बहुप्रतीक्षित ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन का मामला : जमीन भी ले ली, न मुआवजा दिया न ही युवाओं को नौकरी, 18 दिनों से अनशन जारी

 
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REWA NEWS : रीवा जिले की बहुप्रतीक्षित ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन (Lalitpur-Singrauli Rail Line) के विरोध में किसानों का 18 दिनों से ​गोविंदगढ़ स्टेशन (govindgarh station) में अनशन जारी है। आंदोलन के नेतृत्वकर्ता महेन्द्र पाण्डेय (Leader Mahendra Pandey) ने बताया कि रीवा से गोविंदगढ़ (govindgarh) तक रेल लाइन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। अब गोविंदगढ़ से छुहिया घाटी (Govindgarh to Chuhia Valley) के बीच तेजी से कार्य चल रहा है। फिर भी रेल विभाग व जिला प्रशासन दगाबाजी कर रहा है।

आरोप लगाया कि 95 फीसदी किसानों की जमीने अधिग्रहित है। पर ज्यादातर किसानों का मुआवजा व बेरोजगार युवाओं को नौकरी नहीं​ मिली है। शासन की हठधर्मिता से परेशान होकर प्रभावित किसान, युवा व बेरोजगार किसानों संगठनों सहित क्षेत्रीय नेताओं के समर्थन पर 15 जनवरी से धरना प्रदर्शन कर रहे है। इसके बाद भी केन्द्र व राज्य सरकार मांगे नहीं मान रही है।

अब जानते है पूरे धरने के बारे में
धरने में बैठे किसानों ने बताया कि कड़ाके की ठंड के बीच 18 दिन से आंदोलन चल रहा है। प्रदर्शन में किसान व नौजवान शामिल है। हमारी मांग है कि ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन (Lalitpur-Singrauli Rail Line) में प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाए। जिनकी भूमि अधिग्रहित हुई है। रेल विभाग द्वारा आदेश भी है। पर आला अधिकारी आदेश का पालन नहीं कर रहे है। कई लोगों को पहले नौकरी और मुआवजा मिल चुका है। अब कुछ माह से रेलवे में नौकरी और अधूरा पड़ा मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।

सरकार के तरफ से आदेश, बीच के अधिकारी मौन
कहा ​कि केन्द्र सरकार (central government) द्वारा सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा और नौकरी देने का प्रावधान है। लेकिन बीच के अधिकारी कुछ दिनों से मौन है। जबकि समय समय पर स्थानीय भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा, सतना सांसद गणेश सिंह और सीधी सांसद लोकसभा (BJP MP Janardan Mishra, Satna MP Ganesh Singh and Sidhi MP Lok Sabha) में लगातार मांग कर रहे। फिर भी रेलवे जोन कार्यालय जबलपुर (Railway Zone Office Jabalpur) द्वारा सभी को लटका कर रखा है।

युवाओं की जा रही उम्र, कई लोग पांच साल से कर रहे नौकरी
आरोप है कि रेल अधिकारी दोहरा रवैया अपना रहे है। ऐसे में कई युवाओं की उम्र जा रही है। वहीं कई लोग पांच साल से नौकरी कर रहे है। इस तरह लगभग 20 फीसदी किसान व युवा है। जबकि 80 फीसदी लोग नौकरी के लिए तरस रहे है। चार सालों से लगातार सरकार द्वारा गुमराह किया जा रहा है। किसान अपनी पीड़ा, कलेक्टर, कमिश्नर से लेकर मुख्य सचिव तक व्य​क्त कर चुके है।

पंचायतों ने लाया प्रस्ताव, मुआवजा नहीं तो काम नहीं
आंदोलन में पन्ना, सतना, रीवा, सीधी व सिंगरौली के किसान शामिल है। जिला प्रशासन व रेलवे की मनमानी से परेशान होकर पंचातयों ने प्रस्ताव लाया है। पंचायत प्रतिनिधियों ने दो टूक कहा है कि जब तक किसानों को मुआवजा नहीं मिलेगा। तब तक पंचायत क्षेत्र में कार्य नहीं होगा।

2011 में हुआ भूमि अधिग्रहण, 11/11/2019 के बाद आया नियम
दावा किया कि 11/11/2019 से रेलवे नियम बनाई। ​जिसमे संबंधित दिनांक से पहले भूमि अधिग्रहण तक मुआवजा व नौकरी देने का नियम है। ​जबकि रीवा जिले में 2011 में ही भूमि अधिग्रहण हो चुका है। फिर भी किसान 12 साल से मुआवजा व नौकरी के लिए भटक रहे है।

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