रीवा शिक्षा विभाग में महाघोटाला: DEO के राज में बिकीं नौकरियां! अनुकंपा नियुक्ति में 5 और फर्जी केस, 'बड़े साहब' पर लटकी तलवार!

ऋतुराज द्विवेदी, राज्य ब्यूरो रीवा/भोपाल। रीवा शिक्षा विभाग में एक बड़े अनुकंपा नियुक्ति घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसने सिर्फ शिक्षा विभाग ही नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक सिस्टम को हिला कर रख दिया है। पहले सिर्फ एक ही फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया था, लेकिन जब पिछले एक साल के रिकॉर्ड खंगाले गए, तो फर्जीवाड़े की एक लंबी कतार सामने आ गई। अब तक की जांच में 5 और प्रकरण फर्जी मिले हैं, जिससे यह घोटाला और भी गंभीर होता जा रहा है।
बृजेश कोल ने खोली पोल, DEO ने बिठाई जांच
यह पूरा मामला बृजेश कुमार कोल की फर्जी अनुकंपा नियुक्ति से शुरू हुआ। जब उसकी नियुक्ति पर सवाल उठे और जांच हुई तो पता चला कि उसके दस्तावेज फर्जी थे और उसकी माँ कभी शिक्षक थी ही नहीं। इस खुलासे के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुदामा लाल गुप्ता ने खुद को बचाने के लिए पिछले एक साल के अंदर हुई सभी अनुकंपा नियुक्तियों की जांच बैठा दी। इस जांच ने ही शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार की परतें खोलनी शुरू कर दी हैं।
36 नियुक्तियों की जांच, 10 नदारद, 5 फर्जी!
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि एक वर्ष में कुल 36 अनुकंपा नियुक्तियां हुई थीं। इन सभी के दस्तावेजों की जांच के लिए उन्हें डीईओ कार्यालय तलब किया गया। पहले दिन सोमवार को सिर्फ 26 लोग ही सत्यापन के लिए उपस्थित हुए, जबकि करीब 10 अभ्यर्थी नदारद रहे। उन्हें नोटिस जारी कर मंगलवार को भी बुलाया गया, लेकिन वे फिर भी नहीं पहुंचे। इसके बाद प्राचार्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए रिकॉर्डों की जांच की गई, जिसमें 5 और नियुक्तियां फर्जी पाई गईं।
10 कर्मचारी संदिग्ध, स्कूल से नदारद
जानकारी के अनुसार, जांच की भनक लगते ही 10 कर्मचारी स्कूल से नदारद हो गए हैं और पिछले पांच दिन से स्कूल नहीं आ रहे। दस्तावेजों की जांच के दौरान जिन स्थानों पर संदिग्ध मामले सामने आए हैं, उनमें तिघरा, बीड़ा, अटरिया (दो मामले), सेमरिया और गंगेव (दो मामले) शामिल हैं।
एक की जगह दो को नियुक्ति, मृतक भी हुआ शिक्षक!
जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो एक ऐसा मामला भी सामने आया है, जिसमें एक ही परिवार के भाई-बहन दोनों को अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई है। भाई अंजेश रावत को 2023 में पीके स्कूल में नियमानुसार नियुक्ति मिली, वहीं उसकी सगी बहन साधना कोल को तत्कालीन डीईओ गंगा उपाध्याय ने मार्च 2024 में कन्या गंगेव में नियुक्ति दे दी।
इससे भी बड़ा खुलासा यह है कि सुषमा कोल नाम की एक अभ्यर्थी को अप्रैल 2025 में बालक गंगेव में नियुक्ति दी गई, जिसमें मृतक पिता को त्यौंथर में शिक्षक बताया गया, जबकि उस नाम का कोई शिक्षक त्यौंथर में कभी पदस्थ ही नहीं था! बालक गंगेव के संकुल प्राचार्य ने जब सुषमा कोल से उसके पिता श्याम लाल के पीपीओ (पेंशन पेमेंट ऑर्डर) की मांग की तो वह भी गायब हो गई।
कई डीईओ पर गिरेगी गाज, पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस घोटाले में उच्च अधिकारियों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। वर्तमान डीईओ सुदामा लाल गुप्ता के हाथ तो फंस चुके हैं, अब जांच की सुई पूर्व डीईओ गंगा प्रसाद उपाध्याय पर भी घूम रही है। सूत्रों के अनुसार, जीपी उपाध्याय ने डीईओ के पद से मुक्त होने के दिन भी अनुकंपा नियुक्ति के आदेश पर हस्ताक्षर किए थे।
सबसे गंभीर बात यह है कि इतने बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बावजूद पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता संदेह के घेरे में है। डीईओ ने सिर्फ बृजेश कुमार कोल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है और न ही बृजेश कोल को गिरफ्तार किया गया है। माना जा रहा है कि बृजेश कोल की गिरफ्तारी से इस पूरे फर्जीवाड़े के बड़े राज खुल सकते हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस घोटाले के तार कितने गहरे जुड़े हैं। इस घोटाले की जांच से कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
संयुक्त संचालक ने बैठाई 3 सदस्यीय जांच समिति
मामले की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग नीरव दीक्षित ने अनुकंपा नियुक्ति के मामलों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है। इस समिति में पीजीबीटी के प्राचार्य डॉ. आर. एन. पटेल, सीधी के पूर्व डीईओ एवं गवर्नमेंट 1 के प्राचार्य डॉ. प्रेमलाल मिश्रा और मार्तंड 3 के लेखापाल हीरा सिंह को शामिल किया गया है। डॉ. पटेल और डॉ. मिश्रा जैसे अधिकारियों को शामिल किए जाने से जिम्मेदारों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही विभाग के अब तक के सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।
डीईओ सुदामा लाल गुप्ता ने पुष्टि करते हुए कहा, "मंगलवार को भी कोई परीक्षण के लिए नहीं पहुंचा। 10 में 5 के दस्तावेज फर्जी मिले हैं। कार्रवाई अभी जारी है।"