रीवा शिक्षा विभाग में ‘एरियर लूट कांड’: आरोपी अफसर VIP पोस्टिंग पर, जनता पूछ रही — 'FIR कब?'

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। शिक्षा विभाग में घोटालों का इतिहास पुराना है, लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही बड़ा और शर्मनाक है। 4 करोड़ 17 लाख रुपये का एरियर घोटाला सामने आने के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई तो दूर, उन्हें इनाम में प्रमोशन और मलाईदार पोस्टिंग दे दी गई।

कहानी ऐसे शुरू हुई

शिक्षकों को मिलने वाली एरियर की रकम सीधे उनके खाते में डालनी थी। लेकिन तत्कालीन D.E.O. रामनरेश पटेल और उनके दाहिने हाथ कैशियर अशोक शर्मा ने मिलकर सरकारी पैसे को अपने-अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर दिया।

जब कुछ सजग शिक्षकों ने शिकायत की तो भोपाल और ग्वालियर से जांच दल आया।
जांच में खुलासा हुआ — 17 अधिकारी-कर्मचारी इस गोरखधंधे में शामिल थे।

जांच पूरी, लेकिन न्याय अधूरा

तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर संतोष त्रिपाठी ने आरोपियों के खिलाफ FIR के आदेश दिए।
सिविल लाइन थाना प्रभारी ने मामला दबाने के लिए ‘जांच लंबित’ की स्क्रिप्ट तैयार कर दी।

अंदर की खबर है — थाना और विभाग के बीच मोटी सेटिंग हुई, और मामला वहीं दबा दिया गया।

दोषियों को मिला इनाम

  • रामनरेश पटेल को PGBT कॉलेज का प्राचार्य बना दिया गया।

  • अशोक शर्मा को कोर्ट से स्टे मिलते ही फिर से D.E.O. कार्यालय का कैशियर बना दिया गया।
    बाकी 15 आरोपी आज भी सरकारी तंत्र की छांव में आराम फरमा रहे हैं।

सबसे बड़ा सवाल

क्या ये मामला भी कागज़ों में दफ्न हो जाएगा?
या फिर शासन-प्रशासन इस घोटाले को लेकर कभी सख्त एक्शन लेगा?
जनता को जवाब चाहिए — धोखा और भ्रष्टाचार का हिसाब चाहिए।

जनता का गुस्सा, प्रशासन की चुप्पी

रीवा में भ्रष्टाचार के इस सबसे बड़े मामले पर जनता में भारी नाराजगी है। लोग सोशल मीडिया पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं —
"क्या अब भी बड़े अफसरों को बचाया जाएगा?"
"FIR क्यों नहीं? जेल कब?"

कानूनी कार्रवाई जो बनती है:

1️⃣ IPC की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात)

सरकारी पद पर रहते हुए सरकारी धन का गबन करना 408-409 IPC के तहत गंभीर अपराध है।
धारा 409 के तहत आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा और जुर्माना।

2️⃣ धारा 420 (धोखाधड़ी)

शिक्षकों के नाम पर अनुदान की रकम रिश्तेदारों के खातों में डालना — धोखाधड़ी (Cheating) के अंतर्गत आता है।
धारा 420 के तहत 7 साल तक की सजा और जुर्माना।

3️⃣ धारा 120B (आपराधिक साजिश)

दो या दो से ज्यादा लोग मिलकर सरकारी धन के गबन की साजिश रचें तो धारा 120B के तहत मामला बनता है।
साजिश के लिए उन्हीं धाराओं के बराबर सजा लगेगी जो गबन और धोखाधड़ी के लिए लागू होती है।

4️⃣ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(c)(d)

सरकारी अफसर रहते हुए अपनी पोजिशन का दुरुपयोग कर निजी लाभ लेने पर Anti-Corruption Act के तहत मामला दर्ज होगा।
सजा: 3 से 7 साल तक की जेल और जुर्माना।

5️⃣ अनुशासनात्मक कार्रवाई (Departmental Action)

  • तत्काल प्रभाव से निलंबन (Suspension)

  • विभागीय जांच

  • नौकरी से बर्खास्तगी (Dismissal from Service)

📌 FIR दर्ज कर किस-किस धारा में मामला बनता है:

धारा 409, 420, 120B IPC + भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 13(1)(c)(d)

📌 अदालत से क्या हो सकता है?

  • उनकी चल-अचल संपत्ति कुर्क की जा सकती है।

  • रिश्वत और गबन की रकम की रिकवरी भी कोर्ट आदेश से कराई जा सकती है।

  • अगर दोष सिद्ध हुआ तो नौकरी से आजीवन बर्खास्त और सरकारी पेंशन भी जब्त की जा सकती है।

📌 अगर अभी भी FIR नहीं हुई तो RTI, कोर्ट या लोकायुक्त में शिकायत

कोई भी नागरिक
➡️ RTI लगाकर जांच रिपोर्ट और कार्रवाई की स्थिति पूछ सकता है।
➡️ लोकायुक्त या EOW (Economic Offences Wing) में सीधे शिकायत दर्ज करा सकता है।
➡️ हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) लगाकर पूरे मामले की CBI/EOW जांच की मांग कर सकता है।

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