ब्रेकिंग रीवा: CEO का 'भ्रष्टाचार पर बुलडोजर'! मटियरा पंचायत में ₹63 लाख का घोटाला उजागर, सचिव पर ₹31 लाख की वसूली! क्या और भी फंसेंगे?

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) ने एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त तेवर दिखाए हैं। हाल ही में कई पंचायतों पर कार्रवाई के बाद, अब मऊगंज जिले की मटियरा ग्राम पंचायत के सचिव राजेंद्र तिवारी पर गाज गिरी है। सीईओ ने उनके वित्तीय अधिकार तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिए हैं, जिससे पंचायत के वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।
भ्रष्टाचार की शिकायत और करोड़ों का घोटाला उजागर
यह बड़ी कार्रवाई तब हुई जब ईस्टदेव तिवारी और ग्रामीणों ने मटियरा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत मिलने के बाद, एक पांच सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया, जिसने मामले की गहन पड़ताल की।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि सरपंच पार्वती द्विवेदी और सचिव राजेंद्र तिवारी सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार थे। जांच दल की रिपोर्ट ने ₹63.49 लाख की अनाधिकृत निकासी की पुष्टि की है, जो सरकारी नियमों का सीधा उल्लंघन है। यह राशि पंचायत निधि से नियम विरुद्ध तरीके से निकाली गई थी।
सचिव से ₹31.74 लाख की वसूली प्रस्तावित, अन्य कार्य रहेंगे जारी
जांच रिपोर्ट के आधार पर, जनपद सीईओ ने जिला पंचायत को एक विस्तृत प्रतिवेदन भेजा था। इस प्रतिवेदन में पंचायत सचिव राजेंद्र तिवारी से ₹31.74 लाख की वसूली प्रस्तावित की गई है। शासन के स्पष्ट निर्देशों के अनुसार, जिन सचिवों पर वसूली की प्रक्रिया चल रही होती है, उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए। इसी निर्देश का पालन करते हुए, जिला पंचायत सीईओ ने आदेश जारी कर मटियरा पंचायत के सचिव राजेंद्र तिवारी से उनके वित्तीय अधिकार वापस ले लिए हैं।
हालांकि, उन्हें अन्य सचिवीय कार्य जारी रखने का निर्देश दिया गया है, लेकिन पंचायत के वित्तीय लेनदेन अब वे नहीं कर पाएंगे। साथ ही, उन्हें जल्द से जल्द वसूली की गई राशि जमा कराने का सख्त निर्देश भी दिया गया है।
सीईओ का सख्त संदेश: "भ्रष्टाचार पर कोई ढिलाई नहीं"
जिला पंचायत सीईओ मेहताब सिंह गुर्जर ने इस मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस तरह के कई मामले हैं, जिनकी लगातार समीक्षा की जा रही है और उनके आधार पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी पाए जाने वालों पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सीईओ का यह कदम ग्रामीण विकास परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उनके इस सख्त रुख को अन्य पंचायतों में भी भ्रष्टाचार रोकने के लिए एक कड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
इस कार्रवाई से जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश गया है। क्या आप रीवा जिले में भ्रष्टाचार से जुड़े ऐसे ही किसी अन्य मामले के बारे में जानना चाहेंगे?