रीवा में हाहाकार! बीहर नदी के रौद्र रूप से ईको पार्क फिर डूबा, रिवर फ्रंट पहली बार जलमग्न; डिप्टी सीएम ने किया आपातकालीन निरीक्षण

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मॉनसून की मूसलाधार बारिश ने रीवा में एक बार फिर विकराल रूप ले लिया है, जिससे शहर में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. बीहर नदी अपने पूरे उफान पर है, और उसका जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण कई मोहल्ले जलमग्न हो गए हैं. शहर में चारों ओर पानी ही पानी का मंजर है, जिसने अव्यवस्थित विकास के दावों की पोल खोल दी है.
ईको पार्क और रिवर फ्रंट पर बाढ़ का सीधा वार
बीहर नदी के किनारे स्थित दो प्रमुख परियोजनाएं, ईको एडवेंचर पार्क और रिवर फ्रंट, इस बाढ़ की सीधी चपेट में आ गए हैं. नदी के बीच टापू पर बना ईको एडवेंचर पार्क एक बार फिर पूरी तरह से पानी में समा गया है. यह कोई नई बात नहीं है; हर साल तेज बारिश होते ही ईको पार्क सबसे पहले जलमग्न होता रहा है, जिससे इसकी डिजाइन और लोकेशन पर लगातार सवाल उठते रहे हैं.
हालांकि, इस बार स्थिति और भी गंभीर है क्योंकि बीहर नदी के किनारे साबरमती की तर्ज पर बनाया गया रिवर फ्रंट भी पहली बार पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. पिछले साल कम बारिश के कारण यह बचा रहा था, लेकिन इस वर्ष नदी का रौद्र रूप इसे भी अपनी चपेट में ले गया. अब बाढ़ का पानी उतरने के बाद ही रिवर फ्रंट की वास्तविक स्थिति और इसके संभावित नुकसान का आकलन हो पाएगा, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. नए विक्रम पुल के करीब तक पानी पहुंच जाने से शहर में भय का माहौल है.
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने किया बाढ़ प्रभावित इलाकों का मुआयना
रीवा में बाढ़ के बिगड़ते हालातों की गंभीरता को देखते हुए, प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला खुद मौके पर पहुंचे. उन्होंने ईको पार्क पहुंचकर बीहर नदी के बढ़ते जलस्तर और बाढ़ के विहंगम दृश्य का बारीकी से मुआयना किया. उन्होंने ईको पार्क और रिवर फ्रंट की स्थिति का भी जायजा लिया. मौके पर कुछ देर निरीक्षण करने के बाद डिप्टी सीएम ने संबंधित अधिकारियों को बाढ़ से प्रभावित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाने और बचाव कार्य तेज करने के आवश्यक निर्देश दिए.
शहर के विकास पर उठे गंभीर सवाल
रीवा में बाढ़ का यह मंजर शहर के "अव्यवस्थित विकास" को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े करता है. बीहर नदी के बीच टापू पर ईको एडवेंचर पार्क के निर्माण के समय से ही संभावित खतरों को लेकर चेतावनियां दी जाती रही हैं, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया. अब रिवर फ्रंट का भी जलमग्न होना, शहरी नियोजन और पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाने में विफलताओं को दर्शाता है. प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है कि इस बाढ़ से हुए नुकसान से कैसे निपटा जाए और भविष्य में ऐसे हालात से बचने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएं.