Mahakumbh Laurene Powel : 10 दिन के महाकुंभ दौरे को बीच में ही छोड़कर भूटान लौटी लॉरेन पॉवेल, 92 साल बाद प्रयागराज के एयरपोर्ट से उड़ी इंटरनेशनल फ्लाइट

महाकुंभ में 3 दिन प्रवास के बाद एपल को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल अचानक लौट गईं। उनके लिए 92 साल बाद प्रयागराज से इंटरनेशनल फ्लाइट उड़ी। वह भूटान गई हैं। उनकी यात्रा के कार्यक्रम को गुप्त रखा गया था। केवल कुछ अफसरों को इसकी जानकारी थी। बुधवार सुबह रॉयल भूटान एयरलाइंस की फ्लाइट प्रयागराज एयरपोर्ट पर लैंड हुई।
थोड़ी देर में लॉरेन पॉवेल एयरपोर्ट पहुंचीं। तब जाकर पता चला कि फ्लाइट लॉरेन पॉवेल को लेने आई है। लॉरेन ने एयरपोर्ट निदेशक मुकेश उपाध्याय से मुलाकात की, फिर इमिग्रेशन विभाग की औपचारिकताएं पूरी की गईं। इसके बाद लॉरेन पॉवेल भूटान के लिए रवाना हुईं। बताया जा रहा है कि लॉरेन अगले कुछ दिन भूटान में ही प्रवास करेंगी। इससे पहले, 1932 में प्रयागराज से लंदन के लिए फ्लाइट शुरू हुई थी।
आध्यात्मिक मार्गदर्शन का आशीर्वाद दिया। लॉरेन पॉवेल 3 दिन महाकुंभ में रहीं। उन्हें कैलाशानंद गिरि ने कमला नाम दिया है। महाकाली का बीज मंत्र 'ॐ क्रीं महाकालिका नमः' हैं। इसी की दीक्षा स्वामी कैलाशानंद गिरि ने दी है। वहीं, महाकुंभ के बीच स्टीव जॉब्स के 1974 के एक लेटर की नीलामी हुई। जिसमें उन्होंने कुंभ में शामिल होने की इच्छा जताई थी।
अमृत स्नान के दिन बीमार पड़ गई थीं
महाकुंभ में अमृत स्नान से पहले लॉरेन पॉवेल बीमार पड़ गई थीं। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने ANI से कहा था कि- लॉरेन पॉवेल मेरे शिविर में आराम कर रही हैं। उन्हें एलर्जी हो गई है। वह कभी इतनी भीड़भाड़ वाली जगह पर नहीं गई हैं। उन्होंने पूजा के दौरान हमारे साथ समय बिताया। हमारी परंपरा ऐसी है कि जो लोग इसे पहले नहीं देख पाए हैं, वे सभी इसमें शामिल होना चाहते हैं। दीक्षा लेते समय वह स्वस्थ दिखीं।
काशी विश्वनाथ के दर्शन करके महाकुंभ आई थीं
महाकुंभ में आने से पहले लॉरेन पॉवेल काशी विश्वनाथ के दर्शन किए थे। गंगा में नौकायन के बाद गुलाबी सूट और सिर पर दुपट्टा डालकर बाबा विश्वनाथ के दरबार पहुंचीं। गर्भगृह के बाहर से ही बाबा का आशीर्वाद लिया। सनातन धर्म में गैर हिंदू शिवलिंग का स्पर्श नहीं करते, इस बात का ध्यान रखते हुए उन्होंने बाहर से ही दर्शन किया।
13 जनवरी को प्रयागराज पहुंची थीं लॉरेन
लॉरेन 13 जनवरी को प्रयागराज पहुंची थीं। वह साधुओं की संगत में रहकर सनातन, आध्यात्म और भारतीय संस्कृति को जानने की कोशिश कर रही। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में कल्पवास यानी आत्मशुद्धि और तपस्या का संकल्प लिया है।
स्टीव जॉब्स ने लेटर लिखकर कुंभ में जाने में इच्छा जताई थी...