वर्दी में मनोरंजन: अंकिता मिश्रा के वीडियो पर गरमाई बहस, DGP लें संज्ञान! वायरल वीडियो पर पुलिस मुख्यालय की चुप्पी क्यों?

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा में थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा का पुलिस वर्दी में थाने के अंदर फिल्मी गाने पर डांस करने का वीडियो सामने आने के बाद यह मामला नियमों के उल्लंघन और पुलिस विभाग की गरिमा से जुड़ा एक गंभीर विषय बन गया है। इस तरह की घटनाओं पर तत्काल और उचित कार्रवाई होना अत्यंत आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी पुनरावृति न हो। थाने के अंदर बने वीडियो में थाना प्रभारी अक्षय कुमार और माधुरी दीक्षित फिल्म स्टारर आरजू मूवी के रोमांटिक गाने तेर दिल में आ गए... पर एक्शन करती नजर आ रही हैं। वीडियो सामने आने के बाद लोग अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई लोग इसे गलत बता रहे हैं। थाने में इस तरह के वीडियो न बनाने की सलाह दे रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इसे निजी जिंदगी बता रहे हैं।
पुलिस बल अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और सार्वजनिक सेवा के उच्च मानकों का प्रतीक है। वर्दी और थाने जैसे संवेदनशील स्थान का उपयोग व्यक्तिगत मनोरंजन के लिए करना, विशेषकर ड्यूटी के समय, कई महत्वपूर्ण नियमों का उल्लंघन करता है।
संभावित कानूनी और विभागीय पहलू
इस मामले में निम्नलिखित नियमों और कानूनों का उल्लंघन होने की संभावना है:
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पुलिस अधिनियम (Police Act): यह अधिनियम पुलिस अधिकारियों के कर्तव्य, आचरण और अनुशासन को नियंत्रित करता है। किसी भी ऐसे कार्य की अनुमति नहीं है जो पुलिस बल की प्रतिष्ठा को धूमिल करता हो।
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मध्य प्रदेश पुलिस विनियम (Madhya Pradesh Police Regulations): राज्य स्तर पर पुलिसकर्मियों के लिए विशिष्ट आचार संहिता और सेवा नियम होते हैं जो उनके सार्वजनिक और निजी आचरण को नियंत्रित करते हैं। वर्दी में या ड्यूटी के दौरान अनावश्यक गतिविधियों में शामिल होना इन विनियमों का उल्लंघन हो सकता है।
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सरकारी कर्मचारी आचार संहिता (Government Employee Conduct Rules): सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू होने वाली आचार संहिता उन्हें किसी भी ऐसे कार्य से रोकती है जो उनके पद की गरिमा के प्रतिकूल हो या सार्वजनिक विश्वास को ठेस पहुँचाता हो।
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सोशल मीडिया नीति (Social Media Policy): आजकल अधिकांश सरकारी विभागों की अपनी सोशल मीडिया नीतियां होती हैं जो कर्मचारियों को ऑनलाइन सामग्री पोस्ट करने के संबंध में दिशानिर्देश देती हैं, विशेषकर जब वे आधिकारिक क्षमता में हों। वर्दी में या सरकारी परिसर के अंदर ऐसे वीडियो बनाना इन नीतियों का उल्लंघन हो सकता है।
कार्रवाई क्यों आवश्यक है?
इस घटना पर त्वरित और कठोर कार्रवाई के कई कारण हैं:
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पुलिस बल की छवि: पुलिस का कार्य कानून-व्यवस्था बनाए रखना और जनता की सेवा करना है। इस तरह के वीडियो पुलिस की गंभीर और विश्वसनीय छवि को कमजोर करते हैं।
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अनुशासनहीनता: यह घटना पुलिस बल के भीतर अनुशासनहीनता को दर्शाती है। यदि ऐसे कृत्यों पर अंकुश नहीं लगाया जाता है, तो यह अन्य अधिकारियों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
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नैतिकता और कर्तव्यपरायणता: वर्दी पहनकर और ड्यूटी के दौरान इस तरह के व्यक्तिगत मनोरंजन में शामिल होना पेशेवर नैतिकता और कर्तव्यपरायणता के खिलाफ है।
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पूर्व उदाहरण: जैसा कि यूजर राजीव तिवारी ने उल्लेख किया है, पूर्व में भी ऐसे मामलों में निलंबन की कार्रवाई हुई है। यदि इस मामले में कार्रवाई नहीं होती है तो यह दोहरे मापदंड का संदेश देगा।
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सार्वजनिक विश्वास: जनता का पुलिस पर विश्वास बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन गंभीरता और ईमानदारी से करें।
सरकार और उच्च अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने हेतु सुझाव
इस मामले को समाचार माध्यमों से सरकार और उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया जा सकता है:
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नियमों का स्पष्ट उल्लंघन: इस बात पर जोर दें कि यह केवल मनोरंजन का मामला नहीं है, बल्कि पुलिस विभाग के स्थापित नियमों और आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
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पद की गरिमा: पुलिस अधीक्षक (SP) सहित वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया जाए कि वे इस तरह के कृत्यों पर संज्ञान लें जो पुलिस पद की गरिमा और प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं।
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तत्काल जांच और कार्रवाई: संबंधित अधिकारी के खिलाफ तत्काल विभागीय जांच शुरू करने और नियमानुसार कड़ी कार्रवाई करने की मांग की जाए।
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भविष्य के लिए दिशानिर्देश: सरकार और पुलिस मुख्यालय से आग्रह किया जाए कि वे सभी पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया के उपयोग और वर्दी में सार्वजनिक आचरण के संबंध में सख्त और स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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पुलिस सुधार: यह मुद्दा व्यापक पुलिस सुधारों और उनके प्रशिक्षण का भी हिस्सा बन सकता है, जिसमें पेशेवर आचरण पर अधिक जोर दिया जाए।
इस प्रकार, यह मामला सिर्फ एक 'रील' बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पुलिस बल के अनुशासन, प्रतिष्ठा और जनसेवा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। इस पर कठोर और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।