रीवा में अनुकंपा नियुक्ति घोटाला: फर्जीवाड़े की जड़ें गहरी, बड़े अधिकारियों पर लटकी तलवार!

 
DFGG

रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग में हुए अनुकंपा नियुक्ति घोटाले ने पूरे सिस्टम को हिला दिया है। यह सिर्फ एक-दो लोगों का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित फर्जीवाड़े का जाल है, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) से लेकर अन्य कई अधिकारियों की गर्दन फंसती दिख रही है। मामला इतना गंभीर है कि अब तक नौकरी कर रहे बृजेश कोल जैसे व्यक्ति की भी नियुक्ति फर्जी पाई गई है, जिसकी मां कभी शिक्षक थी ही नहीं!

कैसे हुआ खुलासा?

फर्जी दस्तावेजों के सहारे हुई यह नियुक्ति तब सामने आई जब बृजेश कोल का वेतन जनरेट करने का समय आया। संकुल प्राचार्य ने रिकॉर्ड मांगे और जब माँ की यूनिक आईडी की खोज हुई तो कहीं कोई जानकारी नहीं मिली। यहीं से पूरे खेल का भंडाफोड़ हुआ।

DEO ऑफिस में सक्रिय 'गिरोह'?

जिस तरह से बृजेश कोल को फर्जी नियुक्ति आदेश जारी हुआ, उससे साफ जाहिर होता है कि DEO कार्यालय के भीतर ही कोई 'गिरोह' सक्रिय है। यह गिरोह नौकरी दिलाने का झांसा देकर मोटी रकम वसूलता है और फर्जी दस्तावेज तैयार कर नौकरी लगवाता है। अब सवाल यह है कि यह गिरोह DEO की नाक के नीचे कैसे काम कर रहा था? क्या DEO को इसकी भनक नहीं थी, या वो जानबूझकर अनजान बने हुए थे?

36 में से 10 नदारद, शक की सुई अधिकारियों पर!

डीईओ ने आनन-फानन में जांच तो बिठा दी है, लेकिन इसमें भी लीपापोती की बू आ रही है। पिछले एक साल में हुई सभी अनुकंपा नियुक्तियों की जांच के लिए 36 अभ्यर्थियों को रिकॉर्ड के साथ बुलाया गया था, लेकिन 26 ही पहुंचे और 10 नदारद रहे। इन गायब 10 अभ्यर्थियों पर शक गहरा गया है, और अगर ये भी फर्जी पाए जाते हैं, तो अधिकारियों की कुर्सी डोलना तय है। DEO ने उन्हें मंगलवार तक का मौका दिया है, लेकिन सवाल ये है कि अगर सब कुछ सही है तो वे रिकॉर्ड लेकर सामने क्यों नहीं आ रहे?

DEO सुदामा लाल गुप्ता पर आंच, अब दाग धोने की कवायद!

इस फर्जीवाड़े की सीधी आंच जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता पर आ रही है। अब वह खुद को बचाने और अपने ऊपर लगे दाग धोने की कोशिश में जुट गए हैं। 14 मार्च 2024 से 31 मई 2025 के दौरान हुई सभी अनुकंपा नियुक्तियों की जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन यह जांच कितनी निष्पक्ष होगी, इस पर सवालिया निशान लगा है।

रोस्टर नियमों की धज्जियां, बिना पद के बांट दी नौकरियां!

इस पूरे मामले में रोस्टर नियमों का खुला उल्लंघन हुआ है। बिना पद के ही अनुकंपा नियुक्ति आदेश जारी किए गए हैं। यह दर्शाता है कि सिर्फ फर्जी दस्तावेज ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को ताक पर रखकर नौकरियां बांटी गईं। यह सब किसकी शह पर हो रहा था? इस फर्जीवाड़े की जड़ें कितनी गहरी हैं और इसमें कौन-कौन से अधिकारी शामिल हैं, यह जानना बेहद जरूरी है।

अब देखना ये है कि रीवा के इस शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार की परतें कितनी खुलती हैं, और क्या सच में 'बड़े मगरमच्छ' पर कार्रवाई हो पाती है या हमेशा की तरह छोटे मोहरों पर ही गाज गिरेगी?

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