रीवा रिंग रोड पर 'खूनी' हादसा! JCB ने बाइक सवार को रौंदा, गंभीर घायल; 'विधायक की कंपनी' पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, सड़क जाम कर माँगा न्याय-मुआवजा!

रीवा जिले के बेला-सिलपरा निर्माणाधीन रिंग रोड पर सोमवार को एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया, जिसने एक बार फिर सड़क निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डोमा मोड़ के पास एक अनियंत्रित जेसीबी लोडर ने बाइक सवार को टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। हादसे के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने रीवा-मुकुंदपुर मार्ग पर चक्का जाम कर दिया और तत्काल मुआवजे तथा दोषी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
क्या हुआ हादसा?
मिली जानकारी के अनुसार, देवरा गांव निवासी माधव प्रसाद कुशवाहा अपने दो बच्चों के साथ बाइक से निपानिया स्कूल में प्रवेश के लिए जा रहे थे। जब वे डोमा मोड़ के पास से गुजर रहे थे, तभी उदित इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का एक जेसीबी लोडर, जिसे दिलीप यादव नामक कर्मचारी चला रहा था, ने लापरवाही से उनकी बाइक को टक्कर मार दी। इस भीषण टक्कर में माधव कुशवाहा वाहन के नीचे आ गए और उन्हें गंभीर चोटें आईं। गनीमत रही कि उनके दोनों बच्चों को मामूली खरोंचें ही आईं।
विधायक की कंपनी पर आरोप और ग्रामीणों का आक्रोश:
यह सड़क निर्माण कार्य उदित इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जिसे स्थानीय विधायक अभय मिश्रा की कंपनी बताया जा रहा है। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत घायल माधव कुशवाहा को एम्बुलेंस की मदद से संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनका इलाज जारी है।
इसके बाद, ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने सड़क निर्माण कंपनी की लापरवाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए रीवा-मुकुंदपुर सड़क पर जाम लगा दिया। ग्रामीणों ने मांग की कि दोषी चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और घायल माधव कुशवाहा के परिवार को तत्काल मुआवजा दिया जाए।
पुलिस कार्रवाई और कंपनी का आश्वासन:
हादसे के बाद चोरहटा थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। वहीं, उदित इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने हादसे की गंभीरता को समझते हुए घायल के इलाज का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, कंपनी ने घायल के परिवार को हर महीने ₹20,000 की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की बात भी कही है।
यह घटना निर्माणाधीन सड़कों पर सुरक्षा मानकों के पालन और निर्माण कंपनियों की जिम्मेदारी पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करती है। ग्रामीणों का प्रदर्शन इस बात का भी संकेत है कि वे ऐसी लापरवाहियों को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं।