MP में 'कानून सबके लिए बराबर' की मांग: अभय मिश्रा FIR पर विपक्ष का हल्ला बोल, क्या मुख्यमंत्री लेंगे संज्ञान?

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान, रीवा जिले के सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर दर्ज एक FIR को लेकर सदन में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। मंगलवार को जैसे ही विधायक अभय मिश्रा को बोलने का अवसर मिला, उन्होंने अपने ऊपर एक महिला CSP (शहर पुलिस अधीक्षक) के साथ कथित दुर्व्यवहार और मारपीट के आरोप में दर्ज FIR को लेकर सरकार से तत्काल जवाब मांगा। उन्होंने दृढ़ता से खुद को बेगुनाह बताया और इस कार्रवाई को पूरी तरह से गलत ठहराया।

विधायक मिश्रा का पक्ष: बेगुनाही का दावा और पक्षपात का आरोप
विधायक अभय मिश्रा ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके खिलाफ दर्ज की गई FIR बेबुनियाद है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन पर लगाए गए आरोप गलत हैं और यह कार्रवाई उन्हें फंसाने की साजिश का हिस्सा है। उनका मुख्य तर्क यह था कि उनके साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया: "भाजपा नेता पर कार्रवाई नहीं, हम पर FIR क्यों?"

उन्होंने सदन को याद दिलाया कि एक भाजपा नेता और पूर्व विधायक ने कथित तौर पर थाने में एक महिला अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया था, लेकिन उस मामले में कोई FIR दर्ज नहीं की गई। मिश्रा ने तर्क दिया कि यदि यही कृत्य किसी और ने किया होता, तो अब तक उस पर कड़ी कार्रवाई हो चुकी होती। उन्होंने इसे सत्ताधारी दल के प्रति उदारता और विपक्ष के प्रति कठोरता का उदाहरण बताते हुए इसे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करार दिया। अभय मिश्रा ने इस बात पर जोर दिया कि कानून सभी के लिए समान होना चाहिए और किसी भी व्यक्ति के पद या राजनीतिक संबद्धता के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

विपक्ष का समर्थन: उमंग सिंगार ने भी उठाया सवाल
अभय मिश्रा की बात को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार का भी भरपूर समर्थन मिला। सिंगार ने भी सरकार से इस मामले पर तत्काल जवाब मांगा और विधायक मिश्रा के पक्ष को मजबूत किया। दोनों कांग्रेस नेता इस मुद्दे को बार-बार सदन में उठाते रहे, जिससे कार्यवाही बाधित हुई। विधानसभा अध्यक्ष ने कई बार कार्यवाही को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस विधायक अपनी मांग पर अड़े रहे। वे इस बात पर अड़े थे कि सरकार को इस मामले में स्पष्टीकरण देना चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, यदि कोई हो। यह विपक्ष का एक सामूहिक प्रयास था ताकि इस मामले को जनता के सामने लाया जा सके और सरकार पर दबाव बनाया जा सके।

सरकार का जवाब: कैलाश विजयवर्गीय ने क्या कहा?
मामले की गंभीरता को देखते हुए, सदन में संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह मामला पहले ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जा चुका है। विजयवर्गीय ने बताया कि विधायक अभय मिश्रा सहित कुछ अन्य लोग व्यक्तिगत रूप से भी मुख्यमंत्री से इस विषय पर मिल चुके हैं और उन्होंने अपनी बात रखी है।

विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि यह बात सदन के रिकॉर्ड में आ चुकी है, और इस समय हंगामे का कोई औचित्य नहीं है। उनका आशय था कि जब मुख्यमंत्री को मामले की जानकारी है और उस पर विचार किया जा रहा है, तो सदन का बहुमूल्य समय अनावश्यक हंगामे में बर्बाद नहीं करना चाहिए। हालांकि, कैलाश विजयवर्गीय के स्पष्टीकरण के बावजूद, विपक्ष काफी देर तक अपनी मांग पर अड़ा रहा और हंगामा जारी रहा। विपक्ष चाहता था कि सरकार न केवल मामले को संज्ञान में ले, बल्कि उस पर कोई ठोस कार्रवाई भी करे और सदन में उसकी जानकारी दे।

क्या है पूरा मामला: महिला CSP और मारपीट का आरोप
दरअसल, विधायक अभय मिश्रा पर एक महिला शहर पुलिस अधीक्षक (CSP) के साथ कथित दुर्व्यवहार और मारपीट के मामले में FIR दर्ज की गई है। यह घटना कब और कैसे हुई, इसका विवरण स्पष्ट रूप से नहीं दिया गया है, लेकिन विधायक मिश्रा का दावा है कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उनका तर्क है कि यह उन्हें परेशान करने और उनकी छवि खराब करने का प्रयास है, खासकर जब वे एक भाजपा नेता द्वारा किए गए इसी तरह के कथित कृत्य के लिए कार्रवाई की कमी का हवाला दे रहे हैं। यह मामला कानून के शासन और राजनीतिक हस्तक्षेप के बीच की रेखा पर सवाल उठाता है।

सदन में हंगामा: लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल
विधानसभा जैसे महत्वपूर्ण मंच पर इस तरह का हंगामा लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सुचारु संचालन पर सवाल उठाता है। जहां विपक्ष को अपनी बात रखने और सरकार से जवाब मांगने का पूरा अधिकार है, वहीं सदन की गरिमा और कार्यवाही के नियमों का पालन भी आवश्यक है। इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि कैसे व्यक्तिगत मुद्दे और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप महत्वपूर्ण विधायी कार्यों को बाधित कर सकते हैं। हालांकि, यह भी सच है कि विपक्ष अक्सर ऐसे मुद्दों को सदन में उठाकर सरकार को जवाबदेह ठहराने का प्रयास करता है।

आगे क्या? मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप और जांच की उम्मीद
चूंकि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है, इसलिए अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर टिकी हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री इस मामले की गहन जांच करवाएंगे और यदि विधायक अभय मिश्रा के आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, यदि विधायक के खिलाफ दर्ज FIR में कोई त्रुटि या पक्षपात सामने आता है, तो उस पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है। इस मामले का निष्कर्ष यह तय करेगा कि क्या कानून वास्तव में सभी के लिए समान है, या राजनीतिक प्रभाव अभी भी न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

FAQ
Q1: अभय मिश्रा कौन हैं?
A1: अभय मिश्रा रीवा जिले के सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वर्तमान विधायक हैं।

Q2: अभय मिश्रा पर क्या आरोप हैं?
A2: उन पर एक महिला शहर पुलिस अधीक्षक (CSP) के साथ कथित दुर्व्यवहार और मारपीट के आरोप में FIR दर्ज की गई है।

Q3: यह मामला विधानसभा में क्यों उठा?
A3: अभय मिश्रा ने खुद पर दर्ज FIR को गलत और पक्षपातपूर्ण बताते हुए सरकार से तत्काल जवाब मांगा, जिसके बाद विधानसभा के मानसून सत्र में हंगामा हुआ।

Q4: कैलाश विजयवर्गीय ने इस मामले पर क्या कहा?
A4: कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि यह मामला पहले ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में है और विधायक सहित अन्य लोग व्यक्तिगत रूप से भी मुख्यमंत्री से इस विषय में मिल चुके हैं।

Q5: विपक्ष की क्या मांग थी?
A5: विपक्ष, खासकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, सरकार से इस मामले पर स्पष्ट जवाब और उचित कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

Q6: अभय मिश्रा ने पक्षपात का आरोप क्यों लगाया?
A6: उन्होंने आरोप लगाया कि एक भाजपा नेता और पूर्व विधायक ने महिला अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि उन पर FIR दर्ज कर ली गई।

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