Prayagraj Maha Kumbh Mela Live Update : प्रयागराज महाकुम्भ का श्रीगणेश आज, पहला अमृत स्नान कल होगा

 
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दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुम्भ का श्रीगणेश सोमवार को गंगा- यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर होगा। पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ श्रद्धालु 'कल्पवास' शुरू करेंगे। इस बार 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के कल्पवास का अनुमान है। कल्पवास 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ समाप्त होगा। वहीं, कुम्भ का अंतिम स्नान 26 फरवरी को होगा।

बारह वर्ष पर होने वाले कुम्भ का पहला अमृत स्नान मंगलवार को मकर संक्रांति पर होगा। इसमें सभी अखाड़े भव्यता के साथ संगम में डुबकी लगाएंगे। श्रद्धालुओं के स्वागत में प्रयाग शहर सहित पूरा मेला क्षेत्र सजा हुआ है। रविवार को बूंदाबांदी और कड़ाके की सर्दी के बीच पुलिस-प्रशासन ने पहले स्नान की तैयारी पूरी कर ली। पूरे मेला क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था की गई है।

महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। पौष पूर्णिमा पर आज पहला स्नान है। सुबह साढ़े 9 बजे तक 60 लाख श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। आज 1 करोड़ भक्तों के पहुंचने का अनुमान है। भक्तों पर 20 क्विंटल फूलों की वर्षा की जाएगी। महाकुंभ 144 साल में दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है। देश के कोने-कोने से भक्त प्रयागराज आए हैं। विदेशी श्रद्धालु बड़ी तादाद में कुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। प्रशासन के मुताबिक, जर्मनी, ब्राजील, रूस समेत 20 देशों से भक्त पहुंचे हैं। हर घंटे संगम में 2 लाख श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। आज से ही श्रद्धालु 45 दिन का कल्पवास शुरू करेंगे।

अमृत स्नानः महानिर्वाणी अखाड़े से शुरुआत, दो घंटे चलेगी यात्रा
अमृत स्नान मंगलवार तड़के 5:15 बजे से होगा। सभी 13 अखाड़ों को 40-40 मिनट मिलते हैं। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत राजेंद्र दास ने बताया- हम तड़के 3 बजे छावनी से निकलेंगे और सुबह 5:15 बजे सबसे पहले स्नान करेंगे। प्रशासन के मुताबिक, इसके बाद 6:05 बजे निरंजनी अखाड़ा, 7 बजे पंच दशनाम जूना अखाड़ा स्नान करेगा। सबसे बड़ा अखाड़ा होने से जूना अखाड़े को ज्यादा समय मिला है। इसके बाद क्रम से बाकी अखाड़े स्नान करेंगे। सबसे अंत में 2:20 बजे पंचायती निर्मल अखाड़े का स्नान होगा।

संगम में हर घंटे 2 लाख श्रद्धालुओं का स्नान
इस बार प्रशासन ने ऐसी व्यवस्था की है कि संगम नोज (मुख्य घाट) पर हर घंटे दो लाख श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। अखाड़ों के स्नान के लिए अलग रूट बनाया गया है।

कुम्भ स्नान से नष्ट होते हैं जन्म-जन्मांतर के पाप

जगद्‌गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, ज्योतिर्मठ

हर सनातन धर्मी के जीवन में दो चीजें हैं- एक पुण्य और दूसरा पाप। पुण्य से सुख मिलते हैं और पाप कर्म से दुख। इसलिए वह पाप मिटाने और पुण्य अर्जित करने का प्रयास करता रहता है। पुण्य की इस आकांक्षा की पूर्ति का महापर्व है कुम्भ। संगम में डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं। यह अवसर भविष्य में गलत कार्यों से बचने का संकल्प लेने का भी है।

कहा गया है- अन्य क्षेत्रों के पाप पुण्य क्षेत्रों में नष्ट होते हैं। पुण्य क्षेत्रों के पाप कुम्भकोणम में, कुम्भकोणम के पाप वाराणसी और सभी स्थानों के पाप प्रयागराज में स्नान से नष्ट होते हैं। यह ऋषि-मुनियों की कही गई अनुभूत बातें हैं। सामान्य स्नान शरीर का मैल धोने के लिए होता है, पर तीथों, पवित्र नदियों का स्नान मन का मैल धोने वाला है। इसलिए कुम्भ स्नान पुण्य के संकल्प और पूरी श्रद्धा से करना चाहिए। राजसी या अमृत स्नान वाले तीन-तीन विशेष पर्व हैं, पर कुम्भ में पूरे 45 दिन, हर स्नान विशेष है।

सवालः किसी कारणवश कुम्भ न जा पाएं तो?
अगर ज्यादा उम्र, बीमारी या किसी अन्य कारण से कुम्भ क्षेत्र नहीं आ सकते, तो आप जहां हैं, वहीं से धर्म का पालन करें। भगवत् नाम स्मरण करें। 'गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ।' पढ़ते हुए स्नान करें। घर में गंगा-यमुना जी का जल हो तो उसकी कुछ बूंदें स्नान पात्र में डालें और स्नान करें। यह भी न हो तो अपने आराध्य का स्मरण करके स्नान करें, इससे भी त्रिवेणी स्नान का ही पुण्य लाभ मिलेगा।

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