रीवा में बिजली विभाग का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर: 6 साल तक बिना मीटर वसूला बिल, RTI से हुआ खुलासा!

रीवा जिले के चौरहटा विद्युत वितरण केंद्र के अंतर्गत एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक उपभोक्ता से पिछले 6 वर्षों से बिना बिजली मीटर के जबरन बिल वसूला जा रहा था। ग्राम दुवारी के निवासी श्री पंडव कुमार अग्निहोत्री (IVRS नंबर: 1378007189) ने जब सूचना का अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी, तो इस गंभीर अनियमितता का पर्दाफाश हुआ।
फर्जीवाड़ा और जबरन वसूली का खेल
शिकायतकर्ता पंडव कुमार अग्निहोत्री के अनुसार, वर्ष 2018 से 2024 तक उनके घर पर कोई विद्युत मीटर लगा ही नहीं था, लेकिन बिजली विभाग के रिकॉर्ड में फर्जी तरीके से MIGR (Genus) कंपनी का मीटर (क्रमांक: 5348051103854) दर्शाया गया था। इस दौरान उन्हें हर महीने औसतन ₹3000 का बिल भेजा जाता रहा।
जब उपभोक्ता ने इस धोखाधड़ी पर सवाल उठाया, तो चौरहटा के जेई और लाइनमैन ने अजीबोगरीब तर्क दिया। उन्होंने कहा कि रीवा जिले में 6 वर्षों तक मीटर उपलब्ध ही नहीं थे, इसलिए उपभोक्ताओं को औसतन बिल जारी किए जाते रहे। हालांकि, आरटीआई से मिली जानकारी इस दावे को झूठा साबित करती है, क्योंकि रिकॉर्ड में एक फर्जी मीटर नंबर दर्ज किया गया था।
फर्जी हस्ताक्षर और लाखों का अतिरिक्त बिल
मामला यहीं नहीं रुका। आरटीआई से यह भी खुलासा हुआ है कि मीटर न लगे होने के बावजूद विभागीय दस्तावेजों में फर्जी तरीके से मीटर की एंट्री दिखाई गई। इसके बाद, फरवरी 2025 में उपभोक्ता की अनुपस्थिति में फर्जी हस्ताक्षर कर ₹78,996 का एक भारी-भरकम अतिरिक्त बिल भी जबरन थोप दिया गया।
अधिकारियों की मिलीभगत और कानूनी कार्रवाई की मांग
उपभोक्ता पंडव कुमार अग्निहोत्री ने आरोप लगाया है कि इस पूरे प्रकरण में विद्युत विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत है। उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार किए, उपभोक्ता को लंबे समय तक गुमराह किया, और उनका आर्थिक शोषण किया। पीड़ित उपभोक्ता ने बताया कि ये कृत्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का वास्तविक के रूप में उपयोग करना) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गंभीर आपराधिक कृत्य हैं।
इस गंभीर खुलासे के बाद, पीड़ित उपभोक्ता ने इस मामले की शिकायत लोकायुक्त, विद्युत उपभोक्ता फोरम (CGRF), और विद्युत विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने और दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। यह मामला बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है और उपभोक्ताओं के अधिकारों के हनन का एक बड़ा उदाहरण पेश करता है।