रीवा में फूल मंडी पर चला प्रशासन का बुलडोज़र! रोज़गार छिनने से आक्रोशित व्यापारी बोले – देंगे जान, पर हटेंगे नहीं!

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। शहर के प्रतिष्ठित कोठी मंदिर परिसर के पास वर्षों से संचालित फूल मंडी को लेकर नगर निगम प्रशासन के खिलाफ आक्रोश फूट पड़ा है। नगर निगम द्वारा हटाए जाने की कार्रवाई ने शहर में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। बिना वैकल्पिक स्थान और पूर्व सूचना के की गई इस कार्रवाई को लेकर व्यापारियों ने सख्त विरोध दर्ज कराया है। बिना वैकल्पिक व्यवस्था के मंडी हटाने के फैसले से नाराज़ व्यापारियों ने चेतावनी दी है – "हम भूख हड़ताल करेंगे, जरूरत पड़ी तो आत्मदाह भी!" 

मुद्दा क्या है?

रीवा नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत फूल विक्रेताओं को हटाया जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि:

‘पेट काटा तो चुप नहीं बैठेंगे’ – फूल व्यापारियों की चेतावनी
स्थानीय विक्रेताओं का कहना है कि यह मंडी उनके एकमात्र जीविकोपार्जन का माध्यम है। प्रशासन ने जबरन दुकानें हटवानी शुरू कर दीं, जिससे सैकड़ों परिवार बेरोज़गार होने की कगार पर आ गए हैं।

👉 “अगर आज फूल वाले हटे, तो कल सब्ज़ी वाले, फिर ठेले वाले हटाए जाएंगे। यह विकास नहीं, विस्थापन है।” – व्यापारियों का बयान

फूल मंडी से सैकड़ों लोगों का जीविकोपार्जन जुड़ा है

  • कोई स्थानांतरण प्रस्ताव या लिखित नोटिस नहीं दिया गया
  • यह कार्यवाही उनके लिए सीधे रोज़गार समाप्त करने जैसा है

कानून क्या कहता है?
यदि किसी भी व्यवसायिक समूह को हटाया जाता है, तो वैकल्पिक व्यवस्था अनिवार्य है। बिना पुनर्वास के कार्रवाई करना:

  • मप्र नगर निगम अधिनियम का उल्लंघन है
  • मानवाधिकार आयोग के दायरे में आता है
  • हाईकोर्ट में याचिका योग्य मामला बन सकता है

जनता और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सवाल उठाए हैं:

"जब निगम खुद जगह तय नहीं कर पाया, तो कैसे कह सकता है कि ये अतिक्रमण है?"
"रोज़गार छिनना विकास नहीं, तानाशाही है।"

व्यापारियों का अल्टीमेटम

  • 72 घंटे का अल्टीमेटम प्रशासन को
  • धरना प्रदर्शन की घोषणा
  • जन प्रतिनिधियों की चुप्पी पर नाराज़गी

प्रशासन का पक्ष और चुप्पी
नगर निगम का तर्क है कि अतिक्रमण हटाने की यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन व्यापारियों से सीधे संवाद की कोशिश न होना विवाद का मुख्य कारण बन गया है।

निष्कर्ष:
शहर की सुंदरता जरूरी है, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है उन लोगों की जिंदगी, जो इस शहर की धड़कन हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित कर सम्मानजनक समाधान निकाले।

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