रीवा में 'रील वाली पुलिसिंग' पर डीआईजी का वज्रपात: थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा की 'फिल्मी' हरकतों पर लगा ब्रेक, पर अब तक 'निलंबन' क्यों नहीं? 'रील' के चक्कर में पुलिस भूली 'कोरेक्स' का काला कारोबार!

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा की पुलिसिंग पहले से ही भगवान भरोसे चल रही थी, लेकिन अब कुछ पुलिस अधिकारियों का 'रील बनाने का जुनून' इसे और भी घातक बना रहा था। सगरा थाना में पदस्थ महिला थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा के एक वायरल रील ने पूरे पुलिस विभाग की नींद उड़ा दी थी और पुलिस की छवि को सरेआम धूमिल कर दिया था। उनकी 'फिल्मी' हरकतें अब पुलिस महकमे के लिए सिरदर्द बन गई थीं, जिसे रोकने के लिए खुद डीआईजी राजेश सिंह चंदेल को कड़ा आदेश जारी करना पड़ा था। और उस आदेश का असर भी तुरंत देखने को मिला है – थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से नाच-गाने और कॉमेडी वाले सभी निजी वीडियो हटा दिए हैं, अब सिर्फ प्रशासन से जुड़े पोस्ट ही बचे हैं।

लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है: पुलिस की गरिमा को तार-तार करने वाली ऐसी गंभीर अनुशासनहीनता के बावजूद, थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा और अन्य रील बनाने वाले पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित क्यों नहीं किया गया? क्या पुलिस मुख्यालय भी इस मामले पर आंखें मूंदे बैठा है, या यह भी किसी 'मिलीभगत' का हिस्सा है? सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जितने समय में ये पुलिसकर्मी रील्स बना रहे थे, उतने ही समय में रीवा जिले में कोरेक्स का काला कारोबार बड़ी तेजी से फल-फूल रहा है!

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थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा को 'रील वाली पुलिस अधिकारी' के नाम से जाना जाता था। उनका सोशल मीडिया अकाउंट रील्स से भरा पड़ा था, चाहे वह ड्यूटी पर हों या घर पर। हाल ही में थाने में बैठकर उनके द्वारा बनाया गया एक रील खूब वायरल हुआ था, जिसने पुलिस विभाग की पूरी गरिमा को तार-तार कर दिया था। इस रील पर आए आपत्तिजनक कमेंट्स किसी भी अनुशासित विभाग के लिए शर्मनाक थे। अंकिता मिश्रा जहां भी पदस्थ रहीं, उन्होंने वहां की रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कीं, लेकिन इस बार उनकी ये हरकतें उनकी मुश्किलें बढ़ाने वाली थीं।

डीआईजी के आदेश के बाद अंकिता मिश्रा ने तत्काल एक्शन लेते हुए अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से सभी गैर-प्रशासनिक और निजी नाच-गाने/कॉमेडी वाली वीडियो हटा दी हैं। यह दर्शाता है कि उच्च अधिकारियों के दबाव का असर हुआ है, लेकिन सवाल यह भी है कि सरकारी वेतन पाने वाले पुलिसकर्मी सोशल मीडिया से 'एक्स्ट्रा इनकम' कैसे कमा रहे थे, जिस पर सरकार को तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए।

पुलिस वालों के इस तरह रील बनाने से युवा पीढ़ी और समाज पर अत्यंत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब कानून व्यवस्था के रक्षक ही इस तरह की 'मनोरंजक' गतिविधियों में लिप्त दिखते हैं, तो अनुशासन और गंभीरता का संदेश धूमिल होता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पुलिसकर्मियों के ऐसे वीडियो युवाओं को गलत संदेश देते हैं।

यह एक गंभीर प्रश्न है कि जितने समय में थाना प्रभारी और अन्य आरक्षक रील्स बनाने के 'चस्के' में लगे हुए थे, उतने ही समय में संबंधित थाना क्षेत्रों में रीवा जिले में नशीली सिरप कोरेक्स का अवैध व्यापार धड़ल्ले से बढ़ रहा था। यदि यही पुलिसकर्मी अपने 'रील बनाने' के समय का उपयोग अपने क्षेत्र में गश्त करने, नशे के कारोबारियों पर कार्रवाई करने या अन्य अपराधों को रोकने में करते, तो शायद जिले में अपराध का ग्राफ इतना न बढ़ता। 'रील' की सनक में पुलिसकर्मी अपने मूल कर्तव्यों को भूल गए, जिसका फायदा कोरेक्स माफिया उठा रहा है।

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पुलिस विभाग में अंकिता मिश्रा अकेली 'फिल्मी' किरदार नहीं हैं। रीवा में ऐसे कई और थाना प्रभारी और पुलिसकर्मी हैं, जिन्हें शायद फिल्मी दुनिया में जाना था, लेकिन गलती से वे पुलिस विभाग में पहुंच गए। कुछ को गाने का शौक है, कुछ को तबला बजाने का तो कई भजन-कीर्तन करते हुए भी रील्स बनाकर वायरल करते रहते हैं। ये सब मिलकर विभाग की "खटिया खड़ी" कर रहे थे।

लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जब ये हरकतें पुलिस की गरिमा के 'विपरीत' हैं, और इसका सीधा असर अपराध नियंत्रण पर पड़ रहा है, तो पुलिस मुख्यालय तत्काल कार्रवाई करते हुए ऐसे पुलिसकर्मियों को निलंबित क्यों नहीं कर रहा है?

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पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश सिंह चंदेल ने संभाग भर के पुलिस अधीक्षकों के लिए जो आदेश जारी किया है, वह स्पष्ट है: "अत्यधिक पुलिसकर्मी वर्दी में अथवा सिविल में अपनी रील बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर रहे हैं। पुलिस जैसे अनुशासित विभाग में रहकर किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा ऐसा किया जाना अनुशासन के सर्वथा विपरीत होकर उसकी पद एवं गरिमा के भी प्रतिकूल है। इससे जनता के बीच पुलिस की छवि पर अत्यधिक प्रतिकूल असर होता है।"

डीआईजी ने सभी पुलिसकर्मियों को कड़ी हिदायत दी है कि विभागीय कार्यों के अलावा अन्य कोई भी ऐसी पोस्ट सोशल मीडिया पर न डालें जिससे पुलिस विभाग की गरिमा को क्षति पहुंचे। उन्होंने सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्तर का अधिकारी, कर्मचारी स्वयं की कोई रील बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड न करें। सभी थाना प्रभारियों को यह आदेश रोलकॉल में पढ़कर सुनाने और कड़ाई से पालन कराने को कहा गया है।

अब कानून और कोर्ट के हिसाब से भी इन पर कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस अधिनियम, सेवा नियम और यदि वित्तीय लाभ का मामला सामने आता है तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी जांच होनी चाहिए। ऐसे मामलों में तत्काल निलंबन अपेक्षित होता है ताकि जांच निष्पक्ष हो सके और पुलिस बल में एक कड़ा संदेश जाए।

यह आदेश स्पष्ट चेतावनी है कि अब वर्दी का मजाक बनाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अंकिता मिश्रा जैसे थाना प्रभारियों की 'फिल्मी' हरकतों ने पुलिस विभाग की जो छवि खराब की है, उसे सुधारने के लिए डीआईजी का यह कदम बेहद जरूरी है। लेकिन असली परीक्षा तब होगी जब मुख्यालय इन आदेशों का कड़ाई से पालन करवाएगा और दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर कानून के दायरे में लाएगा। जनता अब सिर्फ आदेश नहीं, बल्कि 'कार्रवाई' देखना चाहती है! खासकर तब, जब 'रील बनाने' के समय में 'कोरेक्स' का जहर समाज में फैल रहा हो!

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