रीवा के रौरा गांव से निकला सुरों का सितारा, आलोक तिवारी ने अपनी आवाज से मचाई धूम : भजन से लेकर बॉलीवुड तक छाया जादू

 
BNN

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा। मध्यप्रदेश के रीवा जिले के छोटे से गांव रौरा से निकलकर एक युवा गायक ने अपनी सुरीली आवाज से लाखों दिलों में खास जगह बना ली है। हम बात कर रहे हैं आलोक तिवारी की, जो अब न सिर्फ रीवा बल्कि पूरे प्रदेश की शान बन चुके हैं। कम उम्र में ही आलोक ने भजन, लोकगीत और फिल्मी गानों की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। उनकी आवाज का जादू सिर्फ रीवा तक सीमित नहीं, बल्कि देश-विदेश तक पहुंच चुका है।

भक्ति संगीत से लेकर बॉलीवुड धुनों तक का सफर
आलोक तिवारी को भजन और भक्ति संगीत में खास रुचि है। उन्होंने कई प्रसिद्ध भजनों को अपनी आवाज दी है, जिनमें भक्ति की गहराई के साथ शास्त्रीय संगीत की मिठास भी महसूस होती है। इसके अलावा आलोक बॉलीवुड गानों को भी अपने खास अंदाज में पेश करते हैं, जो श्रोताओं को खूब पसंद आता है।

स्थानीय से वैश्विक मंच तक पहुंची आवाज
आज आलोक तिवारी की गायकी सिर्फ रीवा या विंध्य तक सीमित नहीं है। भारत के अलग-अलग राज्यों और कई देशों में भी उनके सुरों की सराहना हो रही है। सोशल मीडिया और म्यूजिक प्लेटफॉर्म्स पर उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है।

उनका संगीत युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों और बच्चों को भी आकर्षित करता है। उनकी मधुर आवाज हर उम्र के दिलों में जगह बना रही है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि: पिता हैं प्रसिद्ध समाजसेवी
आलोक तिवारी के पिता श्री शैलेन्द्र तिवारी जाने-माने समाजसेवी हैं, जो वर्षों से सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पिता का सहयोग और प्रेरणा ही है, जिसने आलोक को गायकी की दुनिया में कदम रखने और मुकाम बनाने का हौसला दिया।

फैंस की उम्मीदें और भविष्य की संभावनाएं
आलोक तिवारी की गायकी और सुरों का जादू देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले वक्त में वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और सुरों की मिठास ने उन्हें लोगों का चहेता बना दिया है। उनके फैंस अब उन्हें बड़े मंचों और बड़े प्लेटफॉर्म्स पर देखने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। रीवा की माटी ने एक और सितारा देश को दिया है, और ये सितारा अब बुलंदी की ओर बढ़ रहा है।

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