8 लाख का बिजली बिल 'Zero' करने का महा-फर्जीवाड़ा! रीवा DE-JE की गर्दन फंसी, अब 'जांच हटाओ' की भीख मांग रहे हैं
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के बिजली विभाग शहर संभाग में पंचनामा रिवाइज करने के नाम पर हुआ एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस पूरे खेल में शहर संभाग के डीई (कार्यपालन अभियंता) नरेंद्र मिश्रा और जेई (कनिष्ठ अभियंता) प्रकाश गौतम की गर्दन फंस गई है। विजिलेंस के एक बड़े प्रकरण को नियमों के खिलाफ जाकर शून्य (Zero) कर दिया गया था, जिसकी जांच शुरू होते ही जिम्मेदार अधिकारियों ने बचने के लिए जांचकर्ता अधिकारी को ही हटाने की रणनीति अपनानी शुरू कर दी।
8.31 लाख का पंचनामा कैसे हुआ 'जीरो'?
यह पूरा मामला 1 अगस्त 2023 को करहिया पेट्रोल पंप के पास महीप सिंह के भवन निर्माण स्थल पर हुई विजिलेंस की छापेमारी से जुड़ा है।
- विजिलेंस का प्रकरण: विजिलेंस टीम ने यहां जांच कर बिजली की ऊर्जा क्षति राशि 7 लाख 91 हज़ार 958 रुपए और समझौता राशि 40 हज़ार रुपए निकाली थी। इस प्रकार कुल 8 लाख 31 हज़ार 958 रुपए का एक पंचनामा बनाया गया था।
- न्यायालय भेजने की अनदेखी: नियमानुसार, इतने बड़े प्रकरण को सीधे न्यायालय में भेजा जाना चाहिए था, लेकिन डीई ने ऐसा नहीं किया।
- जेई की ID से खेल: डीई के निर्देशन में, कनिष्ठ अभियंता प्रकाश गौतम की आईडी (क्रमांक 14560899) का इस्तेमाल किया गया और इस पूरे 8.31 लाख के बिल को शून्य (Zero) कर दिया गया। यह तब किया गया जब मूल पंचनामा बनाने वाले अधिकारी या तो रिटायर हो चुके थे या निलंबित थे।
- बहाना: पंचनामा रिवाइज करने के लिए मुख्य महाप्रबंधक को पत्र लिखकर तीन हॉर्स पावर का कनेक्शन आवेदन किए जाने का हवाला दिया गया, जबकि विजिलेंस के मामले में पंचनामा को इस तरह से रिवाइज करना सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है।
जांच बैठी, डीई-जेई की गर्दन फंसी
एमडी पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के निर्देश पर, मुख्य अभियंता ने इस पूरे मामले की जांच बिठाई। एसके गुप्ता (कार्यपालन अभियंता, मुख्य अभियंता कार्यालय) को जांचकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया।
- रिकॉर्ड में कमी: जांच के दौरान, शहर संभाग के डीई नरेंद्र मिश्रा से पंचनामा से संबंधित 5 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई।
- पावती गायब: डीई ने वर्ष 2023 में महीप सिंह को भेजी गई नोटिस की पावती तक उपलब्ध होने से हाथ खड़े कर दिए।
- न्यायालय से इंकार: उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि प्रकरण को न्यायालय में भेजा ही नहीं गया था। रिकॉर्ड उपलब्ध न करा पाना और नियमों का उल्लंघन करना सीधे तौर पर फर्जीवाड़े को सिद्ध करता है।
गिड़गिड़ाया जेई, मुख्य अभियंता का कड़ा रुख
जांचकर्ता अधिकारी एसके गुप्ता की सख्ती से जेई प्रकाश गौतम की गर्दन सबसे अधिक फंसी, क्योंकि फर्जीवाड़े में सीधे उनकी आईडी का उपयोग हुआ था।
- जांच अधिकारी हटाने की मांग: खुद को फंसता देख, जेई प्रकाश गौतम ने मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर जांचकर्ता अधिकारी को बदलने की गुहार लगाई।
- मुख्य अभियंता का जवाब: मुख्य अभियंता ने जेई की इस मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने जेई को दो टूक निर्देश दिया कि जांच अधिकारी बदलवाने की रणनीति रचने की जगह, वह तुरंत मांगे गए सभी दस्तावेज उपलब्ध कराएं और जांच में सहयोग करें।
- परिणाम: मुख्य अभियंता के इस कड़े रुख से यह स्पष्ट हो गया है कि यह जांच बीच में नहीं रुकेगी और इससे शहर संभाग के कई अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं।
नेताओं के संरक्षण में डीई की कारगुजारियां
शहर संभाग में पदस्थ डीई नरेंद्र मिश्रा पर आरोप है कि उन्हें नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। वह जनता को परेशान करने में आगे रहते हैं, लेकिन पहुँच वाले लोगों की चाकरी करने में पीछे नहीं हटते। इसी चक्कर में उन्होंने अपने अधीनस्थ जेई और एई की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। इस फर्जीवाड़े की जांच से अब उनके काले कारनामों का चिट्ठा खुलने लगा है, जिससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।