजवंश के बारे में जिन्होंने उससे सदियों पहले मिस्र पर राज किया था। इस साम्राज्य के सर्वाधिक प्रसिद्ध होने का कारण रानी “एनेक्सेनमुन” थी जिसे कुछ इतिहासकारों ने दुनिया की सबसे दुर्भाग्यशाली रानी कहा है। कहानी मिस्र के तत्कालीन राजा अखेनातेन से शुरू होती है। जब अखेनातेन राजा बने, तो किसी को भी उनका काम पसंद नहीं आया। क्योंकि उस ने आज्ञा दी, कि अब से मिस्र में सूर्य को छोड़ किसी और देवता की पूजा न की जाए।
इसके अलावा यह राजा काफी रंगीन मिजाज वाला था उसका नाम मिस्र के अ’य्याश राजाओं के तौर पर आज भी लिया जाता है. दरअसल उस समय मिस्त्र के राजघरानों में सगे भाई बहनों की शादी करवाने का रिवाज था. ऐसा इसलिए ताकि राजघराने में कोई बाहरी व्यक्ति दखल अंदाजी ना कर सके.
इसी तर्ज पर आखानातेन ने भी अपनी बहन “किया” से शादी की थी. जिससे उसको तीन बेटियां और एक बेटा हुआ था. तीनों बेटियों में से सबसे सुंदर बेटी थी “अनेकसेनामून (Ankhesenamun)” जिस पर उसके बाप की नजर पड़ी और ऐसा कहा जाता है कि राजा आखानातेन ने अपनी पंद्रह-सोलह साल की बेटी अनेकसेनामून (Ankhesenamun) का खूब शोषण किया था. 45 वर्ष की अवस्था में इस क्रूर, अ’य्याश राजा का निधन हो गया.
जिसके बाद उसके 9 वर्षीय बेटे तूतनखामन को गद्दी पर बिठाया गया. दिखने में बेहद कमजोर और मरियल तूतनखामन अक्सर बीमार ही रहा करता था. इसके बावजूद उसे गद्दी पर बिठाया गया और जल्दी ही उसकी शादी उसकी सगी बहन 17 साल की अनेकसेनामून (Ankhesenamun) के साथ तय कर दी.
दोनों की शादी हो गई थी लेकिन तूतनखामन किसी भी तरह से अनेकसेनामून के लिए लायक नहीं था. हालांकि उसके शासनकाल में जनता को ज्यादा दुख नहीं था. राजगद्दी पर बैठने के बाद अनेकसेनामून और तूतनखामन ने अपने पिता द्वारा किए गए जुल्म की कुछ हद तक भरपाई भी कर दी थी.
ऐसा बताया जाता है कि अनेकसेनामून, तूतनखामेन के साथ बिल्कुल भी खुश नहीं थी. उनकी दो संताने हुई और दोनों ही मरी हुई पैदा हुई. बताया जाता है कि वह दोनों ही संताने तूतनखामन कि नहीं थी इसीलिए उसने स्वयं ही उनको जहर दे दिया था. 18 वर्ष की अवस्था में पहुंचने तक तूतनखामन और ज्यादा बीमार रहने लग गया और उसका निधन हो गया. अब मिस्र के साम्राज्य की रक्षा का जिम्मा अनेकसेनामून पर आ गया था.
राजा की मृत्यु होने के बाद ही साम्राज्य पर अधेड़ उम्र के व्यक्ति “आईया” ने हमला कर दिया. आईया ने तुरंत प्रभाव से खुद को राजा घोषित करने की कोशिश की. लेकिन उस समय अधेड़ उम्र के लोगों को राजगद्दी पर बैठने नहीं दिया जाता था. आईया को राजगद्दी से ज्यादा जिसमें रुचि थी वह थी अनेकसेनामून(Ankhesenamun). आईया अनेकसेनामून(Ankhesenamun) का रिश्ते में सगा नाना लगता था. वह अपने ही सगी दौहित्री से शादी करना चाहता था.
लेकिन अपनी जिंदगी से परेशान रानी अनेकसेनामून यह नहीं होना देना चाहती थी. इसलिए उसने अपने पड़ोसी शक्तिशाली हत्थी साम्राज्य के राजा को पत्र लिखा. जिसमें उसने कहा कि यदि साम्राज्य के राजा मिस्र के साम्राज्य की रक्षा करते हैं तो वह उनके बड़े बेटे से शादी करने को तैयार है. हत्थी के राजा ने वह प्रस्ताव स्वीकार किया और अपने बड़े बेटे को मिस्र के साम्राज्य की रक्षा करने के लिए भेजा. लेकिन आईया को इस बात की खबर लग गई और उसने बीच रास्ते में ही उस राजकुमार को मार दिया.
जिसके बाद आईया ने रातों-रात मिस्त्र के शक्तिशाली साम्राज्य पर हमला कर दिया और जोर ज’बरदस्ती पूर्वक अनेकसेनामून से शादी कर ली. रानी कभी भी यह होने देना नहीं चाहती थी लेकिन अब उनका कोई वश नहीं रह गया था. जिसके बाद जिंदगी के कुछ वर्ष बिताने के बाद ही रानी अनेकसेनामून की मृत्यु हो गई. जिस वक्त उसकी मृत्यु हुई वह महज 25 साल की थी और इतनी कम अवस्था में उसने जिंदगी में वह उतार-चढ़ाव देखे जो शायद इतिहास में आज तक किसी ने नहीं देखे होंगे. खास बात यह भी है कि रानी की मृत्यु की वजह क्या थी यह भी कोई नहीं जानता!