'मेरे पति को न्याय दो!' शोकग्रस्त पत्नी की गुहार, डॉक्टर ने लाखों ऐंठे, फिर लाश थमा दी; प्रशासन चुप क्यों है?

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित रामा हॉस्पिटल, नारीबारी (थाना शंकरगढ़, यूपी) एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जने थाना क्षेत्र, ग्राम तुरका गोदर के निवासी सूरज केवट नामक एक युवक की इलाज के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। यह मामला न केवल डॉक्टर की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि इलाज के नाम पर धन उगाही और मौत के बाद परिजनों को धमकी दिए जाने के गंभीर आरोपों को भी सामने लाता है। शोकग्रस्त परिवार अब प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है, लेकिन पुलिस कार्रवाई में कमी से उनका विश्वास डगमगा गया है।

घटना और पृष्ठभूमि: युवक की मौत कैसे हुई?
सूरज केवट की मौत कैसे हुई, यह जानने के लिए हमें घटना की शुरुआत को समझना होगा। सूरज के दाहिने पैर में दर्द और सूजन थी। सामान्य घरेलू उपचार से कोई आराम नहीं मिलने पर, परिजनों ने उन्हें एक विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाने का निर्णय लिया।

इलाज की शुरुआत और पहला ऑपरेशन
29 अक्टूबर की दोपहर करीब 3 बजे, परिजन सूरज को उत्तर प्रदेश के रामा हॉस्पिटल, नारीबारी ले गए। अस्पताल के डॉक्टर ने जल्द ही ऑपरेशन की सलाह दी, और उसी रात पहला ऑपरेशन किया गया। परिवार के सदस्यों के अनुसार, पहले ऑपरेशन के बाद सूरज की स्थिति सामान्य थी और वह अपने परिवार से बात भी कर रहे थे। इससे परिजनों को उम्मीद की एक किरण मिली थी कि सूरज जल्द ही ठीक होकर घर लौट आएगा।

दूसरा ऑपरेशन और संदिग्ध मौत 
दो दिन बाद, 3 और 4 नवंबर को, डॉक्टर ने सूरज का दोबारा ऑपरेशन करने की सलाह दी। परिजनों ने दोबारा ऑपरेशन क्यों हो रहा है पूछा, तो डॉक्टर ने केवल दर्द की बात कहकर उन्हें संतुष्ट कर दिया। रात करीब 11 बजे दूसरा ऑपरेशन शुरू हुआ। यह दूसरा ऑपरेशन ही इस पूरी घटना को संदिग्ध बनाता है।

परिवार के सदस्य राजकुमार केवट के अनुसार, ऑपरेशन शुरू होने के महज़ एक घंटे बाद, रात लगभग 2 बजे, डॉक्टर ने उन्हें बताया कि सूरज अब नहीं रहे। अस्पताल में भर्ती एक सामान्य रोगी की अचानक मृत्यु से पूरा परिवार सदमे में आ गया। परिजन स्पष्ट रूप से आरोप लगाते हैं कि उनकी मौत डॉक्टर की गंभीर लापरवाही के कारण हुई है।

परिजनों के गंभीर आरोप और दर्दनाक आपबीती
युवक की संदिग्ध मौत के बाद, परिजनों ने डॉक्टर पर कई चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। ये आरोप न केवल चिकित्सा व्यवस्था में व्याप्त कमियों को दर्शाते हैं, बल्कि एक गरीब परिवार के शोषण की दर्दनाक कहानी भी बयां करते हैं।

डॉक्टर पर गंभीर लापरवाही और धन उगाही का आरोप 
परिवार का आरोप है कि इलाज के नाम पर उनसे भारी धन उगाही की गई। ऑपरेशन के लिए पहले ₹50,000 से ₹60,000 लिए गए, और फिर अतिरिक्त ₹10,000 की मांग की गई। यानी इलाज के लिए लाखों रुपए लिए गए पर उचित इलाज नहीं मिला। परिजनों का कहना है कि जब वे डॉक्टर से इलाज की पर्चियां या रसीदें मांगते थे, तो उन्हें कोई भी दस्तावेज नहीं दिया गया।

पोस्टमार्टम और 'जहर' मिलने का दावा 
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम (Postmortem) कराया। परिवार के सदस्यों का दावा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर निकला है। यह दावा मामले को और भी अधिक गंभीर बना देता है, क्योंकि यह केवल लापरवाही का नहीं, बल्कि एक आपराधिक कृत्य का संकेत दे सकता है। हालाँकि, आधिकारिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पुष्टि होना आवश्यक है।

दस्तावेजों को छिपाना और शव को जल्द हटाने का दबाव
मौत के बाद, आरोपित डॉक्टर ने शव को जल्द घर ले जाने का दबाव बनाया। उन्होंने परिवार को न तो इलाज की पर्चियां दीं और न ही अस्पताल से संबंधित कोई अन्य दस्तावेज या रसीद दिया। एक परिवार को न्याय के लिए संघर्ष करने से रोकने की यह कोशिश क्या छिपाने की कोशिश कर रही है, यह एक बड़ा सवाल है।

धमकियों का सामना और न्याय की लड़ाई 
युवक की मौत के गम से उबरने से पहले ही, परिवार को डॉक्टर गुलाब सिंह और उनके समर्थकों से धमकियों (Threats) का सामना करना पड़ रहा है।

समझौते के लिए दबाव और धमकियाँ 
परिवार का कहना है कि डॉक्टर और उनके समर्थक उन्हें धमकी दे रहे हैं कि ₹1 लाख लेकर समझौता कर लो, नहीं तो वे परिवार को झूठे केस में फंसाने की धमकी दे रहे हैं। इस प्रकार की आपराधिक धमकियाँ न्याय की मांग कर रहे एक शोकग्रस्त परिवार पर असहनीय दबाव डाल रही हैं।

पुलिस कार्रवाई में निष्क्रियता पर सवाल
पीड़ित परिवार ने तुरंत थाना जने में एफआईआर दर्ज कराई , लेकिन घटना को 7 दिन से अधिक हो जाने के बाद भी कोई उचित जांच या कार्रवाई नहीं हुई। परिवार निराश है और पूछ रहा है कि पुलिस एफआईआर के बाद क्या कर रही है। पुलिस द्वारा कोई सुनवाई न होने पर परिवार अब उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रहा है।

न्याय की मांग: परिवार की गुहार 
सूरज केवट की मौत से उनका परिवार, जिसमें उनकी शोकग्रस्त पत्नी भी शामिल हैं, पूरी तरह टूट चुका है।

शोकग्रस्त पत्नी और परिवार की पीड़ा
पत्नी ने न्याय के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है (Appealed for justice)। परिवार की मुख्य मांगें स्पष्ट हैं:

  • दोषियों के खिलाफ कड़ी और उचित कार्रवाई ।
  • इलाज के दौरान हुई लापरवाही की जांच हो।
  • परिवार और छोटी बच्ची को न्याय मिले।

परिवार का कहना है कि लाखों रुपए इलाज के नाम पर लिए गए और अब धमकियां मिल रही हैं। उन्हें न्याय दिलाया जाए और इस मामले में शामिल सभी दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

घटना की विस्तृत समयरेखा 
तारीख / समय    घटना विवरण

  • 29 अक्टूबर दोपहर 3 बजे    सूरज केवट को रामा हॉस्पिटल, नारीबारी में भर्ती कराया गया।
  • 29 अक्टूबर रात    पहला ऑपरेशन किया गया, सूरज की स्थिति ठीक थी।
  • 3-4 नवंबर    डॉक्टर ने दूसरा ऑपरेशन करने की सलाह दी।
  • 4 नवंबर रात 2 बजे    दूसरे ऑपरेशन के एक घंटे बाद सूरज की मौत हुई।
  • 4 नवंबर के बाद    डॉक्टर ने शव को घर ले जाने का दबाव बनाया, दस्तावेज नहीं दिए।
  • बाद में    पुलिस को सूचना दी गई, एफआईआर दर्ज हुई, और पोस्टमार्टम कराया गया।
  • घटना के 7 दिन बाद    परिवार का आरोप है कि अभी तक कोई उचित पुलिस कार्रवाई नहीं हुई।

निष्कर्ष 
यह मामला चिकित्सा क्षेत्र में विश्वास की कमी और गरीबों के शोषण की ओर इशारा करता है। डॉक्टर की लापरवाही से किसी की मौत हो जाए तो क्या करें, इसका उत्तर पुलिस और प्रशासन की सक्रिय कार्रवाई में छिपा है।

सूरज केवट के परिवार को इलाज में हुई गड़बड़ी, अत्यधिक धन उगाही, धमकियों और प्रशासन की निष्क्रियता का सामना करना पड़ रहा है। मृतक के परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करना प्रशासन का दायित्व है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और परिवार को न्याय मिले मिले।

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