रिटायर्ड फौजी से लूट: 10 साल बाद आया फैसला, कोर्ट ने सुनाई 7 साल की सजा, जानें बाकी 4 का क्या हुआ

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले में 10 साल पहले हुई एक लूट की घटना में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। विश्वविद्यालय (विवि) थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई इस वारदात में शामिल एक आरोपी को 7 साल के सश्रम कारावास की सजा दी गई है, जबकि इस मामले के 4 अन्य आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं। इस फैसले से पीड़ित परिवार को एक दशक बाद कुछ राहत मिली है। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी।

क्या थी 10 साल पुरानी घटना?
यह घटना 12 अप्रैल 2016 की है। आर्मी से रिटायर हो चुके भरत प्रसाद शुक्ला, जो कैलाशपुरी के रहने वाले हैं, ने जीईसी एसबीआई बैंक से 3 लाख रुपए की बड़ी राशि निकाली थी। उन्होंने इससे एक दिन पहले भी 2 लाख रुपए निकाले थे, और एटीएम से 30 हजार रुपए भी निकाले। यह सारी रकम उन्होंने अपने स्कूल बैग में रखी और साइकिल से घर के लिए निकल पड़े। जैसे ही वह बैंक से कुछ दूरी पर पहुंचे, एक बाइक पर सवार दो युवक उनके पास आए और उनका बैग छीनकर फरार हो गए।

पुलिस जांच और आरोपियों की धरपकड़
लूट की वारदात के तुरंत बाद भरत प्रसाद शुक्ला ने विवि थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू की। जांच के दौरान यह सामने आया कि इस वारदात में कुल 5 युवक शामिल थे। पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल की, जबकि तीन आरोपी शुरुआत से ही फरार चल रहे थे। पकड़े गए दो आरोपियों में से एक कोर्ट में पेशी के दौरान भाग निकला, जिसके बाद वह भी फरार हो गया। इस तरह, कुल 4 आरोपी आज भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।

कौन था आरोपी जिसे सजा मिली?
जिला अभियोजक ने बताया कि इस मामले में फरार चल रहे आरोपियों में अनूपपुर जिले के रहने वाले लोग शामिल थे। गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों में से एक, मकदूल नारायण कंजर, विचारण के दौरान फरार हो गया था। वहीं, दूसरे आरोपी, बृज किशोर कंजर, निवासी छतरपुर, के खिलाफ कोर्ट में केस चलता रहा। अष्टम सत्र सत्र न्यायाधीश ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए बृज किशोर कंजर को दोषी पाया।

कोर्ट का फैसला: 7 साल का सश्रम कारावास और जुर्माना
न्यायाधीश ने बृज किशोर कंजर को लूट का दोषी ठहराते हुए 7 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा, उस पर 5 हजार रुपए का अर्थदंड (जुर्माना) भी लगाया गया है। यदि वह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ सकती है। यह फैसला दिखाता है कि भले ही न्याय मिलने में लंबा समय लगे, लेकिन अपराधियों को उनके किए की सजा जरूर मिलती है। इस मामले में पुलिस के प्रयास सराहनीय रहे, जिन्होंने एक दशक बाद भी आरोपी को सजा दिलवाई।

फरार आरोपियों की तलाश जारी
इस मामले में अभी भी 4 आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। इनमें एक आरोपी वह भी है जो कोर्ट से भाग निकला था। पुलिस ने इन सभी की तलाश जारी रखी है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का दावा किया है। इस तरह के मामलों में अपराधियों को सख्त सजा मिलना समाज में कानून के प्रति विश्वास को और मजबूत करता है। यह फैसला उन लोगों के लिए भी एक सबक है जो अपराध करने की सोचते हैं।

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