कलेक्टर प्रतिभा पाल का 'एक्शन': BEO आकांक्षा सोनी को पॉवर का 'मिसयूज' पड़ा भारी! 'फर्जीवाड़े' और उत्पीड़न की शिकायत पर जांच शुरू, पूरा शिक्षा महकमा हिल गया!

 
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रीवा विकासखंड शिक्षा अधिकारी आकांक्षा सोनी पर वेतन भुगतान में देरी, शिक्षकों के उत्पीड़न और यात्रा भत्ते में लाखों के गबन के गंभीर आरोप, कलेक्टर प्रतिभा पाल ने गठित की उच्च स्तरीय जांच समिति। 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले के शिक्षा विभाग में हाल ही में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसने पूरे प्रशासनिक और शैक्षणिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। यह मामला रीवा विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) आकांक्षा सोनी से जुड़ा है, जिन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों में शिक्षकों का उत्पीड़न, मासिक वेतन भुगतान में जानबूझकर देरी, और सबसे महत्वपूर्ण, यात्रा भत्ते (TA) के नाम पर लाखों रुपये के गबन जैसी गंभीर वित्तीय अनियमितताएं शामिल हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए, रीवा जिले की तेज-तर्रार कलेक्टर प्रतिभा पाल ने तत्काल संज्ञान लिया है। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने और आगामी 3 दिनों के भीतर विस्तृत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के सख्त निर्देश दिए हैं। यदि जांच में ये आरोप सही पाए जाते हैं, तो BEO आकांक्षा सोनी पर कड़ी कार्रवाई की गाज गिरनी तय मानी जा रही है, जो रीवा शिक्षा विभाग में जवाबदेही और पारदर्शिता की एक नई मिसाल कायम कर सकती है।

आरोप 1: वेतन भुगतान में देरी और शिक्षकों को वित्तीय संकट में धकेलना
आकांक्षा सोनी को लगभग दो महीने पहले ही रीवा विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पद का डीडीओ (डीडीओ प्रभार - Drawing and Disbursing Officer) सौंपा गया था। यह प्रभार मिलते ही उन पर वेतन भुगतान में गंभीर अनियमितताएं बरतने का आरोप लगा है, जिससे रीवा के शिक्षक गंभीर वित्तीय संकट में फंस गए हैं।

मासिक वेतन में जानबूझकर देरी
शिक्षकों का सबसे प्रमुख आरोप यह है कि सामान्यतः हर महीने की 1 तारीख को मिलने वाला वेतन, मई और जून 2025 के महीनों में 13 से 14 तारीख तक जारी किया गया। यह अकारण देरी शिक्षकों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई, जिससे उनके मासिक बजट और वित्तीय नियोजन पर गहरा असर पड़ा। यह देरी न केवल लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि शिक्षकों के अनुसार यह जानबूझकर की गई थी।

बैंक चेक बाउंस होने से फजीहत
वेतन में इस अकारण देरी के कारण सैकड़ों शिक्षकों को भारी वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। जिन शिक्षकों ने बैंक से विभिन्न प्रकार के ऋण (जैसे होम लोन, पर्सनल लोन) ले रखे थे, उनके मासिक किश्त (EMI) के चेक लगातार बाउंस होते रहे। इससे उन्हें दोहरा नुकसान हुआ: पहला, उन्हें बैंक के विलंब शुल्क का भुगतान करना पड़ा, और दूसरा, उनकी क्रेडिट रेटिंग भी प्रभावित हुई। इस स्थिति ने शिक्षकों को न केवल मानसिक तनाव दिया, बल्कि उन्हें सामाजिक रूप से भी फजीहत झेलनी पड़ी, क्योंकि उनके वित्तीय रिकॉर्ड खराब हो रहे थे।

वेतन जानकारी मांगने पर 'अभद्रता' का आरोप
शिक्षकों का यह भी कहना है कि जब वे वेतन में देरी या अन्य वेतन संबंधी जानकारी लेने के लिए कार्यालय के बाबू से संपर्क करते थे, तो BEO आकांक्षा सोनी उन पर भड़क जाती थीं। आरोप है कि श्रीमती सोनी ने कई शिक्षकों के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में झूठी शिकायतें कर दीं, यह कहकर कि शिक्षकों ने कार्यालय में आकर उनके साथ "अभद्रता" की है। शिक्षकों का तर्क है कि अपने वेतन की जानकारी मांगना, जो उनका हक है, किसी भी सूरत में अभद्रता नहीं हो सकता। यह आरोप शिक्षक उत्पीड़न की ओर स्पष्ट रूप से इशारा करता है, जहां अधिकारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं।

आरोप 2: यात्रा भत्ते (TA) के नाम पर घोटाला
वेतन में देरी और शिक्षक उत्पीड़न के साथ-साथ, आकांक्षा सोनी पर यात्रा भत्ते (TA) में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर शासकीय राशि का गबन करने का भी गंभीर आरोप लगा है। ये आरोप सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं, जिससे सरकारी खजाने को लाखों का नुकसान हुआ है। विद्यालय के भ्रमण के नाम पर 63 हजार रुपए का भुगतान की हैं। 5 किमी दूर रीवा शहर की स्कूलों को भी 35 किमी दर्शाया गया है। आरोप है कि जिन विद्यालय का लाग बुक में भ्रमण दिखाया गया है। वहां बीईओ कभी गई ही नहीं। इसके अलावा जिस ट्रैवल एजेंसी माह रेणुका की गाड़ी से भ्रमण किया गया है। उसका अनुबंध भी नहीं हुआ है। 

एक दिन में एक ही विद्यालय का घंटों निरीक्षण
शिकायत में कहा गया है कि आकांक्षा सोनी ने अपने लॉग बुक में कई दिनों तक एक ही विद्यालय का निरीक्षण सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक दिखाया है। सामान्यतः, एक दिन में कई विद्यालयों का निरीक्षण किया जाता है, न कि केवल एक का। एक ही विद्यालय में इतने लंबे समय तक रुकना न केवल समय और संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि यह यात्रा भत्ते के दावे को संदिग्ध बनाता है, क्योंकि इससे यह प्रतीत होता है कि वे केवल यात्रा भत्ता प्राप्त करने के लिए लॉग बुक में फर्जी प्रविष्टियां कर रही थीं।

वाहन किराए में फर्जीवाड़ा
किराए पर लिए गए वाहन का किराया प्रतिदिन 1000 रुपये दर्शाया गया है। सूत्रों के अनुसार, यह दर निर्धारित सरकारी मानकों से अधिक हो सकती है, या वाहन के उपयोग में पारदर्शिता का अभाव है। यह आरोप वाहन किराए के नाम पर शासकीय राशि का दुरुपयोग और संभावित फर्जी बिलिंग की ओर इशारा करता है।

दूरी बढ़ाकर शासकीय राशि का गबन
सबसे गंभीर आरोपों में से एक यह है कि 5 किलोमीटर जैसी छोटी दूरी को 35 किलोमीटर और 20 किलोमीटर की दूरी को 70 किलोमीटर दर्शाकर यात्रा भत्ते के रूप में अत्यधिक राशि का दावा किया गया और उसे पास कर दिया गया। यह सीधे तौर पर शासकीय खजाने को चूना लगाने का मामला है और गबन का स्पष्ट उदाहरण है। यह दर्शाता है कि कैसे दूरी बढ़ाकर वित्तीय अनियमितताएं की जा रही थीं।

अनाप-शनाप लॉग बुक एंट्री
शिकायत में यह भी कहा गया है कि लॉग बुक में कई ऐसे विद्यालयों का भी उल्लेख किया गया है, जिनका BEO आकांक्षा सोनी ने वास्तव में कभी निरीक्षण किया ही नहीं था। यह स्पष्ट रूप से दस्तावेजों में हेरफेर और फर्जीवाड़े को दर्शाता है। ऐसी अनाप-शनाप लॉग बुक एंट्री सरकारी नियमों का घोर उल्लंघन है और यह साबित करती है कि यात्रा भत्ते का दावा केवल कागजों पर था, वास्तविक निरीक्षण के आधार पर नहीं।

आरोप 3: पद का दुरुपयोग और नियम विरुद्ध अटैचमेंट
शिकायत में बीईओ आकांक्षा सोनी पर पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया गया है। कार्यालय में नियम विरुद्ध एक दर्जन से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों को गैर-शिक्षकीय कार्यों में अटैच किए जाने की शिकायत की गई है। यह शिक्षकों को उनके मूल शैक्षणिक कार्यों से विचलित करता है और शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

गैर-शिक्षकीय कार्यों में शिक्षकों का अटैचमेंट
निम्नलिखित शिक्षकों को कार्यालय में गैर-शिक्षकीय कार्यों में अटैच किया गया है, जो नियमों के खिलाफ है:

शरद पई (सहायक शिक्षक)
रामकिंग त्रिपाठी (अध्यापक)
शिप्रा सर्राफ (अध्यापक)
मयंक पाण्डेय (सहायक अध्यापक)
महेद्र श्रीवास्तव (सहायक शिक्षक)
राजेश दुबे (प्राथमिक शिक्षक)
निति सिंह (ऑपरेटर)

यह अटैचमेंट शिक्षा विभाग के नियमों का उल्लंघन है, क्योंकि शिक्षकों को शिक्षण कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता है, न कि प्रशासनिक या कार्यालयी कार्यों के लिए। इससे विद्यालयों में शिक्षकों की कमी होती है और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है।

सीएम हेल्पलाइन के नाम पर अटैचमेंट
इसके अलावा, सीएम हेल्पलाइन के नाम पर सतीश पाण्डेय (शिक्षक) और शिवेन्द्र पाण्डेय को भी कार्यालय में ही अटैच किया गया है। सीएम हेल्पलाइन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए भी शिक्षकों को उनके मूल विद्यालय से हटाकर कार्यालय में अटैच करना उचित नहीं है, खासकर जब यह कार्य गैर-शिक्षकीय प्रकृति का हो। यह दर्शाता है कि बीईओ अपने पद का दुरुपयोग कर रही हैं और अपनी सुविधा के अनुसार कर्मचारियों को नियुक्त कर रही हैं।

कलेक्टर प्रतिभा पाल का सख्त रुख, तत्काल जांच समिति गठित
रीवा जिले की कलेक्टर प्रतिभा पाल, जो अपनी कर्तव्यनिष्ठा और त्वरित कार्रवाई के लिए जानी जाती हैं, के समक्ष जब ये सभी शिकायतें एक साथ प्रस्तुत की गईं, तो उन्होंने मामले को बेहद गंभीरता से लिया। कलेक्टर ने तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को इस मामले में जांच समिति गठित करने और 3 दिनों के भीतर विस्तृत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह त्वरित कार्रवाई कलेक्टर प्रतिभा पाल के सख्त रुख को दर्शाती है और यह सुनिश्चित करती है कि मामले की जांच में कोई देरी न हो।

गठित जांच समिति के सदस्य
जिला शिक्षा अधिकारी, रीवा द्वारा दिनांक 29.07.2025 को जारी आदेश क्रमांक लेखा/2025/272 के अनुसार, इस हाई-लेवल जांच समिति में निम्नलिखित तीन अनुभवी अधिकारी शामिल किए गए हैं, जो मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करेंगे:

  • श्रीमती प्रतिभा साराभाई: विकासखंड शिक्षा अधिकारी, रायपुर कर्चुलियान
  • श्री जे.पी. जायसवाल: प्राचार्य, शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मार्तंड क्रमांक 1, रीवा
  • श्री सी.पी. साकेत: प्राचार्य, शासकीय पी.आर.एम.सी. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गोड़हर

इस आदेश की प्रतिलिपि आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय म.प्र. भोपाल, कलेक्टर रीवा म.प्र., संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सेवा संभाग रीवा और संबंधित संबधीजन को भी सूचनार्थ भेजी गई है।

जांच समिति की संरचना पर सवाल
हालांकि कलेक्टर द्वारा त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जांच समिति की संरचना पर कुछ सवाल उठाए गए हैं। शिकायतकर्ताओं का तर्क है कि नियमानुसार रीवा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जो जांच समिति बनाई गई है, उसमें दूरी के मापदंड के लिए लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी, वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए जिला कोषालय के एक अधिकारी एवं विभागीय पत्राचार में आवश्यक सहयोग के लिए किसी एक प्राचार्य को शामिल करना चाहिए था। लेकिन डीईओ रीवा ने जानबूझकर अपने चहेते ऐसे कर्मचारियों को रखा है जो खुद बीईओ के अधीनस्थ हैं और मामले में लीपापोती कर सकते हैं। यह चिंता व्यक्त की गई है कि यदि जांच समिति में वित्तीय और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल नहीं किए गए, तो जांच की निष्पक्षता और गहराई प्रभावित हो सकती है।

आगे क्या? निष्पक्ष जांच और संभावित कार्रवाई
शिक्षा विभाग में इस तरह के आरोपों का सामने आना बेहद चिंताजनक है और यह रीवा शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। कलेक्टर के हस्तक्षेप और जांच समिति के गठन से यह उम्मीद बढ़ गई है कि मामले की तह तक जाकर सच्चाई सामने आएगी। यदि आरोपों में दम पाया जाता है और जांच समिति अपनी रिपोर्ट में इन अनियमितताओं की पुष्टि करती है, तो BEO आकांक्षा सोनी के खिलाफ विभागीय और कानूनी, दोनों तरह की कड़ी कार्रवाई होना तय है।

संभावित कार्रवाइयों में शामिल हो सकते हैं:

वेतन वृद्धि रोकना: उनकी आगामी वेतन वृद्धियों पर रोक लगाई जा सकती है।
पद से हटाना: उन्हें उनके वर्तमान पद से हटाया जा सकता है या उनका तबादला किया जा सकता है।
निलंबन: आरोपों की गंभीरता के आधार पर उन्हें निलंबित किया जा सकता है।
आपराधिक मामला दर्ज करना: यदि गबन और फर्जीवाड़े के आरोप सिद्ध होते हैं, तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कानूनी कार्यवाही हो सकती है।

यह मामला दर्शाता है कि शासकीय विभागों में जवाबदेही और पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है। यह घटना भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकने के लिए एक चेतावनी के रूप में काम कर सकती है और अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन अधिक ईमानदारी और निष्ठा के साथ करने के लिए प्रेरित कर सकती है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष हो और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि जनता का विश्वास सरकारी तंत्र में बना रहे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न: रीवा शिक्षा विभाग में क्या घोटाला उजागर हुआ है?
उत्तर: रीवा विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) आकांक्षा सोनी पर शिक्षकों के वेतन भुगतान में जानबूझकर देरी, उत्पीड़न, और यात्रा भत्ते (TA) के नाम पर लाखों रुपये के गबन का आरोप लगा है।

प्रश्न: BEO आकांक्षा सोनी पर वेतन में देरी के क्या आरोप हैं?
उत्तर: शिक्षकों का आरोप है कि मई और जून 2025 का मासिक वेतन 13-14 तारीख तक जारी किया गया, जिससे उनके EMI चेक बाउंस हुए और उन्हें वित्तीय व मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी।

प्रश्न: यात्रा भत्ते (TA) में गबन के आरोप क्या हैं?
उत्तर: आरोप है कि लॉग बुक में एक ही विद्यालय का घंटों निरीक्षण दिखाया गया, वाहन किराए में फर्जीवाड़ा किया गया, 5 किमी की दूरी को 35 किमी और 20 किमी को 70 किमी दर्शाकर अधिक भत्ता लिया गया, और ऐसे विद्यालयों का भी उल्लेख किया गया जिनका कभी निरीक्षण नहीं किया गया।

प्रश्न: कलेक्टर प्रतिभा पाल ने इस मामले में क्या कार्रवाई की है?
उत्तर: कलेक्टर प्रतिभा पाल ने तत्काल संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर 3 दिनों के भीतर विस्तृत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के सख्त निर्देश दिए हैं।

प्रश्न: जांच समिति में कौन-कौन सदस्य शामिल हैं?
उत्तर: जांच समिति में श्रीमती प्रतिभा साराभाई (विकासखंड शिक्षा अधिकारी, रायपुर कर्चुलियान), श्री जे.पी. जायसवाल (प्राचार्य, शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मार्तंड क्रमांक 1, रीवा), और श्री सी.पी. साकेत (प्राचार्य, शासकीय पी.आर.एम.सी. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गोड़हर) शामिल हैं।

प्रश्न: जांच समिति की संरचना पर क्या चिंताएं उठाई गई हैं?
उत्तर: शिकायतकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है कि समिति में लोक निर्माण विभाग और जिला कोषालय से विशेषज्ञ अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया है, और वर्तमान सदस्य बीईओ के अधीनस्थ हैं, जिससे जांच में लीपापोती की आशंका है।

प्रश्न: यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो BEO आकांक्षा सोनी पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
उत्तर: यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो उन पर वेतन वृद्धि रोकने, पद से हटाने, निलंबित करने, या यहां तक कि आपराधिक मामला दर्ज करने जैसी कड़ी विभागीय और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

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